कर्नाटक के सियासे तमाशे पर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर प्रहार किया है. साथ ही प्रदेश विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. असल में शिवसेना ने कर्नाटक की राजनीति में केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘कर्नाटक में सभी लोग लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं. दोनों दलों की ओर से किया जा रहा यह तमाशा केंद्र सरकार आराम से बैठकर देख रही है आखिर क्यों? या तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू करो या कर्नाटक विधानसभा को बर्खास्त करो.’ शिवसेना ने यह भी कहा कि कर्नाटक की जनता को ही निर्णय लेने दिया जाए. कुछ भी करो लेकिन कर्नाटक का यह नाटक एक बार खत्म करो.

दरअसल, कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट किया जाना है लेकिन गर्वनर वजुभाई वाला पटेल के दो बार डेडलाइन के बाद भी फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका. सदन और स्पीकर रमेश कुमार वोटिंग टालने के आरोपों से घिरे हुए हैं. आज भी सदन में फ्लोर होना है लेकिन पक्का नहीं है. जैसाकि सामना में भी लिखा है, ‘कर्नाटक में फिलहाल जो राजनीतिक तमाशा शुरू है वो आज भी समाप्त होगा, ये कहना कठिन है. बहुमत का निर्णय संसद या विधानसभा के सभागृह में होना चाहिए. लेकिन बहुमत गंवाकर बैठे कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में चर्चा कर समय गंवा रहे हैं. उन्हें सीधे मतदान करके लोकतंत्र का पक्ष रखना चाहिए था लेकिन उनकी सांस मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर ऐसी अटकी है कि वो छूटते नहीं छूट रही.’

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शिवसेना ने राज्यपाल, स्पीकर और सीएम पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और कुमारस्वामी ये तीन मुख्य पात्र इस खेल में अपने-अपने पत्ते फेंक रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने भी उसमें हस्तक्षेप किया है और 15 बागी विधायकों की पांचों उंगलियां घी में हैं. 15 बागी विधायकों का विधानसभा में उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं है और व्हिप का उल्लंघन कर दलबदल कानून के अंतर्गत उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, सर्वोच्च न्यायालय ने 17 जुलाई को ऐसा आदेश दिया था.’

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