Politalks.News/Bharat. भारतीय राजनीति भी कब क्या रंग ले ले इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. शायद भारत ही एक अकेला देश है जिसके संविधान का पुरे विश्व में डंका बजता है. लेकिन भारत ही एक ऐसा देश है जहां कोरोना जैसी महामारी के वक़्त भी पक्ष और विपक्ष दोनों राजनीति से बाज नहीं आते. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने भारत में कोहराम मचाया हुआ है, जिसके चलते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर हैं. लेकिन बात तो ये भी है कि नरेंद्र मोदी तो इस देश में कोरोना को लेकर नहीं आये लेकिन हां इसके विस्तार में जाने अनजाने में उनका हाथ जरूर है और ये हम नहीं कह रहे, ये इस देश की जनता कहती है. वहीं देशभर के कोरोना हालातो को देखकर सियासी पंडितों ने सोचा होगा की पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ख़त्म हो चुके हैं तो अब सिर्फ और सिर्फ कोरोना के विरुद्ध लड़ाई होगी लेकिन नहीं राजनेताओं के मुंह से काम की बात अच्छी नहीं लगती. हाल ही में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक बयान के बाद देश की राजनीति में एक दम से बवाल आ गया है, यही नहीं हेमंत सोरेन के बयान के बाद दो की चार अगर ना बोली जाए तो ये आग में घी का काम कैसे होगा.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना के इस महासंकटकाल में केंद्र सरकार थोड़ी सुस्त नजर आ रही है. प्रतिदिन 3.5 लाख से अधिक केस सामने आ रहे हैं और करीब 4000 के आस पास लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है लेकिन अब तक न मोदी जी कुछ बोले और ना ही इस देश के गृहमंत्री अमित शाह. इसी को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर अपने मन की भड़ास निकाल दी. हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘आज आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया. उन्होंने सिर्फ अपने ‘मन की बात’ की. बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते‘. अब हेमंत जी आपको पता होना चाहिए पीएम मोदी का अधिकार है ‘मन की बात‘ करने का, क्योंकि इसी के सहारे तो देश भर की जनता से महीने में एक बार मुलाकात करते हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर अपने ‘मन की बात’ क्या कही, तथाकथित मोदी भक्तों को ये रास नहीं आया और फिर जोर शोर से हेमंत सोरेन को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया गया. हालांकि आपको बता दें कि हाल ही में पीएम मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में पीएम मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया था. खैर छोड़िये अब हम आगे चलते है. किसी भी विपक्ष के नेता का पीएम मोदी को लेकर बयान हो और कोई कुछ न बोले ऐसा नहीं हो सकता.
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ट्वीट के बाद सबसे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हेमंत सोरेन को शिष्टाचार का का पाठ पढ़ाया. डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट करते हुए लिखा सोरेन जी शायद अपने पद की गरिमा को भूल गए हैं. COVID19 से उत्पन्न स्थिति को लेकर देश के PM पर कोई बयान देते समय उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस महामारी का अंत सामूहिक प्रयासों से ही संभव है. अपनी नाकामी छिपाने के लिए अपने मन की भड़ास PM पर निकालना निंदनीय है.
डॉ हर्षवर्धन ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट काल में जहां ग़रीबों और ज़रूरतमंदों के लिए खज़ाने खोल दिए हैं, वहीं झारखंड सरकार ने, अपने खज़ाने का मुंह बंद कर रखा है. हेमंत सोरेन जी चाहते हैं कि हर काम केंद्र सरकार करे. कोरोना से लड़िए, PM से नहीं !. अब डॉ हर्षवर्धन ने बयान तो बखूबी दिया लेकिन ये भूल गए की इस देश की जनता बयानों से नहीं बचेगी. स्वास्थ्य मंत्री जी बयान देने में माहिर हैं क्योंकि जहां देश भर में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है और देश छोड़ो अब तो विदेशों से ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है, वहीं हमारे मंत्री जी अभी भी अपनी सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए बयान दें रहे हैं कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, खैर बीजेपी के सभी नेताओं को ऑक्सीजन तो PMO और गृहमंत्रालय से आ ही जाती है.
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वहीं हेमंत सोरेन के बयान पर केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कृपया संवैधानिक पदों की गरिमा को इस निम्न स्तर तक न ले जाएं. महामारी के इस कठिन समय में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम एक टीम इंडिया हैं. खेल मंत्री जी माना की हेमंत जी के बयान से आपको आघात लगा है लेकिन पीएम मोदी और गृहमंत्रालय की चुप्पी से पुरे देश को आघात लग रहा है कृपया उसके लिए भी एक टीम इंडिया बनाइये.
वहीं हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए असम बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि आपका यह ट्वीट न सिर्फ़ न्यूनतम मर्यादा के ख़िलाफ़ है बल्कि उस राज्य की जनता की पीड़ा का भी मजाक़ उड़ाना है जिनका हाल जानने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने फ़ोन किया था, बहुत ओछी हरकत कर दी आपने. मुख्यमंत्री पद की गरिमा भी गिरा दी. अब भाई हेमंत बिस्वा शर्मा का ये बयान कितना अजीब लगता है क्योंकि जब पुरे देश में कोरोना धीरे धीरे अपने पैर पसार रहा था तब आप भी अपनी सरकार बनाने के लिए पीएम मोदी की रैली में भीड़ जुटाने में लगे थे. तब क्यों आपको याद नहीं आई जनता की. खैर हम क्या कहें जब जनता ने ही आपको जीतकर कुर्सी पर बैठाया है.
भाजपा सांसद और पार्टी के मीडिया विभाग के प्रभारी अनिल बलूनी ने भी हेमंत सोरेन की आलोचना की. उन्होंने ट्वीट किया कि ना आपको देश के संघीय ढांचे का ज्ञान, न सामान्य शिष्टाचार की समझ, न बड़ों से व्यवहार का प्रशिक्षण और न ही अपनी कुनीतियों से बेहाल झारखंड की चिंता है हेमंत सोरेन. जनता आपकी गलत नीतियों की भेंट न चढ़े. आप झारखंड के लोगों को उनके हाल पर छोड़ सकते हो मगर मोदी सरकार हर क्षण उनके साथ है. माना बलूनी जी कि मोदी सरकार झारखंड की जनता के लिए काम करते है लेकिन किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी जनता की जानकारी अवश्य होती है.
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वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने हेमंत सोरेन को नसीहत देते हुए कहा कि मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं. भाई होने के नाते आपसे इस मुद्दे पर राजनीति ना करने की अपील करता हूं. अलग-अलग मुद्दों पर हमारे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोरोना के मुद्दे पर राजनीति से देश कमजोर होगा. ये समय दूसरों पर उंगली उठाने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर कोरोना से लड़ने का समय है. इस लड़ाई में हमें अपने प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करने चाहिए. आंध्र प्रदेश के इस युवा मुख्यमंत्री के बयान से साफ़ झलक रहा है कि वे कोरोना जैसी महामारी पर राजनीति नहीं करना चाहते लेकिन क्या सिर्फ अपनी ही अपनी कहना और दूसरे की ना सुनना कहां का न्याय है.
वहीं नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफी रियो ने लिखा, ‘मुख्यमंत्री के तौर में मेरे कई सालों के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के प्रति काफी संवेदनशील रहे हैं. मैं हेमंत सोरेन के इस बयान को पूरी तरह खारिज करता हूं.’ मिजोरम के मुख्यमंत्री जोराम थांगा ने लिखा, ‘हम काफी खुशनसीब हैं जो हमें नरेंद्र मोदी जैसा जिम्मेदार प्रधानमंत्री मिला है, जब भी उनका फोन मुझे आता है तो मैं काफी अच्छा महसूस करता हूं.’
खैर, जितने मुंह उतनी बातें, लेकिन यह तय है कि इस देश की रग-रग में राजनीति है. इस देश में हर मुद्दे पर राजनीति हो सकती है, चाहे वो किसी की जिंदगी या मौत से जुड़ी हो. आज पूरा देश यही चाहता है कि इस राजनीति से ऊपर उठकर देशवासियों की सुनें कि वो क्या चाहते हैं. हेमंत सोरेन का बयान पूरी तरह सही भी नहीं है तो पूरी तरह गलत भी नहीं. चाहे मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री दोनों को इस देश की जनता चुनकर भेजती है लेकिन जब उस देश की जनता की जान पर ही बन आये तो फिर कौनसी राजनीति और कैसी राजनीति, सोचने वाली बात है. अपने मन की बात कहना बुरी बात नहीं है लेकिन जनता के मन की बात ना सुनना, इस देश की जनता को नजर अंदाज करना गलत है. हम यही चाहेंगे की हम सभी को मिलकर राजनीति से अलग हटकर आगे आना होगा और देश को बचाना होगा. पॉलिटॉक्स की पूरी टीम आपसे निवेदन करती है कि घर पर रहें-सुरक्षित रहें.