पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र (Shivsena in Saamana) में पिछले 20 दिनों से जारी घमासान के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है लेकिन शिवसेना की एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सूबे में सरकार बनाने की कोशिश जारी है. इसी के तहत बुधवार को शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे पहली बार कांग्रेस नेताओं से मिलने होटल पहुंचे. दिनभर ब्रेकिंग न्यूज़ का दौर न्यूज़ चैनल्स पर चलता रहा. बुधवार देर शाम एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बैठक हुई. देर रात तक चलती रही इस बैठक के बाद भी यही बताया गया कि पहले आपस में मुद्दे तय करेंगे फिर शिवसेना के साथ बातचीत होगी.
महाराष्ट्र के इस सियासी घमासान के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Shivsena in Saamana) के जरिये अपनी भड़ास निकालते हुए महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति के लिए बीजेपी पर हमला बोला है. मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री (फडणवीस) ने चिंता व्यक्त की है कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण महाराष्ट्र में होने वाले निवेश पर विपरीत परिणाम होगा. ये उनका मिथ्या विलाप है. सामना में लिखा है कि ठीक है, हमने थोड़ा समय मांगा लेकिन दयालु राज्यपाल ने अब राष्ट्रपति शासन लागू करके हमें बहुत समय दे दिया है. ऐसा लगवरह है कि महाराष्ट्र पर जो राष्ट्रपति शासन का सिलबट्टा घुमाया गया है उसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी.
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वहीं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुखपत्र सामना (Shivsena in Saamana) में लिखा है कि, ”महाराष्ट्र का आकार और इतिहास भव्य है. यहां टेढ़ा-मेढ़ा कुछ नहीं चलेगा. इतने बड़े राज्य में सरकार स्थापना करने के लिए आप ४८ घंटे भी नहीं दे रहे होंगे तो ‘दया, कुछ तो गड़बड़ है’, जनता को ऐसा लग सकता है. छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लाद दिया लेकिन सरकार स्थापना के लिए दो दिनों की मोहलत नहीं बढ़ाई गई. ”
शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के फैसले को खेल बताते हुए लिखा है कि इसके पीछे कोई अदृश्य शक्ति का हाथ था. सामना में लिखा (Shivsena in Saamana) है, ”जो शिवसेना के साथ हुआ वही राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ भी हुआ. राष्ट्रवादी कांग्रेस को सत्ता स्थापना के लिए रात साढ़े आठ बजे तक की मोहलत दी गई थी. लेकिन थोड़ी मोहलत बढ़ाने और रात साढ़े आठ की बात तो छोड़िए दोपहर में ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर डाली. कम-से-कम आपने जो समय दिया था तब तक तो रुक जाते लेकिन मानो कोई ‘अदृश्य शक्ति’ इस खेल को नियंत्रित कर रही थी और उसके आदेशानुसार ही सारे निर्णय लिए जा रहे थे. ”
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शिवसेना ने कहा (Shivsena in Saamana), ”महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने वाला ‘इक्का’ राजभवन के हाथ में नहीं था, फिर भी उन्होंने उसे फेंका. जुए में ऐसे जाली पत्ते फेंककर दांव जीतने का प्रयास अब तक सफल नहीं हुआ है और महाराष्ट्र जुए में लगाने की ‘चीज’ नहीं है. सरकारें आएंगी, जाएंगी लेकिन अन्याय और ढोंग से लड़ने की महाराष्ट्र की प्रेरणा अजेय है.”