कृषि कानूनों पर न झुकेगी और न बैकफुट पर आएगी केन्द्र सरकार! प्रधानमंत्री मोदी ने दिया संकेत

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को आज दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन बुलाया है जहां सरकार और किसानों के बीच होगी बातचीत, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कल वाराणसी में मोदी के भाषण ने दिए साफ संकेत- किसान आंदोलन के आगे न झुकेगी न बैकफुट पर आएगी मोदी सरकार

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Politalks.News/NarendraModi. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन का आज 6वां दिन है. पिछले पांच दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में जमे किसानों के विरोध प्रदर्शन पर केंद्र सरकार एक्टिव हो गई है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के कुछ संगठनों को आज दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन बुलाया है जहां सरकार और किसानों के बीच बातचीत होगी. सम्भवतः इस बातचीत की अगुवाई रक्षामंत्री राजनाथ सिंह करें. वहीं दिल्ली में पंजाब किसान संघर्ष समिति के जनरल सेक्रेटरी सुखविंदर सब्रन ने कहा है कि, “देश में किसानों के 500 से अधिक समूह हैं, लेकिन सरकार ने केवल 32 समूहों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. बाकी को सरकार द्वारा नहीं बुलाया गया है. हम तब तक बातचीत नहीं करेंगे, जब तक सभी समूहों को नहीं बुलाया जाता.”

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को दिल्ली के बुराडी आने का न्यौता दिया था लेकिन किसानों ने उनके निमंत्रण को ये कहकर ठुकरा दिया कि सरकार का कोई नुमाइंदा आकर आंदोलन स्थल पर किसानों से बात करे. लेकिन इन सबके बीच अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था, तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उसको आधार बनाया जा रहा है.

पीएम मोदी के इस कथन के आधार पर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि केंद्र सरकार न तो वह किसान आंदोलन के आगे झुकेगी और न ही कृषि कानूनों पर बैकफुट पर आएगी.

बता दें, पीएम मोदी का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान देश में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. हरियाणा और पंजाब के किसान तो दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए हैं. किसानों ने निर्णायक लड़ाई लड़ने की बात कहते हुए दिल्ली जाने वाले रास्तों की घेराबंदी करने के लिए कमर भी कस ली है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने मंच को संबोधित करते हुए विपक्ष पर भडकाउ राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम गंगाजल जैसी साफ नीयत से काम कर रहे हैं. आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है. जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने में लग जाते हैं. चौबीसों घंटे उनका यही काम है और देश के किसान इस बात को भली-भांति समझते हैं.

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पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा. फिर कहते हैं कि ऐसा होगा जो अभी हुआ ही नहीं है. जो कभी होगा ही नहीं उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है. पीएम ने कहा कि हमें याद रखना है यह वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है. अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उसको आधार बनाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि पहले वोट के लिए वादा और फिर छल. यही लंबे समय तक देश में चलता रहा है, जब इतिहास छल का रहा हो तब दो बातें काफी स्वाभाविक है. पहली- किसान अगर सरकार की बातों से आशंकित रहता है तो इसके पीछे दशकों तक का लंबा छल का इतिहास है. दूसरी- जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना एक तरह से आदत और मजबूरी बन गई है, क्योंकि उन्होंने ऐसा ही किया था, इसलिए वही फार्मूला लगाकर यही देख रहे हैं.

कृषि कानूनों पर सफाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं. नए कृषि सुधारों से नई विकल्प और नए कानूनी और संरक्षण दिए गए हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को नाम पर पहले की सरकारों ने छल किया है. यूरिया खेत से ज्यादा कालाबाजारियों के पास पहुंच जाता था. पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे. ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था. अब छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है. सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है. ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि कानून पर जिन किसान परिवारों को कोई चिंताएं है तो उनका जवाब देने का काम भी सरकार दे रही है और उसकी कोशिश कर रही है. मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे. हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की आगुवाई करेगा. आज जिन किसानों पर कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ उठाकर अपना आय बढ़ाएंगे मेरा ये पक्का विश्वास है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस तरह के भाषण को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार केवल समझाइश कर सकती है, लेकिन पीछे हटने या कानूनों को वापिस लेने का उनका कोई इरादा नहीं है. हरियाणा और पंजाब में पिछले एक महीने से भी अधिक समय से किसान कृषि कानूनों का विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही.

गौरतलब है कि पिछले पांच दिनों से हरियाणा और पंजाब के किसान हरियाणा और दिल्ली बॉर्डर पर जमा हैं लेकिन सरकार की ओर से केवल यही समझाने का प्रयास हो रहा है कि कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए है. आंदोलन के लिए दिल्ली बुलाया जा रहा है लेकिन बातचीत के लिए नहीं. वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बातचीत के लिए एक हफ्ते बाद का समय दिया था. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि कृषि कानूनों पर किसानों को ही संतोष करना पड़ेगा, सरकार ने तो फुल-एंड-फाइनल पहले ही कर दिया था.

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