बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के प्रत्याशी और अब तक बीकानेर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड रखने वाले अर्जुनराम मेघवाल इस बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. अपने पहले दो चुनावों से इतर इस बार अर्जुन राम मेघवाल के लिए चुनाव जरा टेढ़ा है. वे अपनों के विरोध से जूझ रहे हैं.
टिकट मिलने के साथ ही अर्जुनराम मेघवाल पूरी तरह से सक्रिय हो गए थे. यही कारण रहा कि टिकट घोषित होने से पहले ही दिल्ली के गलियारों को छोड़कर बीकानेर में पूरी तरह से डेरा डाल दिया था, क्योंकि उन्हें पता था अगर अगले पांच साल दिल्ली के सियासी गलियारों में धमक करनी है तो समय रहते बीकानेर की सड़कों को नापना होगा.
टिकट घोषणा में कांग्रेस से बाजी मारने वाले अर्जुन मेघवाल प्रचार के पहले दौर में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मदन मेघवाल से पिछड़ गए थे, क्योंकि कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी का विरोध पूरी तरह से मुखर हो चुका था और अर्जुनराम को प्रचार अभियान की शुरुआत के साथ ही काले झंडे दिखाकर भाटी समर्थकों विरोध किया था. वहीं, दूसरी ओर सूबे के मुखिया अशोक गहलोत बीकानेर में ताबड़तोड़ सभाएं कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रहे थे.
नामांकन तक लगातार हुए विरोध के बावजूद अर्जुनराम प्रचार को धार देने में कामयाब हुए हैं. दूसरी ओर जोधपुर समेत 13 सीटों पर हुए प्रथम चरण चुनाव में जिले के बड़े कांग्रेसी नेताओं, जिनके भरोसे मदन मेघवाल टिकट लेकर आए या यूं कहें कि जिन लोगों ने मदन मेघवाल को टिकट दिलाया, उनमें से मंत्री बीडी कल्ला जोधपुर और भंवर सिंह भाटी सिरोही में व्यस्त हो गए. वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी अन्य सीटों पर प्रचार में चले गए.
ऐसे में मदन मेघवाल अकेले ही प्रचार में घूमते रहे हालांकि अन्य विधानसभाओं में स्थानीय नेता उनके साथ रहे, लेकिन यह वही नेता हैं जो मदन मेघवाल के समानांतर दूसरे प्रत्याशी को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे. लिहाजा मदन मेघवाल पूरी तरह से प्रचार में अकेले नजर आए. यानी प्रचार के दूसरे दौर में अर्जुन मेघवाल ने मदन मेघवाल पर बढ़त हासिल कर ली है. अर्जुनराम ने पूरे लोकसभा क्षेत्र को कवर कर लिया है.
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पूरी तरह से बीजेपी उम्मीदवार के विरोध के भरोसे खुद की जीत मानकर बैठी है तो अर्जुनराम खुद के विरोध पर मोदी के नाम के छींटे डालकर उसको शांत करने का प्रयास कर रहे हैं. दोनों प्रत्याशियों में संपर्क के मामले में अर्जुन का पलड़ा निश्चित रूप से मदन से भारी है, क्योंकि वे तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनके पास पार्टी के साथ ही खुद के समर्थकों की फौज है.
दूसरी ओर मदन मेघवाल को खुद का चेहरा बता कर पार्टी नेताओं और अर्जुन के विरोध में वोट का ही भरोसा है. उनको पहली बार चुनावी मैदान में होने की वजह से पहचान और परिचय से जूझना पड़ रहा है. लोकसभा क्षेत्र में आम मतदाताओं से ही नहीं, कांग्रेसी कार्यकर्ता से भी मदन मेघवाल को रूबरू होना पड़ रहा है.
वहीं, इन सबके बीच बीजेपी के प्रदेश और जिला संगठन के बड़े नेता पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के लिए लामबंद होकर काम करते हुए नजर आ रहे हैं. बीजेपी ने यहां प्रदेश महामंत्री कैलाश मेघवाल, झुंझुनूं से दशरथ सिंह शेखावत को टास्क देकर कैंप करवा दिया है. कांग्रेस की बात करें तो स्थानीय संगठन और विधानसभा के चुनाव में जीते और हारे प्रत्याशी ही मदन मेघवाल के लिए सहारा हैं.
बीकानेर में मतदान 6 मई को है. मदन मेघवाल ने 18 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था. उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट बीकानेर आए थे. इसके बाद कांग्रेस का कोई बड़ा नेता बीकानेर नहीं आया है. यानी प्रचार पूरी तरह से प्रत्याशी मदन मेघवाल के कंधों पर ही है. उन्हें पहले चरण का मतदान होने के बाद बड़े नेताओं के सक्रिय होने की उम्मीद है.
बीजेपी की बात करें तो पार्टी के बड़े नेता लगातार बीकानेर का दौरा कर रहे हैं. सबसे बड़ा दौरा 3 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होगा. प्रचार खत्म होने से ठीक एक दिन पहले होने वाली यह सभा जीत-हार तय करने में अहम पड़ाव साबित होगी मोदी के नाम पर वोट मांग रहे अर्जुनराम मेघवाल को पीएम की सभा से जीत की हैट्रिक लगने की उम्मीद है.