मोदी सरकार से सीधे टकराने के मूड में ‘ममता दीदी’, एनपीआर की कार्रवाई को कहा साफ ‘ना’

गृह मंत्रालय को भेजी इनकार भरी चिट्ठी, एनपीआर की कार्रवाइयों को नागरिकों के लिए नुकसानदेह बताते हुए स्थगित करने की मांग की, दुविधा में फंसा विभाग

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू हो चुका है और इस पर प्रभावी कदम उठाने के लिए केंद्र सरकार योजना बना रही है. सीएए और एनआरसी के साथ एनपीआर पर विरोध देशभर में अभी भी जारी है. इसी बीच बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार से सीधे टकराने के मूड में आ गई हैं. बंगाल सरकार ने एनपीआर की कार्रवाइयों में सहभागी बनने से साफतौर पर इंकार कर दिया है. बंगाल के साथ केरल सरकार ने भी एनपीआर में भागीगारी से मना किया है. गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) को केरल और बंगाल की सरकारों की तरफ से चिट्ठी मिली है. चिट्ठी में एनपीआर की कार्रवाइयों को नागरिकों के लिए नुकसानदेह बताते हुए स्थगित करने की मांग की गई है.

बंगाल और केरल की इनकार भरी चिट्ठी मिलने के बाद अब गृह मंत्रालय दुविधा में है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि राज्यों की सरकारों का एनपीआर की कार्रवाइयों का हिस्सा नहीं बनने पर केंद्र सरकार का क्या रुख रहेगा. क्योंकि सीएए के मुद्दे पर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी सूरत में राज्य सरकारों का विरोध बर्दास्त नहीं किया जाएगा. ऐसे में एनपीआर पर केंद्र सरकार का रूख विचलित करने वाला हो सकता है. ये भी साफ नहीं है कि आरजीआई की तरफ से जिस सूचना की मांग की गई है उसे ऐच्छिक बनाया गया या नहीं.

इससे पहले नागरिकता नियम 2003 के तहत घर के मुखिया को सही सूचना नहीं देने पर सजा या दी हुई सूचना गलत पाये जाने पर एक हजार रुपये का जुर्माना था. 2010 में भी एनपीआर फॉर्म में सजा के बारे में लिखा गया था. लेकिन नए एनपीआर फॉर्म में इस तरह की चेतावनी को हटा दिया गया है. इस बार एनपीआर की कार्रवाई के पहले चरण में नये एनपीआर फॉर्म में लोगों से आधार नंबर, मोबाइल नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, वोटर आईडी नंबर, मातृभाषा, माता-पिता के जन्म की तिथि और जगह के बारे में पूछा गया है जो नए हैं. फाइनल एनपीआर के फॉर्म में पैन नंबर के सवाल को हटा दिया गया है.

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गृह मंत्रालय के सूत्र का कहना है कि हमें राज्य सरकार की मंशा पर यकीन करने का कोई तर्क समझ नहीं आ रहा है. सभी सरकारें जनगणना के संचालन के इरादे को अधिसूचित कर चुकी हैं. यहां तक कि केरल और बंगाल की सरकारों ने भी एनपीआर के पहले चरण के लिए जनगणना अधिकारियों को अधिसूचित कर दिया है. इससे पहले राज्य सरकारें एनपीआर की कार्रवाइयों में शामिल हो चुकी हैं. बंगाल ने तो एनपीआर का डाटा राशन कार्ड में इस्तेमाल किया है.

बता दें, एनपीआर के पहले चरण में मकान और उसमें रहने वाले लोगों को चिन्हित किया जाना है. घर के मुखिया के दिये जवाब के आधार पर भारत की जनगणना तैयार होगी. यही डाटा राज्य सरकार और केंद्र की योजनाओं के लिए भी काफी अहम होगा.

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