Politalks.News/UttarpradeshChunav. उत्तरप्रदेश (UttarPradesh Assembly Election 2022) भाजपा में जोरदार भगदड़ मची है. एक से बाद एक मंत्री और विधायक पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं. चुनाव के ऐलान के बाद से अब तक 3 मंत्रियों समेत 14 विधायक भाजपा को अलविदा कह चुके हैं. सियासी गलियारों में इस भगदड़ को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. इसके कारणों पर बहस छिड़ी हुई है. लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा रोचक चर्चा इस बात की है कि आखिर किस रणनीति के तहत यूपी के उपमुख्यंमत्री केशव प्रसाद मौर्या (Keshv Prashad Maurya) ने ट्वीट कर स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) और दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chouhan) से पार्टी छोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया? हाल फिलहाल की राजनीतिक घटनाक्रमों में ऐसा कोई उदाहरण नहीं देखने को मिलता जिसमें सार्वजनिक रूप से पार्टी छोड़ने वालों से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया हो. सियासी जानकारों का कहना है कि एक खास रणनीति के तहत मौर्या से ये ट्वीट करवाए गए हैं. हालांकि वर्तमान में स्वामी प्रसाद और दारा सिंह दोनों समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं.
पार्टी छोड़ने वालों को मनाया जाता था लेकिन सार्वजनिक रूप से ….
भारतीय राजनीति में आमतौर पर यह देखने को मिला है कि जैसे ही कोई नेता पार्टी छोड़ता है उस पार्टी के सारे नेता उसके पीछे पड़ जाते हैं और उसकी आलोचना शुरू हो जाती है, भले उस नेता ने कितना ही समय उस पार्टी में क्यों न बिताया हो? उस लिहाज से स्वामी प्रसाद मौर्य या दारा सिंह चौहान तो भाजपा में अपेक्षाकृत नए थे और पार्टी छोड़ दी तो उनकी आलोचना करने के कई प्वाइंट थे. हालांकि आलोचना और बुराई हो भी रही है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि यूपी के उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को सार्वजनिक रूप से मनाने की कोशिश की. इससे पहले तक कुछ मामलों में नेताओं को फोन करके या मध्यस्थ भेज कर मनुहार के उदाहरण जरूर मिले हैं. लेकिन सार्वजनिक रूप से मनाने की हाल के दिनों की यह संभवतः पहली मिसाल है.
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स्वामी और चौहान ने छोड़ी पार्टी तो केशव मौर्या ने किया था फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह
यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या और दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के तुरंत बाद सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपने फैसले पर विचार करने की बात लिखी. जब मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्य सरकार में मंत्री पद और भाजपा छोड़ने का ऐलान किया तो केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विट किया कि, ‘आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूं. उनसे अपील है कि बैठ कर बात करें. जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं‘. ठीक इसी तरह इसके अगले दिन जब दारा सिंह चौहान ने इस्तीफा दिया तो केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विट किया कि, ‘परिवार का कोई सदस्य भटक जाए तो दुख होता है. जाने वाले आदरणीय महानुभावों को मैं बस यही आग्रह करूंगा कि डूबती हुई नाव पर सवार होने से नुकसान उनकी ही होगा. बड़े भाई दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिए‘.
आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूँ उनसे अपील है कि बैठकर बात करें जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 11, 2022
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परिवार का कोई सदस्य भटक जाये तो दुख होता है जाने वाले आदरणीय महानुभावों को मैं बस यही आग्रह करूँगा कि डूबती हुई नांव पर सवार होनें से नुकसान उनका ही होगा
बड़े भाई श्री दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिये— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 12, 2022
पार्टी का मैसेज- हम तो ससम्मान रोकना चाह रहे थे, लेकिन…..
ऐसे में अब सियासी गलियारों में सवाल उठ रहा है कि इस तरह सार्वजनिक रूप से नेताओं को मनाने का ट्विट करके केशव प्रसाद मौर्या क्या मैसेज दे रहे थे? क्या किसी रणनीति के तहत केशव प्रसाद मौर्या ने ट्विट किया या उनसे करवाया गया? माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्या से ये संदेश दिलवाया गया है कि पिछड़ी और दलित जातियों में यह मैसेज बनवाया जाए कि भाजपा ने उनके समाज के नेताओं को पूरे सम्मान के साथ रोकने का प्रयास किया? प्रदेश के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले केशव मौर्या से मैसेज करवाया गया, या इसके पीछे कोई गहरी कहानी है? सियासी जानकार बता रहे हैं कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पार्टी के अंदर चल रही भीतरघात की राजनीति की वजह से यह भगदड़ मची है. पिछले पांच साल मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के बीच कैसा संबंध रहा है यह सबको पता है. इसके चलते मुख्यमंत्री योगी के फेस के सिक्योर करते हुए केशव प्रसाद मौर्या से ये मैसेज करवाए गए.