Mp Voting
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Politalks.News/MP By-Election. मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सुबह 8 बजे से शुरू हुआ मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा. प्रदेश के इन उपचुनाव में 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. 28 सीटों पर कुल 63.67 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. उपचुनाव में अधिकांश सीटों पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस एवं बीजेपी के बीच माना जा रहा है लेकिन कुछ सीटों पर मायावती के नेतृत्व वाली बसपा एवं कुछ अन्य छोटे राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. मध्यप्रदेश का ये उपचुनाव एक ऐतिहासिक चुनाव कहा जा रहा है क्योंकि मप्र के इतिहास में एक साथ इतनी सीटों पर उपचुनाव पहली बार होने जा रहा है.

चुनाव के दौरान औचक निरीक्षण के लिए 250 उड़न दस्ते, 173 निगरानी दल बनाए हैं और 293 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं. लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए आयोग ने 9,361 मतदान केंद्र बनाए हैं. इनमें से 3,038 को ‘संवेदनशील’ श्रेणी में रखे गए हैं.

यही उपचुनाव तय करेंगे कि 10 नवबंर को इनके परिणाम आने के बाद कौन सी पार्टी प्रदेश में सत्ता में रहेगी. इन चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और उन सभी 25 विधायकों की साख भी दांव पर लगी है जो कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए और उन्हीं के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

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इन 25 में से 12 वर्तमान सरकार में मंत्री भी हैं. उपचुनाव वाली 28 सीटों में से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर बीजेपी में आने से खाली हुई हैं, जबकि दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट बीजेपी विधायक के निधन से खाली हुई है.

इन सीटों पर हो रहा मतदान, ये हैं आमने सामने (कांग्रेस VS बीजेपी)

  1. ग्वालियर: सुनील शर्मा VS प्रद्युम्न सिंह तोमर

  2. डबरा: सुरेश राजे VS इमरती देवी

  3. बमोरी: कन्हैया लाल अग्रवाल VS महेन्द्र सिंह सिसोदिया

  4. सुरखी: पारुल साहू VS गोविंद सिंह राजपूत

  5. सांची: मदनलाल चौधरी VS प्रभुराम चौधरी

  6. सांवेर: प्रेमचंद्र गुड्‌डू VS तुलसीराम सिलावट

  7. सुमावली: अजब कुशवाहा VS ऐंदल सिंह कंसाना

  8. मुरैना: राकेश मवई VS रघुराज सिंह कंषाना

  9. दिमनी: रविंद्र सिंह तोमर VS गिर्राज दंडोतिया

  10. अम्बाह: सत्यप्रकाश सखवार VS कमलेश जाटव

  11. मेहगांव: हेमंत कटारे VS​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​ ओपीएस भदौरिया

  12. गोहद: मेवाराम जाटव VS​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​ रणवीर जाटव

  13. ग्वालियर पूर्व: सतीश सिकरवार VS​​​​​​​ मुन्नालाल गोयल

  14. भांडेर: ​​​​​​​फूल सिंह बरैया VS​​​​​​​​​​​​​​ रक्षा संतराम सरौनिया

  15. करैरा: प्रागीलाल जाटव VS​​​​​​​​​​​​​​ जसमंत जाटव

  16. पोहरी: हरिबल्लभ शुक्ला VS​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​ सुरेश धाकड़

  17. अशोक नगर: आशा दोहरे VS​​​​​​​ जजपाल सिंह जज्जी

  18. मुंगावली: कन्हैया राम लोधी VS बृजेंद्र सिंह यादव

  19. अनूपपुर: विश्वनाथ सिंह VS बिसाहूलाल सिंह

  20. हाटपिपल्या: राजवीर सिंह बघेल VS मनोज चौधरी

  21. बदनावर: कमल पटेल VS राजवर्धन सिंह दत्तीगांव

  22. सुवासरा: राकेश पाटीदार VS हरदीप सिंह डंग

  23. मलहरा: रामसिया भारती VS प्रद्युम्न सिंह लोधी

  24. नेपानगर: रामसिंह पटेल VS सुमित्रा कास्डेकर

  25. मांधाता: उत्तम पाल सिंह VS नारायण पटेल

  26. जौरा: पंकज उपाध्याय VS सूबेदार सिंह सिकरवार

  27. आगर: विपिन वानखेड़े VS मनोज ऊंटवाल

  28. ब्यावरा: रामचंद्र दांगी VS नारायण सिंह पवार

यह है विधानसभा का वर्तमान ब्यौरा

मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि काग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बसपा एवं एक सपा का विधायक है. बाकी 29 सीटें रिक्त हैं, जिनमें से दमोह विधानसभा को छोड़कर 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. दमोह सीट पर उपचुनाव की तिथि घोषित होने के बाद कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी ने विधायकी एवं कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और बीजेपी में शामिल हुए हैं. इन उपचुनाव के बाद सदन में विधायकों की संख्या वर्तमान 202 से बढ़कर 229 हो जाएगी. इस स्थिति में बीजेपी को बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र आठ सीटों को जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को पूरी 28 सीटें जीतनी होगी.

बता दें, कहने को तो यह उपचुनाव है लेकिन इन चुनावों में सबसे ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी की साख दांव पर लगी हुई है. सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले हर विधायक का यहां चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है. वहीं कांग्रेस के लिए पुनः सत्ता प्राप्त करना बहुत बड़ी चुनौती है. अगर कांग्रेस 22 सीटें भी जीत लेती है तो शायद सत्ता में वापसी कर जाए लेकिन अगर कांग्रेस 22 से कम सीटें कांग्रेस के खाते में आती हैं तो भी कांग्रेस की प्रतिष्ठा बढ़ेगी है, क्योंकि कांग्रेस के पास अब खोने को कुछ नहीं है लेकिन पाने को पूरी सत्ता है.

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