देश मे लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी एक सप्ताह शेष है. इससे पहले आज एक खास दिवस है. दरअसल, पांच साल पहले आज के ही दिन यानि 16 मई को भारत के इतिहास में पहली बार किसी गैर कांग्रेसी दल को बहुमत मिला था. यह सरकार थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार. इस सरकार को 2014 के लोकसभा चुनाव में 282 सीटों पर कामयाबी मिली थी. हिंदी पट्टी के राज्यों में तो बीजेपी ने विपक्ष का सूपड़ा ही साफ कर दिया था. कई राज्यों में तो कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया था. राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड़ और हिमाचल प्रदेश की सभी सीटें बीजेपी के हिस्से में गई थी.
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 73 सीटों (71 सीट बीजेपी, 2 सीट अपना दल) पर कब्जा किया था. यहां बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुला था. 2014 चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए बहुत खराब रहे थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ में 207 सीटें थी जो 2014 में केवल 44 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस की यह अब तक की सबसे खराब स्थिति थी. हालांकि देश में मोदी की व्यापक लहर होने के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन कई राज्यों खराब रहा था. पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडू और केरल में कुल मिलाकर पार्टी को केवल चाीर सीटों पर विजयश्री मिल पायी थी.
इस बार चुनावी नतीजे 23 मई को आएंगे जो 2014 के मुकाबले सप्ताहभर देरी से आ रहे हैं. इसकी वजह चुनाव टाइमटेबल में देरी रहा जिसके आरोप चुनाव आयोग पर विपक्षी नेताओं ने लगाए थे. नेताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तय कार्यक्रमों के कारण आयोग ने चुनाव कार्यक्रम के ऐलान में देरी की है.
हालांकि पिछले संसदीय चुनावों में रिकॉर्ड रचने वाली बीजेपी सरकार के लिए इस बार पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाना या फिर पूर्ण बहुमत हासिल कर पाना इतना आसान नहीं है.2014 के चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 73 सीटें हासिल हुई थी लेकिन इस बार यूपी में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. यह महागठबंधन बीजेपी के लिए लिए चुनौती साबित हो रहा है जबकि यहां योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार विराजमान है.
बीजेपी को इस बार पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. बता दें कि बंगाल में लोकसभा की 42 और ओडिशा में 21 सीटें हैं. कांग्रेस इस चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में अपनी खोई हुई जमीन और प्रतिष्ठा वापस पाने की लड़ाई लड़ रही है.