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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कटारिया से आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे वक्त में जब चुनाव के परिणाम पार्टी के अनुकूल नहीं आए हैं उसे देखते हुए हमारी नैतिक जिम्मेदारी बढ़ जाती है. गहलोत ने कटारिया से इस्तीफा देने की बजाय कहा कि आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना करें और प्रदेश में सुशासन देने में अपनी भागीदारी निभाएं. उन्होंने कहा कि पूर्व में आप केंद्रीय मंत्री रहे हैं. अनेक बार विधायक रहे हैं. आपके अनुभव का प्रदेश को लाभ मिलेगा.

आपको बता दें कि लालचंद कटारिया ने लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के पिछड़ने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी. कटारिया लोकसभा की जयपुर ग्रामीण सीट के अंंतर्गत आने वाले झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. कांग्रेस यहां से पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से हारी थी. झोटवाड़ा से बीजेपी उम्मीदवार कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा पूनिया के मुकाबले करीब 1 लाख 14 हजार वोटे से आगे रहे.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश में सभी 25 सीटों पर बुरी तरह से हार गई. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और ज्यादातर मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी कांग्रेस से आगे रही. 200 विधानसभा क्षेत्रों में से महज 16 क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवार बीजेपी प्रत्याशी से आगे रहे. कांग्रेस की इस करारी हार के बाद सत्ता और संगठन में बदलाव की आवाज उठने ही लगी थी कि लालचंद कटारिया ने इस्तीफा देने की पेशकश कर दी.

हालांकि लालचंद कटारिया के इस्तीफे पर सियासी ड्रामा भी खूब हुआ. उन्होंने न तो मुख्यमंत्री को विधि​वत रूप से इस्तीफा भेजा और न ही राज्यपाल को. इस्तीफे के नाम पर एक प्रेस विज्ञप्ति सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें झोटवाड़ा से कांग्रेस की करारी हार के बाद नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का जिक्र था. इसमें भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ने की बात भी लिखी हुई थी.

इस्तीफे की प्रेस विज्ञप्ति सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ‘पॉलिटॉक्स’ ने उनसे कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. बाद में पता चला कि कटारिया उत्तराखंड में स्थित हैड़ाखान आश्रम चले गए थे. नैनीताल जिले में स्थित हैड़ाखान आश्रम नदी-नालों और पहाड़ों के बीच आकर्षक जगह पर स्थित है. इस आश्रम में भगवान शिव का मंदिर भी है. आश्रम में कई राजनेता और मशहूर लोग जाते रहते हैं. यहां से लौटने के बाद कटारिया मुख्यमंत्री गहलोत से मिले, जिसके बाद इस्तीफा अस्वीकार होने की खबर सामने आई.

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