राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों के साथ सत्ता और संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट हुई तेज

सूत्रों की मानें तो करीब आधा दर्जन मंत्रियों को परफॉर्मेंस के आधार पर हटाया जा सकता है मंत्री पद से, बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियों से कई विधायकों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी होगी दूर, संगठन में भी एक स्तर तक बदलाव के मिल रहे संकेत

राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट हुई तेज
राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट हुई तेज

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रदेश में हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों की एकजुटता की बदौलत कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को मिली जीत के बाद अब प्रदेश में एक बार फिर से बहुप्रतिक्षित राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट तेज हो गई है. इसके साथ ही प्रदेश में सत्ता और संगठन में भी कई तरह के बदलाव की चर्चाएं जोरों पर है. सूत्रों की माने तो जल्द ही पार्टी आलाकमान राजनीतिक नियुक्तियों सहित सत्ता और संगठन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव के लिए हरी झंडी दे सकता है.

सूत्रों की माने तो करीब आधा दर्जन मंत्रियों को परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्री पद से हटाया जा सकता है. इसके साथ ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को भी प्रस्तावित विस्तार में जगह दी जा सकती है. वहीं कुछ नए विधायकों को भी मौका दिया जाएगा. जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी उन्हें संसदीय सचिव बनाकर और राजनीतिक नियुक्तियों के जरिए संतुष्ट करने की रणनीति पर भी काम किया जा रहा है.

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पिछले करीब डेढ साल से कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता समय-समय पर राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. प्रदेश में करीब 52 बोर्ड, आयोगों, समितियों और अकादमियों सहित जिला और ब्लॉक स्तर तक करीब 10 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं. विधायकों से राजनीतिक नियुक्ति के लिए पात्र कार्यकर्ताओं की सूचियां भी सत्ता और संगठन में समन्वय स्थापित करने के लिए गठित कॉर्डिनेशन कमेटी द्वारा मार्च में ही मांग ली गई थी. सूत्रों के अनुसार राजनीतिक नियुक्तियों पर कागजी होमवर्क लगभग पूरा हो चुका है, अब केवल पार्टी आलाकमान का इशारा मिलते ही सूची जारी की जाएगी.

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प्रदेश में सत्ता और संगठन में समन्वय स्थापित करने के लिए सोनिया गांधी के निर्देश पर बनाई गई कॉर्डिनेशन कमेटी में भी एक या दो सदस्य नए शामिल हो सकते है. इस कमेटी में सदस्य मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की पिछले कुछ समय से तबीयत नासाज है ऐसे में इस कमेटी में एक दलित चेहरे को शामिल किया जा सकता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को भी कोआर्डिनेशन कमेटी में शामिल करने की चर्चाएं है.

प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की अध्यक्षता में बनी कॉर्डिनेशन कमेटी की मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में अहम भूमिका होगी. पिछले दिनों प्रभारी अविनाश पांडे और डिप्टी सीएम व पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने भी कहा था कि विस्तार से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों में कॉर्डिनेशन कमेटी फैसला करेगी. इसके साथ ही पायलट ने कहा था पार्टी के लिए 5 साल मेहनत करने वालों को मौका मिलेगा.

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इससे पहले प्रदेश में लॉकडाउन के बीच 29 अप्रेल को बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति, वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा समिति और बाल संरक्षण आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां दी गई थी. बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति में राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर की पुत्री वंदना माथुर को सदस्य बनाया गया था. इसके साथ ही बाल संरक्षण आयोग में शिव भगवान नागा, वंदना दुबे और नुसरत नकवी को सदस्य नियुक्त किया गया था. वहीं वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा राज्य स्तरीय समिति में कांग्रेस विधायक इंद्राज गुर्जर, पूर्व विधायक रमेश पंड्या, वरिष्ठ कांग्रेसी वीरेंद्र पूनियां और रणधीर सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया था.

बता दें, प्रदेश में बड़े स्तर पर पिछले लगभग डेढ साल से राजनीतिक नियुक्तियां लंबित है. गहलोत सरकार बनने के बाद पहले लोकसभा चुनाव फिर निकाय चुनाव, दिल्ली में पार्टी की भारत बचाओं रैली, पंचायत चुनाव के अलावा प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच चले आ रहे मतभेद के चलते ये राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं. सत्ता और संगठन में मतभेद को खत्म करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जनवरी माह में सात सदस्यीय समन्वय समिति का गठन भी किया था जिसका अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को बनाया गया था. इसके बाद तय किया गया था कि मार्च माह के अंत तक सभी राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा हो जाएंगी. इसी बीच कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते ये सभी राजनीतिक नियु्क्तियों पर एक बार फिर से विराम लग गया.

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गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावना के चलते की गई बाड़ाबंदी के दौरान नाराज विधायकों को केबिनेट और राजनीतिक नियुक्तियों में विशेष स्थान देने का वादा किया गया था. राज्यसभा चुनाव के बाद अब राजनीतिक नियुक्तियों और सत्ता के साथ साथ संगठन में भी एक स्तर तक के पदाधिकारियों के बदले जाने की संभावना है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस सप्ताह कुछ बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है.

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