सुर्खियों में चल रहे राजस्थान के अलवर गैंगरेप मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और मुख्य सचिव व डीजीपी से पूरे मामले की 6 सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और इस पर सक्रियता दिखाते हुए थानागाजी के थानाप्रभारी को निलंबित कर दिया. इसके बाद सरकार की गाज अलवर एसपी राजीव पचार पर भी गिरी. अब उनके स्थान पर आईपीएस अंशुमान को लगाया गया है.
प्रदेश के अलवर जिले में थानागाजी इलाके में गत 26 अप्रैल को एक महिला के साथ पांच युवकों ने उसके पति के सामने गैंगरेप किया और दोनों के अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. 2 मई को थानागाजी थाने में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था लेकिन पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई तब की जब सोमवार को अश्लील वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा व प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन की बात कही.
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए थानागाजी के थानाप्रभारी सरदार सिंह को निलंबित कर दिया. गहलोत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त व शीघ्र कार्रवाई करने के निर्देश दिए. साथ ही कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करते हुए अलवर पुलिस अधिक्षक राजीव पचार को मंगलवार रात ही एपीओ कर दिया. पचार की जगह विभाग ने आईपीएस अंशुमान को लगाया है. बुधवार को इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपने को कहा है. आयोग के आदेश के अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी को 6 हफ्ते में रिपोर्ट भेजनी होगी.
गौरतलब है कि पीड़िता का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद सक्रिय हुई प्रदेश की पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 14 टीमें गठित करने की बात कही थी. मंगलवार दोपहर पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने पूरे मामले पर अपडेट की जानकारी दी थी और थानागाजी थानाप्रभारी को निलंबित करने के आदेश जारी किए. मामले में अब तक 3 दोषियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है.