Politalks.News/Delhi. न्यूयॉर्क की टाइम मैगजीन ने बुधवार को 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी सालाना लिस्ट को जारी किया है. टाइम की इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का नाम भी शामिल है. 2021 के सबसे प्रभावशाली नेताओं की लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है. अफगानिस्तान की वर्तमान तालिबान सरकार में बरादर को उपप्रधानमंत्री का पद दिया गया है. मजे की बात यह है कि, ‘टाइम ने मोदी को हिंदू राष्ट्र की तरफ ले जाने वाला यानी ‘कट्टर’ बताया है, वहीं तालिबान के मुल्ला बरादर को मॉडरेट चेहरा यानी ‘उदार’ बताकर ब्रांडिंग की है.
लिस्ट में 6 कैटिगरी
टाइम की ये लिस्ट 6 कैटिगरी में बांटी गई है. इनमें पायनियर, आर्टिस्ट, लीडर, आइकॉन, टाइटन और इनोवेटर को शामिल किया है. नेताओं की लिस्ट में मोदी और ममता के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, इजराइल के राष्ट्रपति नफ्ताली बेनेट, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नाम शामिल हैं.
टाइम की लिस्ट में ये लोग शामिल
बुधवार को जारी 2021 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ड्यूक और डचेस ऑफ ससेक्स प्रिंस हैरी और मेघन शामिल हैं. इसके अलावा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल के प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के नाम शामिल हैं.
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देश की राजनीति पर हावी होने वाले मोदी तीसरे नेता
पीएम मोदी के टाइम प्रोफाइल में कहा गया है कि, ‘एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपने 74 वर्षों में भारत के तीन प्रमुख नेता रहे हैं. इनमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी शामिल हैं. देश की राजनीति पर हावी होने वाले नरेंद्र मोदी तीसरे नेता हैं, उनके बाद कोई नहीं है. प्रसिद्ध सीएनएन पत्रकार फरीद जकारिया द्वारा लिखी गई प्रोफ़ाइल में आरोप लगाया गया है कि, ‘पीएम मोदी ने देश को धर्मनिरपेक्षता से और हिंदू राष्ट्रवाद की ओर धकेल दिया है’. उन्होंने पीएम मोदी पर भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों को खत्म करने और पत्रकारों को कैद करने व डराने-धमकाने का भी आरोप लगाया है’.
पीएम मोदी के खिलाफ इंटरनेशनल एजेंडा?
टाइम की टाइमिंग पर भी सवाल है, क्योंकि लिस्ट ऐसे वक्त निकाली गई है, जब पीएम मोदी यूनाइटेड नेशन को संबोधित करने अमेरिका जाने वाले हैं. सितंबर 2019 में भी पीएम मोदी अमेरिका गए थे और उससे पहले भी टाइम ने मोदी को ‘India’s Divider In Chief’ बताया था. तो क्या ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इंटरनेशनल एजेंडा है. जबकि, नरेंद्र दामोदर दास मोदी की पहचान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में है, जो आतंक के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय हैं. पीएम मोदी की दुनिया में वर्ल्ड लीडर के तौर पर सम्मान है और दुनिया को आतंक के खिलाफ एकजुट किया है. लगातार दूसरी बार भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के तौर पर जाने जाते हैं.
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मोदी ‘कट्टर’ और बरादर ‘उदार’?
टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी पर मुस्लिमों के अधिकारों को खत्म करने का आरोप लगाया है और कहा है कि, मोदी ने ‘देश को धर्मनिरपेक्षता से हिंदू राष्ट्रवाद की ओर धकेल दिया है.’ इसके अलावा पत्रकारों को कैद करने और डराने-धमकाने का भी आरोप हैं. वहीं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को ‘शांत और गुप्त’ नेता बताया है. मैगजीन ने कहा है कि बरादार तालिबान के भीतर एक उदारवादी नेता है.
‘भारतीय राजनीति में उग्रता का चेहरा बनीं ममता’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 2 मई को शानदार जीत हासिल की. बीजेपी की तरफ से तमाम कोशिशों और केन्द्रीय मंत्रियों के उतारने से साथ ही पूरी ताकत झोंकने के बावजूद ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस को जीत मिली. इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर टीएमसी का दबदबा बढ़ा है. 66 वर्षीय ममता बनर्जी के लिए कहा गया है कि वे, ‘भारतीय राजनीति में उग्रता का चेहरा बन गई हैं’. ममता बनर्जी के बारे में कहा गया है कि वह अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करती हैं – ‘वह खुद ही पार्टी हैं’.
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‘पूनावाला ने COVID-19 महामारी के दौरान निभाई भूमिका’
टाइम मैग्जीन की सौ प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल अदार पूनावाला पुणे स्थित दवा बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ है. ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड का भारत में एस्ट्रेजेनिका के साथ मिलकर उत्पादन कर रहे सीरम इस्टीट्यूट ने कोरोना महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अदार पूनावाला के टाइम प्रोफाइल में कहा गया है कि, ‘महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, और पूनावाला अभी भी इसे समाप्त करने में मदद कर सकते हैं. वैक्सीन असमानता जरूर है और दुनिया के एक हिस्से में टीकाकरण में देरी के वैश्विक परिणाम हो सकते हैं, जिसमें अधिक खतरनाक रूपों के उभरने का जोखिम भी शामिल है.