चुनावी प्रचार में नरेंद्र मोदी ने बार-बार देश की जनता से वायदा किया था, ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा.’ इसी वायदे पर काम करते हुए मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए करप्शन पर धावा बोला है. मोदी सरकार 2 बनने के कार्यकाल को अभी कुछ ही दिन हुए हैं और केंद्र सरकार ने अपने 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया.
एक मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, ‘डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत इन अफसरों को समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दी गई है.’ इस बड़े फैसले के बाद माना जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में मोदी सरकार नियम-56 का इस्तेमाल करके भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के आरोप लग चुके कुछ अन्य अधिकारियों पर भी अनिवार्य रिटायरमेंट की गाज गिरा सकती है.
रिटायरमेंट दिए गए उपरोक्त सभी अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे. अब कई लोग इसे मोदी सरकार 2.0 के तहत सफाई अभियान के रूप में देख रहे हैं.
जिन अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया है, उनमें शीर्ष पर हैं संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी अशोक अग्रवाल, जिनपर स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने और व्यापारियों से जबरन वसूली एवं रिश्वत लेने की गंभीर शिकायतें हैं. इस लिस्ट में आईआरएस अधिकारी एसके श्रीवास्तव भी शामिल हैं, जिन पर दो महिला अफसरों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था.
होमी राजवंश (आईआरएस, 1985) पर एक मामले में एक अनुकूल आदेश पारित करने के एवज में अवैध रूप से बड़े पैमाने पर चल-अचल संपत्ति अर्जित की है. जबकि बीबी राजेंद्र प्रसाद पर भी अनुकूल आदेश पारित करने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप है.
इन अधिकारियों को दिया गया रिटायरमेंट
- अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985)
- एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989)
- होमी राजवंश (आईआरएस 1985)
- बीबी राजेंद्र प्रसाद
- अजॉय कुमार सिंह
- बी.अरुलप्पा
- आलोक कुमार मित्रा
- चांदर सेन भारती
- अंडासु रवींद्र
- विवेक बत्रा
- स्वेताभ सुमन और
- राम कुमार भार्गव