असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को प्रति माह तीन हजार रुपये पेंशन मिलेगी. कैबिनेट की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया. इससे पहले दिन में श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने मंत्रालय का चार्ज लेने के बाद इस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दिए थे. यह योजना असंगठित क्षेत्र के कामगारों का भविष्य सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
फेरी लगाने वाले, रिक्शा, ठेला चलाने वाले, दिहाड़ी मजदूरी करने वाले, घरों में काम करने वाले 127 असंगठित क्षेत्र के कामगारों को 60 साल के बाद 3000 रुपये की मासिक पेंशन मिल सकती है. योजना के तहत 15 हजार रुपये तक की मासिक आमदनी वाले 18 से 40 वर्ष के असंगठित क्षेत्र के मजदूर इस योजना के पात्र हैं. योजना के तहत मजदूरों को अपनी आयु वर्ग के अनुसार हर महीने एक निश्चित राशि का प्रीमियम देना होगा. जितना प्रीमियम होगा, उतने रुपये की सब्सिडी सरकार भी देगी.
न्यूनतम मासिक प्रीमियम 55 रुपये और अधिकतम 200 रुपये प्रतिमाह है जो कि प्रथम प्रीमियम जमा कराने के बाद व्यक्ति के बैंक खाते से ऑटो डेबिट होंगे. इसमें सरकार भी अपनी तरफ से प्रीमियम की राशि को जमा करेगी. अप्रैल के अंत तक करीब 1 करोड़ श्रमिकों के पंजीकृत हो जाने का अनुमान है, जबकि दिसंबर तक यही संख्या 5 करोड़ तक पहुंच जाएगी. बता दें कि सरकार ने अंतरिम बजट 2019-20 में इस योजना के तहत अगले पांच साल के अंदर 10 करोड़ श्रमिकों व कामगारों को पंजीकृत करने का लक्ष्य तय किया है.