द डिप्लोमैट पत्रिका का दावा- ‘मिशन शक्ति’ से पहले भी हुआ था परीक्षण

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भारत ने हाल ही में मिशन शक्ति का परीक्षण किया था जो सफल रहा. इस परीक्षण के बाद भारत दुनिया की चौथी ऐसी शक्ति बन गया जिसके पास एंटी सैटेलाइट मिसाइल है जो अंतरिक्ष में किसी भी सैटेलाइट को मार गिरा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात की जानकारी दी. लेकिन भारत ने इस परीक्षण से एक महीना पहले भी एक ऐसा ही परीक्षण किया था जो उस समय असफल हो गया था.

अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन पत्रिका द डिप्लोमैट में प्रकाशित एक खबर के अनुसार यह परीक्षण 12 फरवरी को किया गया था. इस परीक्षण में इस्तेमाल की गई मिसाइल ने 30 सेकेंड की उड़ान भरी थी लेकिन वह लो अर्थ ऑर्बिट में टारगेट (सैटेलाइट) को नहीं रोक पाई.

हालांकि उस समय इस टेस्ट को लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कहा था कि यह अपने सभी उद्देश्य पाने में कामयाब रहा लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय जानकारों ने इस बयान पर असहमति जताई थी. द डिप्लोमैट की रिपोर्ट कहती है, ‘अमेरिकी सरकार के सूत्रों ने सेना के खुफिया आकलन के आधार पर यह बताया कि फरवरी में एक भारतीय उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण नाकाम हुआ था.’

वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, उस परीक्षण में किसी वास्तविक लक्ष्य को निशाना न बनाकर, एक इलेक्ट्रॉनिक टारगेट सेट किया गया था. अधिकारियों का कहना था कि मिसाइल उस टारगेट को पार करने में सफल रहा था. यह वही क्षेत्र था जहां 27 मार्च को सफल ए-सैट परीक्षण किया गया था. अंतरराष्ट्रीय समीक्षकों का भी कहना है कि जिस माइक्रोसैट-आर सैटेलाइट को भारत ने मार गिराया, वह उसी इलाके से गुजरा था जहां 12 फरवरी को टेस्ट किया गया था. हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस बयान पर भी विरोध जताया है.

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