आजाद भारत के 70 साल के इतिहास में जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को ऐतिहासिक दिन है. आज से जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) और लद्दाख नए केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. अब से यहां वही संविधान, वही तिरंगा और सुप्रीम कोर्ट के नियम लागू होंगे जो पूरे देश में लागू होते हैं. गुजरात कैडर के आईएएस अफसर रहे गिरीश चंद्र मुर्मू ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली. मुर्मू को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने उप राज्यपाल पद की शपथ दिलाई. इससे पहले राधा कृष्ण माथुर ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली. इससे पहले लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था लेकिन 5 अगस्त को मोदी की केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए हटाने का फैसला लिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर के साथ लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. आज से देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर नौ और कुल राज्यों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी.
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए थी.
यह भी पढ़ें: क्या हैं जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के मायने
अनुच्छेद 370 हटने के बाद दोनों राज्यों में संसद से पास होने वाले कानून सीधे तौर पर लागू होंगे. इससे पहले यहां अलग संविधान, अलग नियम-कायदे और अलग झंडा था. हालांकि, दोनों राज्यों में काफी अंतर रहेगा. जम्मू-कश्मीर एक विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां की व्यवस्था चंडीगढ़ और राजधानी दिल्ली की तरह होंगी. वहीं लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. पुर्नगठन के बाद दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था जबकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को खाली करना होगा बंगला
दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के पुर्नगठन के साथ ही अब जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को एक नवंबर तक अपने आधिकारिक बंगले खाली करने पड़ेंगे. यह आदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों में गुलाम नबी आजाद पहले सीएम थे जिन्होंने पहले ही अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया था. हालांकि, फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती अभी भी सरकारी बंगले में रहते हैं. महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने अपने सरकारी बंगले के रिनोवेशन पर करीब 50 करोड़ रुपये तक खर्च किया है.