जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए वहां धारा 370 और 35ए हटाने का जो धमाकेदार फैसला हुआ है, उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. यह मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक है. पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती हो रही थी. अमरनाथ यात्रा तय समय से दो हफ्ते पहले रोक दी गई थी. संचार माध्यमों पर निगरानी बढ़ा दी गई थी.
इस माहौल में जम्मू-कश्मीर में जो तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, उनमें प्रमुख थी विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है. दूसरी अटकल यह थी कि केंद्र सरकार राज्य को तीन हिस्सों, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बांट सकती है. तीसरी अटकल यह थी कि धारा 370 हट सकती है और चौथी अटकल धारा 35ए हटने की थी. अफवाहें रोकने के लिए घाटी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई. डिप्टी कमिश्नरों और आईपीएस अफसरों को सेटेलाइट फोन दे दिए गए.
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संसद में अमित शाह के संकल्प पत्र पेश करने के साथ ही सारी अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया. इस फैसले से राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है और तमाम पार्टियों के नेता बैठकों में व्यस्त हो गए हैं. पूरे देश में जश्न का माहौल है. मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित कई लोगों ने मिठाई बांटी और मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया.
यह फैसला आम तौर पर स्वागत योग्य है, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन जाएगा. जो भी इस फैसले का विरोध करेगा, वह देश के विरोध में माना जाएगा. इसलिए कई विपक्षी पार्टियां भी इस फैसले का समर्थन कर रही हैं. राज्यसभा में शिवसेना सदस्य संजय राउत ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर लिया है, कल बलूचिस्तान और पीओके भी लेंगे. देश के प्रधानमंत्री अखंड भारत का सपना पूरा करेंगे.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम हिंदुस्तान के संविधान के साथ खड़े हैं और इस संविधान की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे, लेकिन भाजपा ने आज संविधान का मर्डर किया है. पी चिदंबरम ने ट्वीट किया है कि जम्मू-कश्मीर के नेताओं को घर में नजरबंद किया जाना इस बात का संकेत है कि सरकार अपने मकसद को हासिल करने के लिए सभी लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों की अवहेलना करेगी. मैं उनकी नजरबंदी की आलोचना करता हूं. मैंने जम्मू-कश्मीर में किसी भी दुस्साहस को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन लगता है सरकार ऐसा करने पर आमादा है.