Politalks.News/Delhi. देश भर में कोरोना की लहर की रफ़्तार भले ही धीमी पढ़ गई हो लेकिन सियासी बयानबाजी का दौर बदस्तूर जारी है. कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर राहुल गांधी बार बार सवाल उठाते रहे हैं. हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि मंत्रियों की संख्या बढ़ी है, वैक्सीन की नहीं. वहीं हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर पत्र लिखा था. जिसके बाद मनसुख मंडाविया ने वैक्सीन की कमी को लेकर दिए गए बयानों को निरर्थक बताया और इन्हे सिर्फ लोगों में घबराहट पैदा करने वाला बयान करार दिया.
देश भर में कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर सियासत अपने चरम पर है. एक ओर जहां केंद्र सरकार दावा कर रही है कि राज्यों के पास भरपूर मात्रा में वैक्सीन पहुंचाई जा रही है, तो वहीं वैक्सीन की कमी को लेकर केंद्र सरकार लगातार राहुल गांधी के निशाने पर है. बुधवार को राहुल गांधी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि केंद्र सरकार के पास सिर्फ जुमले हैं वैक्सीन नहीं! बता करें राजस्थान की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कई बार पत्र लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ हर्षवर्धन के साथ वर्तमान चिकित्सा मंत्री मनसुख मंडाविया को वैक्सीन की कमी को लेकर अवगत करा चुके हैं.
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वहीं विपक्ष के आरोपों का पहली बार जवाब देते हुए देश के नवनियुक्त चिकित्सा मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को एक के बाद एक 6 ट्वीट किये. मनसुख मंडाविया ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए अपने ट्वीट में कहा कि वैक्सीन की उपलब्धता के संदर्भ में मुझे विभिन्न राज्य सरकारों और नेताओं के बयान एवं पत्रों से जानकारी मिली है. तथ्यों के वास्तविक विश्लेषण से इस स्थिति को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. निरर्थक बयान सिर्फ लोगों में घबराहट पैदा करने के लिए किए जा रहे हैं.
मंडाविया ने अपने अगले ट्वीट में कोरोना की वैक्सीन डोज़ का लेखा जोखा पेश करते हुए कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों के जरिए टीकाकरण हो सके, इसलिए जून महीने में 11.46 करोड़ वैक्सीन की डोज राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराए गए और जुलाई के महीने में इस उपलब्धता को बढ़ाकर 13.50 करोड़ किया गया है.
मंडाविया केंद्र सरकार के पाले में आई इस गेंद को राज्यों की ओर फेंकते हुए कहा कि जुलाई में राज्यों में वैक्सीन के कितने डोज उपलब्ध कराई जाएगी, इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने राज्यों को 19 जून, 2021 को ही दे दी थी. इसके बाद 27 जून व 13 जुलाई को केंद्र की ओर से राज्यों को जुलाई के पहले व दूसरे पखवाड़े के लिए उन्हें हर दिन की वैक्सीन उपलब्धता की जानकारी बैच के हिसाब से एडवांस में ही दी गई. इसलिए राज्यों को यह अच्छी तरह से पता है कि उन्हें कब और कितनी मात्रा में वैक्सीन डोज मिलेंगे. केंद्र सरकार ने ऐसा इसलिए किया है ताकि राज्य सरकारें जिला स्तर तक वैक्सीनेशन का काम सही योजना बनाकर कर सकें और लोगों को कोई परेशानी नहीं हो.
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इसके साथ ही राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए मनसुख मंडाविया ने कहा कि अगर केंद्र पहले से ही अपनी तरफ से ये जानकारियां एडवांस में दे रही है और इसके बावजूद भी हमें कुप्रबंधन और वैक्सीन लेने वालों की लंबी कतारें दिख रही हैं तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि समस्या क्या है और इसकी वजह कौन है. मीडिया में भ्रम व चिंता पैदा करने वाले बयान देने वाले नेताओ को इस बात पर आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है. क्या उन्होने शासन प्रक्रिया व इससे सबंधित जानकारियों से इतनी दूरी बना ली है कि वैक्सीन आपूर्ति के संदर्भ में पहले से ही दी जा रही जानकारियों का उन्हें कोई अता-पता नहीं है.
आपको बता दें, फिलहाल विपक्ष पार्टियों की ओर से केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया के इस बयान पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन कहीं न कहीं कोरोना वैक्सीन को लेकर वर्तमान चिकित्सा मंत्री के बयान पूर्व मंत्री से मेल खाते दिख रहे हैं. पॉलिटॉक्स का काम किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता लेकिन अगर देश को कोरोना के विरुद्ध डटकर मुकाबला करना है तो फिर वैक्सीन की प्रक्रिया को बदस्तूर जारी रखना चाहिए और राजनीतिक बयानबाजी से दूर स्थिति को स्पष्ट करने वाले बयान देने चाहिए.