हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (Haryana Assembly Election) – पलवल (Pawal) विधानसभा सीट
हरियाणा (Haryana) में विधानसभा चुनावों (Assembly Election) की तिथि की घोषणा अभी नहीं हुई है, ऐसी संभावना है की हरियाणा में नवंबर माह में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. इसके मद्देनजर विभिन्न दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. संभावित प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान छेड़ दिया है, प्रचार साधनों के माध्यम से वे उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. आज हम आपको हमारी खास रिपोर्ट में हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में हरियाणा के पलवल जिले की पलवल (Palwal) विधानसभा सीट के जमीनी हालात से रुबरु करवाएंगे.
हरियाणा के पलवल (Palwal) जिले के अंदर तीन विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें पलवल, होडल और हथीन शामिल हैं. पलवल सीट की गिनती प्रदेश की हाइप्रोफाइल सीटों में होती है. इसका प्रमुख कारण यहां के वर्तमान विधायक करण सिंह दलाल (Karen Singh Dalal) है. दलाल कांग्रेस (Congress) के बड़े नेता होने के साथ-साथ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) के समधी भी है. इस वजह इस सीट के चुनावी नतीजे पर पुरे प्रदेशभर की निगाहें होती हैं. पलवल विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा फरीदाबाद लगती है. पलवल विधानसभा क्षेत्र पर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के करण सिंह दलाल ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी दीपक मंगला को लगभग 6 हजार मतों से मात दी थी. इनेलो प्रत्याशी सुभाष चौधरी तीसरे स्थान पर रहे थे.
राजनीतिक इतिहासः
हरियाणा गठन के साथ ही पलवल विधानसभा क्षेत्र भी अस्तित्व में आया. पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा में 12 चुनाव हुए हैं. पलवल विधानसभा क्षेत्र में एक उपचुनाव सहित 13 चुनाव हुए हैं. यहां किसी एक दल का प्रभुत्व नहीं रहा है. यहां से इनेलो दो बार, कांग्रेस पांच बार, हरियाणा विकास पार्टी दो बार, आरपीआई, जनता पार्टी व आर्य सभा एक-एक बार और निर्दलीय एक बार चुनाव जीते हैं.
हरियाणा बनने के बाद 1967 में पहली बार चुनाव हुए, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी धन सिंह रावत ने भारतीय जनसंघ के मूलचंद मंगला को हराया था. धनसिंह रावत को 11374 व मंगला को 11012 मत मिले. एक साल बाद हुए 1968 के चुनाव में कांग्रेस के रूपलाल मेहता ने स्वतंत्र प्रत्याशी धन सिंह रावत को हराया. इस चुनाव में मूलचंद मेहता को 19232 वोट मिले तो वहीं धन सिंह रावत को 12,102 वोट मिले. यहां विधायक रूपलाल मेहता की मृत्यु के पश्चात उपचुनाव में कांग्रेस के कल्याण सिंह ने आर्य सभा के आचार्य रामानंद को पराजित किया. 1972 में आर्य सभा के श्याम लाल तेवतिया ने 24,253 वोट लेकर कांग्रेस के कल्याण सिंह को हराया. कल्याण सिंह को 19,919 वोट मिले.
यह भी पढ़े: बेरी सीट पर रघुवीर कादयान की सल्तनत को चुनौती दे पाएंगे मनोहर लाल खट्टर?
पलवल विधानसभा सीट पर 1977 में जनता पार्टी के मूलचंद मंगला ने कांग्रेस के कल्याण सिंह को हराया. इस बार मूलचंद को 24,127 वोट मिले तो वहीं कल्याण सिंह को सिर्फ 14112 वोट ही मिले. इसके बाद एक बार फिर 1982 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की झोली में आ गई. इस बार कल्याण सिंह ने अपनी पिछली दो हार का बदला लेते हुए 23463 वोट लेकर निर्दलीय सुभाष कत्याल को हराया, सुभाष कत्याल को 15232 वोट मिले. अगले 1987 के चुनाव में लोकदल के सुभाष कत्याल ने पिछले चुनाव से दुगने वोट 30602 लेकर कांग्रेस के किशन चंद दीक्षित को हराया. किशन चंद को सिर्फ 16139 वोट से सब्र करना पड़ा.
इसके बाद पलवल विधानसभा की सीट पर करण सिंह दलाल की एंट्री हुई जो कि करण सिंह की कर्मभूमि बन गई. पलवल सीट पर करण सिंह दलाल का 1991 में शुरु हुआ जीत का सिलसिला अगले चार चुनाव तक बदस्तूर जारी रहा. 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के बैनर पर करण सिंह दलाल ने 27882 मत लेकर कांग्रेस के नित्यानंद शर्मा को हराया. नित्यानंद शर्मा को 18008 वोट मिले. 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के बैनर पर ही करण सिंह दलाल ने बहुजन समाज पार्टी के सुभाष चौधरी को बुरी तरह से हराया. इस बार करण सिंह को 40,219 वोट मिले तो वहीं सुभाष चौधरी को सिर्फ 13,832 वोट ही मिले. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में करण सिंह दलाल ने रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के बैनर पर 37539 वोट लेकर इनेलो के देवेंद्र चौहान को हराया. देवेंद्र चौहान को 24,487 वोट मिले.
वर्ष 2005 का विधानसभा चुनाव करण सिंह दलाल ने कांग्रेस के बैनर पर लड़ा और अभी तक तक सबसे बड़ी जीत हासिल की. इस बार करण सिंह दलाल ने 58074 वोट लेकर इनेलो के सुभाष कत्याल को बड़े अन्तर से हराया. सुभाष कत्याल को 29751 वोट मिले. इस तरह करण सिंह दलाल दो बार हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर, एक बार आरपीआई और एक बार कांग्रेस के टिकट पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन साल 2009 के विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशलन लोकदल के सुभाष चौधरी ने दलाल की लगातार जीत पर ब्रेक लगा दिया. इनेलो के सुभाष चौधरी ने 51712 मत लेकर कांग्रेस के करण सिंह दलाल को हराया. लेकिन दलाल की हार का अन्तर कम रहा, दलाल को 45040 मत मिले.
2009 में दलाल का चुनाव हारना उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था. क्योंकि प्रदेश की सत्ता पर एक बार फिर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने वापसी की थी और करण सिंह दलाल को इस बार बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय था. इसके बाद दलाल ने 2009 में मिली इस हार का बदला साल 2014 के चुनाव में लिया. साल 2014 के चुनाव में पुरा हरियाणा मोदी लहर पर सवार था. बीजेपी ने प्रदेश की 46 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन बीजेपी की लहर में भी करण सिंह दलाल ने कांटे के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी दीपक मंगला को 5642 मतों से हराकर जीत हासिल की. दलाल को 57423 और मंगला को 51718 मत मिले।
हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के केवल 15 विधायक जीते थे, जिसमें सोनीपत और रोहतक जिले के अलावा पुरे हरियाणा में सिर्फ चार कांग्रेस उम्मीदवार ही चुनाव जीतने में कामयाब हो पाए, जिनमें तिगांव से ललित नागर, पलवल से करण सिंह दलाल, कैथल से रणदीप सिह सूरजेवाला, तोशाम से किरण चौधरी विजयी हुई थी.
यह भी पढ़े: आखिर पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा क्यों नहीं बन पाये प्रदेश अध्यक्ष?
सामाजिक समीकरणः
अगर बात करें पलवल विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों की तो पलवल विधानसभा क्षेत्र में जाट और गुर्जर समुदाय भारी तादाद में है. राजनीतिक पार्टियां भी इन दोनों जातियों में से ही किसी को अपना प्रत्याशी बनाती है. यहां से पंजाबी दो बार, वैश्य एक बार, गुर्जर तीन बार तथा जाट सात बार चुनाव जीते हैं. इलाके में दलित वोट होने के कारण बसपा का भी जनाधार है. पिछले चुनाव में बसपा प्रत्याशी ने दलित समुदाय के दम पर ही 15000 वोट हासिल किए थे.
विधानसभा चुनाव 2019:
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियों ने प्रत्याशी तलाशने शुरु कर दिए हैं. पार्टियों के वरिष्ठ नेता इलाकों में अपने मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में लग गए है. कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन में कोई समस्या नहीं है. क्योंकि अशोक तंवर के अध्यक्ष पद से हटने के बाद अब पार्टी पर पुरा नियंत्रण भूपेन्द्र हुड्डा का होगा, इसलिए टिकट एक बार फिर करण सिंह दलाल को मिलना पक्का है. पिछले चुनाव में इनेलो प्रत्याशी रहे सुभाष चौधरी ने बीजेपी जॉइन कर ली है. इस कारण बीजेपी के टिकट पर अभी संशय बना हुआ है. 2014 चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे दीपक मंगला भी टिकट के दावेदारी ठोक रहे हैं. इनेलो के पास प्रत्याशियों का अकाल है. इनेलो इस बार किसी नए प्रत्याशी पर दांव खेलेगी. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान कर दिया है कि बसपा हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ेगी और चूंकि पलवल विधानसभा में दलित वोट बैंक भी अच्छा खासा है इसलिए बसपा भी यहां अपना प्रत्याशी उतार सकती है.
जीत की संभावनाः
2019 के चुनाव में पलवल विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला इस बार भी पिछले चुनाव की तरह कड़ा देखने को मिलेगा. अगर जीत की संभावना की बात करें तो जीत मिलने की संभावना इस बार बीजेपी को ज्यादा है. हमारे इस अनुमान के पीछे सबसे बड़ा कारण हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत है. इस क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इतने कम समय में उस हार के अंतर को पाटना करण सिंह दलाल के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहेगा.