पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र की पल-पल करवट बदलती सियासत (Maharashtra Political Drama) अब धीरे धीरे थमती हुई नजर आ रही है. शनिवार को आंख खुलने के साथ जो चक्रवात महाराष्ट्र की आबो हवा में तेजी से धूम रहा था, वो अब जाकर थमने की कगार पर है. आज सुबह सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही विधानसभा में बुधवार शाम तक फ्लोर टेस्ट का निर्णय सुनाया, उसके कुछ ही घंटों बाद प्रदेश के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके एक घंटे बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा से दूसरी बार मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस ने भी अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया और उसके तुरंत बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया. इसके साथ ही रातों-रात बनी बीजेपी की यह सरकार करीब 80 घंटे में ही गिर गई.
अब सूबे में शिवसेना-राकंपा-कांग्रेस की गठबंधन वाली ‘शिराकां सरकार’ बनने जा रही है. शाम को तीनों दलों की होने वाली संयुक्त बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे को गठबंधन दल का नेता चुना जाना तय है. उसके तुरंत बाद तीनों दलों के प्रमुख नेता गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. (Maharashtra Political Drama) ऐसे में उद्दव ठाकरे बुधवार को विधानसभा में विधायकों के शपथ लेने से पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का ताज पहन सकते हैं. एनसीपी के विधायक दल के नेता जयंत पाटिल और कांग्रेस के विधायक दल के नेता बाला साहेब थोराट को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. इस्तीफा देकर फिर से एनसीपी में लौटे शरद पवार के भतीजे अजित पवार को फिलहाल कोई भी पद दिया जाना मुश्किल लग रहा है.
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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल उस वक़्त आया जब बीते शनिवार सुबह 8 बजे देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी-एनसीपी गठबंधन सरकार बनी और उसके बाद लगातार राजनीतिक पार्टीयों की बैठकों और प्रेस कॉन्फ्रेंस का दौर शुरु हो गया. इधर, भाजपा और अजित पवार निश्चिंत होकर अपने भवन में बैठे रहे. लेकिन शाम होते होते शरद पवार की ‘पावर’ के चलते अजित पवार के साथ गए 54 में से 42 विधायक पार्टी में वापिस लौट गए और 7 विधायकों ने पार्टी नेताओं से संपर्क साध लिया. शेष 5 विधायक एक बारगी तो दिल्ली जाने के लिए रवाना हुए लेकिन एकाएक शरद पवार की छत्रछाया में लौट आए. अकेले रह गए अजित पवार जिन्हें भी पार्टी में वापिस लाने की कोशिशें शुरू हो गई. इसी शाम तीनों प्रमुख दलों ने मिलकर राज्यपाल की अनुचित कार्रवाई और फडणवीस के सीएम पद की शपथ लेने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अगले 24 घंटों के भीतर बहुमत साबित करने की मांग की.
महाराष्ट्र संकट (Maharashtra Political Drama) के चलते रविवार की छुट्टी के बावजूद कोर्ट खुली और सभी दलीलें सुनकर सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी. सोमवार को फिर से सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय की 3 सदस्यीय बैंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद शाम को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मुंबई के होटल हयात में तीनों पार्टियों के सभी 162 विधायकों की परेड करा दी. अगली सुबह सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट में कमरा नंबर-2 पर टिकी हुई थी. ठीक 10 बजकर 35 मिनट पर आया कोर्ट का सुप्रीम फैसला ‘महाराष्ट्र में बुधवार तक फ्लोर टेस्ट’. जैसे ही ये फैसला आया, शायद तब तक भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के पैरों से जमीन खिसक चुकी थी.
इस बीच एनसीपी के नेताओं और पवार परिवार द्वारा अजित पवार को मनाने और वापिस बुलाने का सिलसिला जारी रहा. फैसले के करीब साढ़े तीन घंटे बाद अजित पवार ने हथियार डाल दिए और 78 घंटे डिप्टी सीएम रहकर सीएम फडणवीस को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद से ही कयास चल निकले कि फडणवीस सरकार गिरना तय है और हुआ भी कुछ ऐसा ही. करीब 80 घंटे तक चली ये सरकार देवेंद्र फडणवीस के राज्यपाल को इस्तीफा देते ही गिर गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फडणवीस ने सरकार गिरने का पूरा ठीकरा आदित्य ठाकरे पर फोड़ अपना पल्ला झाड़ लिया.
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बता दें, अजित पवार समेत एनसीपी के पास 55, शिवसेना के पास 56 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. शिवसेना को 8 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है. ऐसे में तीनों पार्टियों के पास कुल 163 विधायकों का जनाधार हो गया है जो बहुमत से कहीं अधिक है. खबर लिखे जाने तक महाराष्ट्र का माहौल शांत है केवल दोनों ओर से नेताओं की छुटपुट बयानबाजी जारी है. एक ओर, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के नेता भाजपा को ‘जनमत को अगवा करने वाली अल्पमत सरकार’ बता रहे हैं, वहीं बीजेपी शिराकां को तीन पहियों वाली अस्थिर सरकार का दावा कर रहे हैं.
खैर जो भी हो, बुधवार विधानसभा में विधायकों की शपथ ग्रहण के बाद होने वाले बहुमत परीक्षण के साथ ही महाराष्ट्र की जनता को उनकी नई सरकार और नया मुख्यमंत्री मिल जाएगा. (Maharashtra Political Drama) सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए भाजपा के 8 बार के विधायक कालीदास कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है जो खबर लिखे जाने तक राजभवन में स्पीकर की शपथ ग्रहण कर चुके हैं. अब केवल 24 घंटों से भी कम का समय बचा है और महाराष्ट्र में महीनेभर से चल रही राजनीतिक उठापटक को भी विराम मिल जाएगा.