पॉलिटॉक्स न्यूज. भारत के पड़ौसी देश नेपाल की नियत इस समय बिलकुल भी ठीक नहीं लग रही बल्कि वो रिश्ते बिगाड़ने पर भी तुला हुआ है. हाल में नेपाल ने देश का नया नक्शा जारी किया था जिसमें भारत के तीन हिस्सों को नेपाल सीमा में दिखागा गया था. बाद में भारत के आपत्ति जताने पर उसने कदम पीछे खींच लिए. अब फिर से नेपाल अपनी नौटंकी पर आ गया है और नए नक्शे के संबंध में संविधान संशोधन बिल पेश किया है. इस नक्शे में भारत के तीन हिस्सों को नेपाल का अंग दिखाया गया है. साथ ही नेपाल सरकार ने नेपाल प्रवेश करने के लिए खुली सीमाओं को बंद करने और सरकार द्वारा निर्धारित सीमा क्षेत्र से ही नेपाल में एंट्री देने का फैसला किया है. भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दी है. नेपाल की ओर से ऐसी गुस्ताखी पहली बार देखी जा रही है.
सीमा विवाद को लेकर भारत से टकराव के मूड में रहे नेपाल के प्रधानमंत्री के पी. शर्मा ओली की कैबिनेट ने सीमा व्यवस्थापन और सुरक्षा के नाम पर सख्ती दिखाते हुए भारत से लगी 20 सीमाओं को छोड़कर बाकी सभी को बन्द करने का निर्णय किया है. नेपाल और भारत के बीच करीब 1,700 किलोमीटर की खुली सीमाएं हैं. अभी तक नेपाल आने वाले भारतीय नागरिकों को बिना रोक-टोक अपनी सुविधा के मुताबिक इन खुली सीमाओं से एंट्री मिलती थी. नेपाल सरकार के ताजा फैसले से अब सिर्फ निर्धारित सीमा से ही नेपाल में प्रवेश करने की इजाजत मिलेगी.
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अब तक भारत के तरफ सीमा की निगरानी एसएसबी करती थी वहीं नेपाल की तरफ से सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. नेपाल के हर सीमावर्ती जिलों में सैन्य बैरक होने के बावजूद सीमा की निगरानी या सुरक्षा के नाम पर सेना को बॉर्डर पर कभी नहीं भेजा गया था. भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दे दी है. यह पहली बार है जब नेपाल-भारत सीमा पर सेना की तैनाती होने जा रही है.
इस निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव नारायण बिडारी ने कहा कि कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि भारत से आने वाले लोगों को अब सिर्फ 20 सीमा गेट से ही आने की इजाजत मिलेगी. नेपाल के 22 जिलों की सीमा भारत से जुड़ी है. सरकार ने सिर्फ 20 जिलों के लिए एक-एक एंट्री प्वाइंट तय किए हैं. अब नेपाल में वैध आईडी कार्ड के साथ ही एंट्री मिलेगी.
नेपाल के नए संविधान में भारतीय लड़कियों के नेपाल में शादी होने पर उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है. यह नियम लगाकर पारिवारिक रिश्तों को खत्म करने योजना बनाई गई है. नेपाल कभी पशुपतिनाथ के पुजारी को हटाने के बहाने तो कभी भारत के चारधामों और कुम्भ को न मानने के बहाने धार्मिक रिश्तों पर चोट पहुंचा रहा है. अब सीमा नियंत्रण करके जन-जन के संबंधों को खत्म करने की साजिश की जा रही है.
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इधर, नेपाल की कानून मंत्री शिवमाया तुंबाहंफे ने नए नक्शे के संबंध में संसद में बिल पेश किया है. नेपाल के इस नए नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है. हालांकि नेपाल भारत का पुराना मित्र रहा है लेकिन बीते कुछ दिनों से नेपाल के साथ भारत के संबंधों में तल्खियां बढ़ी हैं. जब नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र को अपना हिस्सा बताया था तभी भारत की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई थी. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए.
इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचे. साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे.
गौरतलब है कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था. इसको लेकर नेपाल की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी. उद्घाटन के बाद ही नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था. नेपाल ने भारत के क्षेत्रों को भी अपना बताकर दिखाया है.