लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राजधानी लेह सुलग उठी. सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की 35 दिनी भूख हड़ताल में शामिल सैंकड़ों स्थानीय लोग एवं युवा सड़कों पर उतर आए और बीजेपी सहित हिल काउंसिलके दफ्तर में तोड़फोड़ की. सुरक्षा बलों की गाड़ियों को फूंक दिया. इमारतों को भी आग के हवाले करने की सूचना मिल रही है. हालात काबू करने के लिए पुलिस बल द्वारा की गयी लाठीचार्ज एवं फायरिंग में चार लोगों के मरने की खबर है. हिंसा में 22 पुलिसकर्मियों सहित 59 घायल हुए हैं. लेह प्रशासन ने एहतियातन जिले में कफ्यू लगाया है, जबकि हिंसा के चलते वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त कर दिया है.
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इधर, केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को हिंसा का जिम्मेदार बताया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हिंसा वांगचुक के भडकाउ बयानों से प्रेरित थी. राजनीतिक लोग लद्दाखी समूहों में चल रही बातचीत से खुश नहीं थे.’ केंद्रीय सूत्रों से यह भी पता चला है कि लद्दाख अपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के प्रतिनिधियों की उच्चाधिकारी पन्राप्त समिति की सरकार के साथ एक बैठक 6 अक्टूबर को होनी थी लेकिन एलएबी के आग्रह पर इस बैठक को 25 एवं 26 सितंबर को रखा गया था लेकिन इससे पहले ही हिंसा भड़क गयी.
कांग्रेस पर भड़की बीजेपी
बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं पर लेह में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने आरोप लगाया है, ‘हिंसा फैला रहा शख्स फुंतसोग स्टेंजिग त्सेपंग है, जो कांग्रेस का पार्षद है. वीडियो में वही उकसाते हुए दिख रहा है. क्या यही वो अशांति है, जिसकी कल्पना राहुल गांधी कर रहे हैं? राहुल गांधी युवाओं को उकसाने और देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.’
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख 4 मांगें
- लद्दाख बने पूर्ण राज्य
- संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा
- करगिल-लेह अलग लोकसभा सीट हो
- सरकारी जॉब में लोकल लोगों की भर्ती
चार साल से चल रहा आंदोलन
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. वहीं संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए विशेष प्रावधान हैं, जिनमें स्वायत्त परिषदों के जरिए स्थानीय शासन, न्यायिक व्यवस्था व वित्तीय अधिकार दिए जाते हैं. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर एलएबी और केडीए विगत चार वर्षों से आंदोलन कर रही है. एलएबी लद्दाख के सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक समूहों का दल है और वांगचुक इसी के सदस्य हैं. वांगचुक भी इसी मुद्दे पर 35 दिनों के अनशन पर हैं. 15वें दिन अनशन में शामिल दो बुजुर्गों की हालत बिगड़ने से युवा बॉडी भड़क गयी और परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया.



























