Maharashtra Politics: एक तरफ जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना चल रही है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में सियासी वातावरण गर्म होता जा रहा है. चुनावी परिणामों के बाद महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है. ऐसे में महाराष्ट्र कांग्रेस में टिकट को लेकर लॉबिंग शुरू हो गयी है. हालांकि अभी तक अब तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है लेकिन उससे पहले प्रदेश कांग्रेस का सिरदर्द बढ़ता नजर आ रहा है. राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक के माथे पर बल पड़ने लगे हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी और कांग्रेस को मिली अप्रत्याशित सफलता के बाद लोगों में हिम्मत जगने लगी है. ऐसे में चुनावी तारीखों से पहले ही विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए इच्छुक लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है.
महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई के पास अब तक 2000 से ज्यादा लोगों के आवेदन आ चुके हैं, जो प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इतनी भारी संख्या में आवेदन आने के बाद कांग्रेस भी खासी चिंता में है. उन्हें अभी से भीतरघात और बागियों की तोड़फोड़ का खतरा सामने नजर आ रहा है.
कांग्रेस के पास केवल 100-110 सीटें
महाविकास अघाड़ी गुट में सबसे बड़े दल होने का फायदा कांग्रेस को हो सकता है. शिवसेना और एनसीपी में टूट हो चुकी है. ऐसे में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी कांग्रेस के पास ही है. इस नाते 288 सीटों में कांग्रेस के पास 100 से 110 सीटें आ सकती हैं. 80 से 90 सीटें उद्धव ठाकरे समर्थित शिवसेना और करीब इतनी ही सीटें शरद पवार समर्थित एनसीपी के पास आ सकती हैं. अन्य 8 से 10 सीटें गठबंधन में शामिल छोटी पार्टियों को दी जाएंगी. इस हिसाब से देखा जाए तो हर सीट पर औसतन 20 से 25 आवेदन कांग्रेस के पास आए हैं. इनमें से एक को चुनना मुश्किल साबित होगा.
सबसे ज्यादा आवेदन मराठवाड़ा-विदर्भ से
सबसे ज्यादा आवेदन मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों से मिले हैं. इन आवेदकों से ऐसा लग रहा है जिस कार्यकर्ता को सीट नहीं मिला, वह बागी बन सकते हैं जो कांग्रेस सहित महाविकास अघाड़ी की मुश्किलें भी बढ़ा सकती है. जिस तरह से कांग्रेस के पास आवेदकों की भीड़ उमड़ रही है, इसे लोकसभा चुनाव के नतीजों का परिणाम बताया जा रहा है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. कांग्रेस के 13 सांसदों ने जीत हासिल की.
वहीं दूसरी ओर, जिन उम्मीदवारों को कांग्रेस टिकट नहीं देगी, वह बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं जो कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी का खेल खराब कर सकती है.



























