पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. कोरोना संकट काल में सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विस्तार से बताया कि किस किस सेक्टर को इस पैकेज का फायदा कैसे और कब मिलेगा. आज दी जानकारी में कॉरपोरेट सेक्टर, टैक्सपेयर्स, रियल एस्टेट/डिस्कॉम/बैक और एमएसएमई को दी जाने वाली आर्थिक मदद के बारे में बताया गया है. ऑटो सहित अन्य सेक्टर्स के बारे में फिलहाल पत्ते नहीं खोले गए हैं.
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज पर कांग्रेस ने कसा तंज तो अखिलेश ने ली चुटकी
आज किए गए ऐलानों में सबसे बड़ी खबर ये है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर किया गया है. साथ ही टीडीएस में 25 फीसदी की कटौती की गई है. इसके साथ ही 15 हजार से कम तनख्वाह वाले कर्मचारियों के ईपीएफओ खातों में सरकार 24 फीसदी रकम जमा करेगी. इन सबसे अलावा क्या क्या निकला वित्तमंत्री के पिटारे से, आइए जानते हैं विस्तार से…
टैक्सपेयर्स व कर्मचारियों के लिए
- 15 हजार से कम सैलेरी वाले कर्मचारियों की 24 फीसदी रकम EPFO में जमा करेगी सरकार. ये रकम मार्च से अगस्त माह तक जमा कराई जाएगी. ये रकम कंपनी (12%) और कर्मचारियों (12%) की तरफ से होगी. इससे करीब 75 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और संस्थाओं को फायदा मिलेगा.
- सरकार की इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी है और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है. 15 हजार से ज्यादा तनख्वाह पाने वालों को इसका फायदा नहीं मिलेगा.
- कर्मचारियों का 12 फीसदी की जगह 10 फीसदी ईपीएफ कटेगा. हालांकि पीएसयू में 12 फीसदी ही ईपीएफ कटेगा.
- वित्त मंत्रालय के मुताबिक 41 करोड़ रुपये जनधन अकाउंट होल्डर्स के खाते में डीबीटी ट्रांसफर किया गया है.
- इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. इसे 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर, 2020 कर दिया गया है. इसी तरह विवाद से विश्वास स्कीम की डेडलाइन जून से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2020 तक कर दी गई है.
- टैक्सपेयर्स को 31 मार्च, 2021 तक टीडीएस (TDS-TCS) कटौती में 25 फीसदी की राहत मिली है. इसमें सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि शामिल हैं.
रियल एस्टेट/डिस्कॉम/बैक के लिए
- रियल एस्टेट के मामले में एडवाइजरी जारी होगा कि सभी प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए मार्च से आगे 6 महीने तक मोहलत दी जाए.
- डिस्कॉम यानी बिजली वितरण कंपनियों की मदद के लिए इमरजेंसी लिक्विडिटी 90,000 करोड़ रुपये दिए जाएंग़े.
- नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए 30,000 करोड़ की विशेष लिक्विडिटी स्कीम लाई जा रही है. इससे नकदी का संकट नहीं रहेगा.
- एनबीएफसी को 45,000 करोड़ की पहले से चल रही योजना का विस्तार होगा. वहीं आंशिक ऋण गारंटी योजना का विस्तार होगा, इसमें AA या इससे भी कम रेटिंग वाले एनबीएफसी को भी कर्ज मिलेगा.
एमएसएमई सेक्टर के लिए
एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की परिभाषा बदल दी गई है. इसमें निवेश की लिमिट में बदलाव किया गया है. निर्मला सीतारमण ने बताया कि मौजूदा दौर में ट्रेड फेयर संभव नहीं है.
- एक करोड़ निवेश या 10 करोड़ टर्नओवर पर सूक्ष्म उद्योग का दर्जा दिया जाएगा. इसी तरह 10 करोड़ निवेश या 50 करोड़ टर्नओवर पर लघु उद्योग का दर्जा दिया जाएगा. 20 करोड़ निवेश या 100 करोड़ टर्नओवर पर मध्यम उद्योग का दर्जा होगा.
- 200 करोड़ तक का टेंडर ग्लोबल नहीं होगा. यह एमएसएमई के लिए बड़ा कदम है. इसके अलावा एमएसएमई को ई-मार्केट से जोड़ा जाएगा. सरकार एमएसएमई के बाकी पेंमेंट 45 दिनों के अंदर करेगी.
- एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को बिना गारंटी 3 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जाएगा. इसकी समय सीमा 4 साल की होगी जिसके तहत शुरुआती 12 महीने तक मूलधन भी नहीं चुकाना होगा. ये ऑफर 31 अक्टूबर, 2020 तक के लिए है.
- जो एसएमएसई तनाव (संकट) में हैं, उन्हें सबआर्डिनेट डेट के माध्यम से 20,000 करोड़ की नकदी की व्यवस्था की जाएगी. इससे 2 लाख से ज्यादा MSME को फायदा होगा.
- जो सक्षम एमएसएमई हैं लेकिन कोरोना की वजह से परेशान हैं, उन्हें कारोबार विस्तार के लिए 10,000 करोड़ रुपये के फंड्स ऑफ फंड के माध्यम से मदद दी जाएगी.
- वे MSME जो बेहतर कर सकते हैं, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स तहत 50 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी इक्विजन होगा, ताकि वो बड़ा आकार ले सके.