Politalks.News/Bihar. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने शुक्रवार को बिहार में चुनाव प्रचार का आगाज जोरदार तरीके से करते हुए नीतीश सरकार पर हमला बोला. खोदावंदपुर में राजद उम्मीदवार राजवंशी महतों के समर्थन में प्रचार करते हुए कन्हैया कुमार ने इस बार के चुनाव को आर-पार की लड़ाई बताया. उन्होंने सभा में कहा कि यह चेहरे की लड़ाई नहीं बल्कि नीति और नियत की लड़ाई है. जेएनयू के पूर्व छात्र अध्यक्ष ने महागठबंधन में 5 सहयोगी पार्टियों को पांच पांडव बताया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधते हुए कन्हैया कुमार ने नीतीश को बीजेपी की स्टैपनी कहा. इसके साथ ही चिराग पासवान के बिहार में एनडीए से अलग चुनाव लड़ने को बीजेपी की मिलीभगत बताया है.
सबसे पहले बात करें कन्हैया कुमार की चुनावी रैली की जिसमें हजारों की जनसभा को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने सत्ताधारी पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उनकी रीति नीति को आड़े हाथ लिया. दुष्यंत की कविता के साथ चुनावी आगाज करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा, ‘कैसे-कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस तालाब का पानी बदल दो यारों…क्योंकि तालाब के कमल भी अब कुम्हलाने लगे हैं’.
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की चुनावी रैली में नीतीश की तारीफ कर चिराग को भी नहीं किया निराश
कन्हैया कुमार ने कहा कि इस बार आर-पार की लड़ाई है और यह चेहरे की लड़ाई नहीं बल्कि नीति और नियत की लड़ाई है. इस बार का चुनाव चुनाव नहीं बल्कि बिहार को बचाने का और अपना भविष्य संवारने का चुनाव है. इस बार महागठबंधन के पांच सहयोगी पांडव सरकार को उखाड़ फेंकने में सक्षम है और जनता सरकार के दोहरी नीति को इस बार पूरी तरह सबक सिखाएगी.
कन्हैया कुमार ने कहा कि इस कोरोना काल मे बाहर रहने वाले मजदूरों को कितनी जिल्लत भरी जिंदगी जीनी पड़ी यह बिहार की जनता अभी तक नहीं भूली है. केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि अभी के माहौल में परमिशन और कमीशन का जो खेल चल रहा है उसे जनता पूरी तरह देख रही है. कन्हैया ने कहा कि कोरोना काल में केंद्र सरकार के द्वारा बत्तियां बुझाई गई, थाली पीटे गए लेकिन उससे कोई हल नहीं निकलने वाला. आम जनमानस को विकास चाहिए और यही सरकार का नारा भी होना चाहिए.
आखिर में कन्हैया ने कहा कि बिहार में बदलाव की बयार है और इस बार बदलाव होकर रहेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व में जिस तरह चुनाव नतीजों के बाद रिजोट-रिजोट का खेल खेला जाता है और विधायकों की खरीद-फरोख्त की जाती है वह किसी भी कीमत पर इस बार नहीं करने दी जाएगी और लोकतंत्र की रक्षा की जाएगी .
वहीं मीडिया से बात करते हुए कन्हैया कुमार ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर कहा कि नीतीश कुमार के खिलाफ कभी मैं अनर्गल बात नहीं करता हूं. सीएम नीतीश समाजवादी स्कूल से निकले हैं. कभी नीतीश की स्टेपनी बीजेपी थी लेकिन अब बीजेपी ने नीतीश को अपनी स्टेपनी बना ली है.
चिराग पासवान और उनकी पार्टी के अकेले चुनावी दंगल में उतरने के फैसले पर कन्हैया ने कहा कि बीजेपी के साथ के बिना यह हो ही नहीं सकता है कि एक पार्टी दिल्ली में एनडीए का पार्ट हो और यहां उसके खिलाफ चुनाव लड़े. कन्हैया ने कहा कि चिराग युवा हैं. इनके अंदर प्रतिभा है. उनका हक है कि वह चुनाव जैसा लड़ना चाहते हैं लड़े लेकिन चिराग जब एनडीए का हिस्सा है तो दिल्ली से बिहार पहुंचते-पहुंचते ऐसा क्या हो गया.
यह भी पढ़ें: चुनावी घोषणा पत्र में मुफ्त कोरोना टीके का वादा कर विपक्ष के निशाने पर आई भाजपा, यादव ने किया बचाव
तेजस्वी और कन्हैया की तुलना के मुद्दे को उन्होंने अनावश्यक बहस बताते हुए कहा कि जिस नेता के साथ मेरी तुलना की जा रही है, उनके साथ तुलना नहीं हो सकती. उनकी पार्टी के पास 80 विधायक हैं. वह विपक्ष के नेता है और मैं एक पार्षद भी नहीं हूं. उनके मां-बाप मुख्यमंत्री रहे जबकि मेरी मां आंगनबाड़ी की एक वर्कर है.
अपनी बातचीत के अंत में कन्हैया कुमार ने कहा कि राजनीति में नीति सबसे महत्वपूर्ण है. सवाल नेता का नहीं नीति का है. सवाल चेहरा का नहीं नियत का है. सवाल चेहरे से ज्यादा चरित्र का है. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता है. एक समूह की जरूरत होती है. एक टीम की जरूरत होगी. वहीं खुद चुनाव नहीं लड़ने पर कन्हैया कुमार ने कहा कि जो पार्टी कहेगी वही करेंगे. पार्टी कहेगी कि दरी बिछाएंगे तो वही करूंगा.