पॉलिटॉक्स ब्यूरो. अपने राजनीतिक कटू वचनों के लिए जानी जाने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बिना नाम लिए महाराष्ट्र और बंगाल के राज्यपाल की जमकर क्लास ली. बिना नाम लिए दोनों गवर्नर पर निशाने साधते हुए ममता ने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाजपा के मुखपत्र की तरह काम कर रहे हैं. ये नामित व्यक्ति अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे, साथ ही समानान्तर सरकार चलाना चाहते हैं. ये निशाना बंगाल के राज्यपाल (Jagdeep Dhankad) और महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर था.
ममता (Mamata Banerjee) ने कहा, ‘हमारे संविधान के अनुसार, संघीय ढांचे को काम करना चाहिए और उन्हें काम करने देना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकार को संवैधानिक प्रावधान के अनुसार काम करना चाहिए लेकिन कुछ नामित व्यक्ति अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं. मुझे लगता है कि केंद्र सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए‘.
बता दें कि तीन हफ्ते की राजनीतिक उठापटक के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया लेकिन इसके कुछ ऐसी कमियां रह गयी जिनका चारों तरफ जमकर विरोध उठा. केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की प्रदेश इकाई को ज्यादा जबकि अन्य सभी को आधे से भी कम समय देकर सरकार बनाने का दावा पेश करने का अवसर अखरने वाला फैसला रहा. वहीं रात 8:30 बजे का समय निर्धारत करने के बाद दोपहर 12 बजे से ही राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी शुरू हो गयी. (Mamata Banerjee)
दरअसल, एनसीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए सुबह 11:30 बजे राज्यपाल को एक चिट्ठी लिखकर अतिरिक्त समय देने की मांग की. इस खत को आधार बनाते हुए राज्यपाल ने मोदी कैबिनेट को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जल्दबाजी दिखाते हुए ब्राजील रवाना होने से ऐन वक्त पहले बैठक लेकर इस सिफारिश की अनुशंसा कर दी और तुरंत रवाना हो गए. अब इस फैसले को केवल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का इंतजार था और वे दिल्ली से बाहर थे.
तब तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा कर दी जिसमें पहले से निर्धारित था कि वे महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का ऐलान करने वाले हैं. आनन फानन में राष्ट्रपति जी भी दिल्ली आ गए और तुरंत प्रभाव से इस प्रस्ताव को सहमति दे दी. शाम 5 बजने से पहले तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया जबकि प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी राकंपा के पास अभी भी सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए साढ़े तीन घंटे से अधिक समय शेष था. सरकार की जल्दीबाजी वाले इस फैसले का चारों तरफ जमकर विरोध हुआ.