Politalks.News/Bihar. बिहार (Bihar) की राजनीति के हिसाब से अगर देखा जाए तो नया साल एक अलग ही बयार लेकर आने वाला है. बिहार में जातिगत जनगणना का मुद्दा बड़ा रूप लेता जा रहा है. जातिगत जनगणना को लेकर अब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का साथ मिलता दिख रहा है. साथ ही सियासी हलकों में ये चर्चा जोरों पर है कि अगले कुछ दिन में जदयू (JDU) और आरजेडी (RJD) इस मुद्दे पर एक साथ आ सकती है. बीजेपी (BJP) पहले दिन से जातिगत जनगणना के खिलाफ है. ऐसे में राजद नेता लगातार जदयू के सामने इशारों-इशारों में साथ में सरकार बनाने का ऑफर दे रही है. राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) ने कहा कि, ‘जातीय जनगणना जरूरी है, ऐसे में इसके खिलाफ कोई सवाल खड़ा होता है तो RJD सरकार के साथ हमेशा खड़ी नजर आएगी.’ वहीं जगदानंद सिंह के इस बयान को उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) का समर्थन भी मिल रहा है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि बिहार में भले ही नीतीश कुमार ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली लेकिन अब उनके लिए भी इस सरकार को पूरे 5 साल तक चलना मुश्किल होता जा रहा है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात हो या फिर जातिगत जनगणना की बात हो बीजेपी हर बार नीतीश से अलग हट कर बयान देती रही है. वहीं सूत्रों का कहना है कि, ‘खुद नीतीश कुमार भी अब इस संयुक्त सरकार से तंग आ चुके हैं. ऐसे में नए साल में क्या सत्ता परिवर्तन हो सकता है?’ सियासी गलियारों में ये सवाल गूंज रहा है. तो वहीं RJD भी इशारों इशारों में जदयू को सरकार बनाने का निमंत्रण दे रही है’.
गुरूवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पार्टी कार्यालय से एक पत्रकार वार्ता कर जातीय जनगणना को लेकर कहा कि, ‘जातीय जनगणना हर हाल में जरूरी है क्योंकि जातीय जनगणना के आधार पर ही योजनाएं तैयार की जाती हैं. लेकिन जातीय जनगणना नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में पिछड़े लोग पीछे छूट गए हैं. आज नीतीश कुमार के सहयोगी दल बीजेपी जातीय जनगणना के सवाल पर पीछे हट रही है ऐसे में नीतीश कुमार को चाहिए कि ऐसे लोगों और मंत्रालय से हटाए जो नेतृत्व की बात नहीं मानता हो. जातीय जनगणना के मुद्दे पर अगर सरकार पर कोई सवाल खड़ा होता है तो राजद हमेशा उनके साथ खड़ी नजर आएगी.
जगदानंद सिंह ने आगे कहा कि, ‘जातीय जनगणना और विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर नीतीश कुमार को किसी भी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर इन्हें लेकर कोई सवाल पूछा जाएगा तो तेजस्वी यादव और राजद हमेशा नीतीश कुमार के साथ खड़ी नजर आयेगी.’ जगदानंद सिंह ने कहा कि, ‘तेजस्वी के साथ नीतीश कुमार प्रधानमंत्री से भी जाकर मुलाकात की उसके बाद भी नीतीश कुमार चुप हैं. जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार को खुलकर सामने आना चाहिए और राजद हर तरह से इस मामले को लेकर उनके साथ है.’
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वहीं दोनों दलों के एक साथ आने की चर्चाओं को उस वक़्त और भी बल मिल गया जब जगदानंद सिंह के बयान को जदयू नेता का समर्थन मिल गया. जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जगदानंद सिंह के बयान का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि, ‘इस मामले में सभी राजनीतिक दलों को नीतीश कुमार का साथ देना चाहिए. जातीय जनगणना पर जो दल साथ नहीं आएंगे उन्हें जनता सबक सिखाएगी.’
कुशवाहा ने आगे कहा कि, ‘पहले भी राजद ने इस मामले में हमारा साथ दिया है और एक बार फिर से साथ देने की बात कहने के लिए जगदानंद सिंह को धन्यवाद. हालांकि बीजेपी ने अभी तक यह नहीं कहा है कि हम जातीय जनगणना के विरोध में हैं लेकिन वो खुलकर सामने भी नहीं आ रहे हैं. लेकिन मैं ये साफ़ कह देना चाहता हूं कि कहीं से दाएं बाएं भी होगा तो नीतीश कुमार इस मुद्दे पर बिलकुल भी पीछे हटने वाले नहीं हैं.’ अब जगदानंद सिंह के बयान पर भी जदयू में दो फाड़ दिखाई दे रही है.
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जातीय जनगणना को लेकर जहां उपेंद्र कुशवाहा ने जगदानंद सिंह पर सवाल उठाये तो वहीं जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि, ‘कई मुद्दों पर सरकार के सहयोगी और विपक्ष एकसाथ खड़े होते हैंं. किसी मुद्दे पर साथ खड़े होने को अगर राजद अगर सरकार बनाना समझती है तो यह सपने देखना जैसा है. बीजेपी के साथ जेडीयू का पुराना और मजबूत संबंध है और राजद की यहां कोई दाल नहीं गलने वाली. वहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल में राजद के ऑफर को हास्यास्पद करार दिया. पटेल ने कहा कि ‘राजद की सत्ता से दूरी होने की छटपटाहट साफ दिखाई पड़ रही है. तेजस्वी की पराजय ने समझा दिया है कि जनता उनको साथ देने वाली नहीं.’