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पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अमित शाह के रोड शो में हुई हिंसा के बाद कल देर रात चुनाव आयोग ने बंगाल में सभी दलों के चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी है. यह रोक तय समय सीमा से 19 घंटे पहले लगाई गई है. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद विपक्षी पार्टियों ने काफी सवाल खड़े कर दिए हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती, प्रकाश करात और रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग को रोक ही लगानी थी तो हिंसा के बाद ही क्यों नहीं लगाई. इसके लिए गुरुवार का इंतजार क्यों किया गया है.

नेताओं ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में हालात इतने खराब है तो रोक मंगलवार को रोड शो के तुरंत बाद ही लग जानी चाहिए थी. लेकिन आयोग ने रोक के लिए गुरुवार का दिन तय किया जो इस बात के संकेत देता है कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के कारण यह फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी आज बंगाल के मथुरापुर और दमदम में चुनावी सभा को संबोधित करने वाले हैं.

बता दें कि चुनाव आयोग ने गुरुवार रात 10 बजे बाद बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी है. यह पहला मौका है जब तय समय सीमा से पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगाई गई है. पश्चिम बंगाल ऐसा फैसला पाने वाला पहला राज्य है. वैसे अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार शुक्रवार को शाम बंद होना है.

इस मसले पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रचार बैन के रुप में अमित शाह और नरेंद्र मोदी को उपहार दिया है. पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब भी नहीं है कि समय से पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी जाए. चुनाव आयोग पूरी तरह से आरएसएस के लोगों से भरा हुआ है इसलिए बीजेपी को खुश करने वाले फैसले ले रहा है.

कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भी अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर बीजेपी और चुनाव आयोग को आड़े हाथ लिया है. पटेल ने कहा कि अगर बंगाल में हालात इतने चिंताजनक है तो रोक के लिए गुरुवार तक का इंतजार क्यों किया जा रहा है. क्या ऐसा इसलिए कि पीएम ने कल रैलियां तय की हैं?

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