यूपी उपचुनाव के बाद हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में एक मंच पर खड़े सपा-बसपा अब फिर अलग-अलग राह पर चल पड़े हैं. अब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर बहुजन समाज पार्टी सु्प्रीमो मायावती ने अपना रुख साफ कर दिया है. अपने ट्वीटर हैंडल से पोस्ट कर उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव सपा से जुदा होकर अलग लड़ने का फैसला किया है. उन्होंने अखिलेश पर यह भी आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने एक फोन तक करना मुनासिब नहीं समझा.
अपने ट्वीटर हैंडल पर मायावती ने लिखा, ‘बीएसपी की आल इण्डिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली. इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था. फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं.वे पूरी तरह से सही नहीं हैं, जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था.’
बीएसपी की आल इण्डिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं वे पूरी तरह से सही नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था।
— Mayawati (@Mayawati) June 24, 2019
गठबंधन का जिक्र करते हुए बीएसपी सुप्रीमों ने लिखा, ‘वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया.’
वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया।
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आगामी विधानसभा चुनाव में अलग चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए उन्होंने लिखा, ‘लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है. पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी.’
परन्तु लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।
— Mayawati (@Mayawati) June 24, 2019
बता दें, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव यूपी में बसपा-सपा-रालोद ने महागठबंधन में चुनाव लड़ा था. यहां महागठबंधन को 80 में से केवल 15 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी को 62 और सहयोगी घटक अपना दल को दो सीटें मिली है. एक सीट कांग्रेस के खाते में आयी है.