PoliTalks.News/Ayodhaya. अयोध्या के राम मंदिर का शिलान्यास होने में अब 12 घंटे से भी कम का समय शेष है. अयोध्या में जहां तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, वहीं मध्य प्रदेश में इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है. एक ओर, कांग्रेस राम मंदिर का शिलान्यास होने की खुशी में हनुमान चालीसा, अखंड रामायण पाठ आदि करा रामधुन में खोई हुई है, तो बीजेपी नेता कांग्रेस पर राम मंदिर का श्रेय हथियाने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भगवा चोला धारण कर दिया है. दूसरी तरफ राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता रहे लाल कृष्ण आडवाणी को भूमि पूजन में न बुलाए जाने पर प्रख्यात राष्ट्रीय कवि एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन ने नाराजगी जाहिर की है. सत्तन ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के सुयश का कोई असली हकदार है तो वह लालकृष्ण आडवाणी हैं.
अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रख्यात सत्तन ने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने का काम आडवाणी ने रथयात्रा निकालकर किया था. नरेंद्र मोदी ने भी आडवाणी के नेतृत्व में ही प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय किया है. वरिष्ठ नेता ने एक व्रतांत सुनाते हुए कहा कि जब भगवान राम की सभी ने प्रशंसा की लेकिन एक धोबी ऐसा भी था जिसने अकड़ कर कहा कि काहे के राम. ठीक उसी प्रकार से बहुत सारे लोग हैं जिनका यह कहना है कि यह काम उन्होंने (नरेन्द्र मोदी) किया, इसलिए उन्हें पूजन का सौभाग्य मिल रहा है.
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बीजेपी नेता के साथ राष्ट्रीय कवि रहे सत्तन ने कहा कि हमारी सनातन परंपरा के अनुसार जिसे पूजन का अधिकार मिलता है, वह नि:संदेह पुन्यात्मा होती है. उनके सतकर्मों का परिणाम है कि वह राम मंदिर की स्थापना करेंगे तो वह चिरकाल तक जीवित रहेंगे और अमरत्व को प्राप्त करेंगे. राम भगवान की सेवा करने वालों को यह मिल ही जाता है लेकिन इस सुयश को लेकर बहुत सारे लोगों के मन में पीड़ा है क्योंकि अगर कोई इस सुयश का असली हकदार है तो वो लालकृष्ण आडवाणी हैं.
सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे को जन-जन के मन में स्थापित करने के लिए रथयात्रा लाल कृष्ण आड़वाणी ने निकाली. उसी रथयात्रा में आडवाणी ने नरेंद्र मोदी को अपने साथ शामिल किया. उन्हीं आडवाणी के व्यक्तित्व के नेतृत्व में अपनी यात्रा करते हुए मोदी प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे लेकिन इन्होंने वही किया, जो उन्हें नहीं करना था. सत्तन ने आगे कहा कि जो इन्हें रोक सकते थे, टोक सकते थे.. उनको हटा दिया गया, अब आडवाणी कहीं नहीं है.. नरेंद्र ही सब कुछ है.
बता दें, राम मंदिर शिलान्यास और भूमि पूजन बुधवार को दोपहर सवा 12 बजे रखा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने हाथों से मंदिर का शिलान्यास करेंगे. कार्यक्रम में 170 वीआईपी को बुलाया गया है जिनमें 130 साधु संत हैं जो देशभर से यहां आ रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के अगुवा लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञों के साथ सुप्रीम कोर्ट में रामलला का केस लड़ने वाले के.परासरण को धार्मिक समारोह में नहीं बुलाया गया जिससे बीजेपी नेताओं में रोष है. अंतिम समय में इन सभी का नाम निमंत्रण सूची से हटाया गया है.