सुप्रीम कोर्ट ने बसपा चीफ मायावती को झटका देते हुए उनकी प्रचार करने की याचिका को खारिज कर दिया. मायावती ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आज रैली करने की इजाजत मांगी थी लेकिन कोर्ट ने मायावती की अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. मायावती ने 7 अप्रैल को देवबंद में समाज विशेष के लोगों से वोट अपील की. वहीं 13 अप्रैल को ‘बजरंग बली और अली हमारे’ बयान दिया था. इस पर कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने उनपर 48 घंटे का प्रचार बैन लगाया है. लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के तहत आज चुनाव प्रचार करने का अंतिम दिन है. शाम पांच बजे बाद चुनाव प्रचार पर रोक लग जाएगी.
बता दें, चुनाव आयोग ने सोमवार को आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में मायावती, यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आजम खान और मेनका गांधी पर विवादित बयान देने के लिए निश्चित समय के लिए चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाई थी. इसके साथ योगी आदित्यनाथ एवं आजम खान पर 72-72 घंटे और मेनका गांधी एवं मायावती पर 48 घंटे का बैन लगाया है. इस पर मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है और सिर्फ आचार संहिता तोड़ने वालों पर कार्रवाई कर रहा है. अगर इस तरह का बयान दोबारा आता है तो याचिकाकर्ता फिर कोर्ट का रुख कर सकते है.
इससे पहले मायावती ने उनके प्रचार करने पर अस्थाई रोक लगाने के लिए बिफरते हुए चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए इस फैसले को दलित विरोधी सोच का नतीजा बताया. मायावती ने देर रात मीडिया से कहा, ‘मुझे दिए कारण बताओ नोटिस में चुनाव आयोग ने नहीं लिखा है कि मैंने भड़काउ भाषण दिया था. उन्होंने मेरा पक्ष सुने बिना मुझ पर बैन लगा दिया और मोदी-शाह को खुली छूट है…यह चुनाव आयोग के इतिहास का काला आदेश है. ऐसा लगता है कि ये किसी के दबाव में आकर लिया गया फैसला है ताकि हम दूसरे चरण का प्रचार न कर सकें.’ आगे उन्होंने कहा कि आयोग ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया जबकि वे खुलेआम नफरत फैला रहे हैं. आगरा में मेरी रैली से एक दिन पहले मुझ पर रोक लगाना, चुनाव आयोग की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.