Politalks.News/Bharat. आज दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है. इस महामारी ने लोगों की जिंदगी की रफ्तार पर ‘ब्रेक‘ लगा दिया है. तमाम देशों के लोग डरे और सहमे हुए हैं. वहीं वैश्विक महामारी के खौफ के बीच दो देशों में सात दिनों से रॉकेट और मिसाइलों से संघर्ष छिड़ हुआ है. दोनों ओर से सेनाएं बॉर्डर पर तैनात हैं. ‘लाखों लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर सड़कों पर भागते फिर रहे हैं’. हम बात कर रहे हैं 60 वर्षों से चला आ रहा इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी युद्ध की. अब जैसे हालात बन रहे हैं दोनों देशों के बीच यह युद्ध अब ‘बड़ा‘ होता जा रहा है. जिससे कई देशों के साथ भारत भी चिंतित है. दुनियाभर के लोगों का ध्यान इस संघर्ष पर लगा है.
आपको बता दें कि इजराइल एक ‘यहूदी‘ देश है, जो चारों ओर से मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है उसके बावजूद अकेले ही सबसे टक्कर लेता रहा है. ‘भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इजराइल का समर्थन करते आ रहे हैं‘. ‘वर्ष 2014 में भाजपा की सरकार आई और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के रिश्ते और गहरे होते चले गए, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पीएम मोदी की दोस्ती अंतरराष्ट्रीय जगत में खूब सुर्खियों में रही’. प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा के दौरान ‘बेंजामिन नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि, ‘भारत से आया मेरा दोस्त‘.
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उसके बाद बीते इन 7 सालों में दोनों देशों के बीच कूटनीति के संबंधों में भी तेजी आई. इसके साथ भारत के यूजर्स सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के मामले में इजराइल के साथ खड़े रहे. हालांकि भारत में एक वर्ग ऐसा भी है जो फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है. हम बात को आगे बढ़ाते हैंं. सात दिनों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच रॉकेट और मिसाइलों से हमले किए जा रहे हैं. जब-जब दो देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनते हैं तब दोनों की निगाहें अन्य राष्ट्रों के समर्थन पर आकर टिक जाती है. फिलिस्तीन के समर्थन में तुर्की, ईरान समेत कई मुस्लिम राष्ट्र खड़े हुुए हैं. ऐसे ही इजराइल के साथ अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश अपना समर्थन कर रहे हैं.
अभी भारत इन दोनों देशों की जारी जंग के बीच ‘तटस्थ’ बना हुआ है. हां भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जरूर जारी किया गया था कि युद्ध से किसी भी देश का भला नहीं होता है. इसी बीच ‘इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने एक ट्वीट में इजरायल का समर्थन करने के लिए 25 देशों को धन्यवाद दिया, लेकिन उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया, इसके बाद भारत सरकार और उन ट्विटर के हजारों यूजर्स को झटका लग गया जो इजरायल के समर्थन में लगातार पोस्ट कर रहे थे.’
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फिलिस्तीन के साथ संघर्ष के बीच बेंजामिन नेतन्याहू ने लिखा कि इजरायल के साथ मजबूती से खड़े रहने और आतंकवादी हमलों के खिलाफ आत्मरक्षा के हमारे अधिकार का समर्थन करने के लिए धन्यवाद, इसके साथ ही उन्होंने 25 देशों के झंडे भी मेंशन किए हैं. इनमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं लेकिन इसमें भारत का ‘तिरंगा’ कहीं दिखाई नहीं दिया.
इजरायल-फिलिस्तीन के बीच युद्ध पर भारत सधी प्रतिक्रियाओं के साथ दे रहा बयान
बता दें कि दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर भारत ने अभी तक बहुत ही सधी प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दोस्त नेतन्याहू से युद्ध को लेकर अभी तक बात नहीं की है. फिलहाल भारत कोरोना की त्रासदी में घिरा हुआ है’, केंद्र सरकार इसी में उलझी हुई है. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच खूनी संघर्ष जारी है. युद्ध की आशंका के बीच एक बार फिर इजरायल की तरफ से एयरस्ट्राइक किया गया है, कई रॉकेट दागे गए हैं और टैंक से गोले छोड़े गए हैं. जिसमें 180 से अधिक लोगों की जानें गई हैं. पिछले दिनों एक भारतीय महिला सौम्या संतोष की भी मौत हो चुकी है.
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इस युद्ध में अधिकांश मरने वाले फिलिस्तीन के हैं. रॉकेट और मिसाइल हमलों में कई बिल्डिंगें भी तबाह हो रही हैं. हालात इतने खराब हो गए हैं कि फिलिस्तीन में अब परिवारों का पलायन शुरू हो गया है. हर कोई अपने बच्चों को लेकर कहीं दूर सुरक्षित स्थानों के लिए निकल पड़े हैं. जान बचाना इस समय सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने फिलिस्तीन के साथ जारी संघर्ष के लिए हमास को दोषी ठहराया.
वहीं भारत ने भी हमास की कार्रवाई का विरोध किया है, इसके साथ ही भारत, इजरायल और फिलिस्तीनी अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत की अपनी पारंपरिक लाइन पर कायम है. भारत ने अपने बयान में कहा गया है कि, ”हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से दूर रहने और पूर्वी यरुशलम और उसके पड़ोस सहित मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से बचने का आग्रह करते हैं.” बयान में भारतीय स्थिति को सावधानी से व्यक्त किया गया है क्योंकि नई दिल्ली के इजरायल और अरब दुनिया दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और फिलिस्तीनी कारण का समर्थन करता है. गाजा से इजरायल के खिलाफ हमास की कार्रवाई ने इस मुद्दे को और जटिल कर दिया क्योंकि सुन्नी समूह के पीएलओ में कुछ समर्थक हैं, जिनके नेता महमूद अब्बास फिलिस्तीन और फिलिस्तीन राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं.
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उधर, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक हम अंजाम तक नहीं पहुंचते, तब तक गाजा के खिलाफ हमारी जवाबी कार्रवाई जारी रहेगी, उन्होंने कहा कि ये लड़ाई आतंक के खिलाफ है. फिलहाल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इन दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए पहल शुरू कर दी है. राष्ट्रपति बाइडेन ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की. राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद बाइडेन और अब्बास के बीच यह पहली बातचीत है. लेकिन इसके बावजूद फिलहाल दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम होता नहीं दिख रहा है. आज सुबह भी दोनों ओर से रॉकेट दागे गए. जिसमें भारी नुकसान हुआ है.