Politalks.news/Rajasthan. बिहार और गुजरात सरीखे राज्यों में शराब पर पाबंदी है. राजस्थान में भी समय समय पर शराबबंदी को लेकर आवाज उठती रही है. ऐसी ही एक आवाज राजस्थान विधानसभा में भी गूंजी, जब बीजेपी विधायक ने सूबे की गहलोत सरकार से शराबबंदी को लेकर सवाल पूछा तो सरकार ने तो टूक अंदाज में कहा कि, ‘हम शराब को बंद नहीं कर सकते’. बीजेपी विधायक के सवाल पर लिखित में जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि, ‘हम प्रदेश के लोगों को अच्छी क्वालिटी की शराब बेचकर अपना सरकारी खजाना भरना चाहते हैं. फिलहाल शराब पर पाबंदी को लेकर सरकार का कोई प्रस्ताव सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है’. अब गहलोत सरकार के इस तरह के बयान के बाद प्रदेश में एक बार फिर सियासी गहमागमी होना लाजमी है.
रामगंजमंजी से भाजपा विधायक और प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर के लिखित सवाल के जवाब में सरकार ने यह बात कही. बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान विधानसभा में सरकार से सवाल पूछा कि, ‘प्रदेश में गंभीर हादसे होने के बावजूद भी क्या सरकार द्वारा शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित करना उचित और अनिवार्य नहीं है?’ मदन दिलावर ने अपने सवाल में पूछा कि, ‘शराब के सेवन से पिछले 2 वर्षों में प्रदेश में शराबियों ने महिलाओं एवं बच्चियों से बलात्कार, हत्या, लूट, चोरी की वारदाते कब कब और कहां हुई? साथ ही सरकार ये भी जवाब दे कि क्या इस तरह के हादसे होने के बावजूद भी क्या शराब को पूर्णतः प्रतिबंधित करना उचित एवं अनिवार्य नहीं है? और अगर ऐसा नहीं है तो क्यों ?’
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बीजेपी विधायक मदन दिलावर के लिखित सवाल का सरकार की ओर से जवाब आया है कि, ‘राज्य में फिलहाल मद्य संयम नीति लागू है. जिसके तहत सरकार की ओर से अवैध मदिरा गतिविधियों पर कार्रवाई की जाती है. मदिरा उत्पादों पर नियंत्रण रखते हुए मदिरा उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त शराब उपलब्ध कराने के साथ समुचित राजस्व का अर्जन किया जाना सरकार का उद्देश्य है. वर्तमान में राज्य में शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है’. तो वहीं पिछले 2 वर्षों में हुए हादसों का जिक्र करते हुए सरकार ने जवाब दिया कि, ‘प्रदेश में 2019 एवं 2020 में शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से कुल 73 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसकी वजह से 37 लोगों की जान गई है और 64 लोग घायल हुए हैं’.
आपको बता दें कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पहले भी शराबबंदी को लेकर मद्य संयम की नीति को अपनाने की बात कहती आ रही है. लेकिन सरकार द्वारा शराबबंदी को लेकर इस तरह का बयान पहली बार सामने आया है. सरकार के बयान के अनुसार सरकार का शराब न बंद ना करने के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है सरकार खजाना भरना. बता दें कि सरकार ने इस साल शराब से करीब 13 हजार करोड़ की आय का टारगेट रखा है.
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माना तो यह भी जा रहा है कि जिस तरह सरकार ने शराबबंदी को लेकर बयान दिया है उसके बाद सियासी बयानबाजी का दौर शुरू होना तय है. सरकार के जवाब के अनुसार उसका मकसद अच्छी क्वालिटी वाली शराब को बेचकर ज्यादा से ज्यादा पैसा सरकारी खजाने में जमा करना है. इससे पहले आजतक किसी भी सरकार की ओर से इस तरह का जवाब नहीं आया है. शराबबंदी एक मुख्य मुद्दा है जिसे लेकर प्रदेश में कई जगह आंदोलन भी किये गए.
आपको बता दें कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के कार्यकाल में भी शराबबंदी की गई थी, लेकिन कुछ महीने बाद ही यह मॉडल फेल हो गया और सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. वहीं शराबबबंदी को लेकर पूर्व निर्दलीय विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने भी बीजेपी की वसुंधरा सरकार के खिलाफ अनशन किया था जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. उस वक्त भी शराबबंदी को लेकर सियासी विवाद बढ़ गया था. फिलहाल गुरशरण छाबड़ा की मौत के बाद उनके परिजन अब भी शराबबंदी की मुहिम चलाए हुए हैं.