Politalks.News/MadhyaPradesh. नेशनल कांग्रेस में नए अध्यक्ष के लिए चुनाव को लेकर शुरू हुए घमासान का असर मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के परिणामों पर भी पड सकता है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी. सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी कांग्रेस को जय श्रीराम कह दिया था. इसके बाद तीन अन्य विधायक भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए. इस तरह ऑपरेशन लोटस के तहत कांग्रेस के 25 विधायकों ने पार्टी को नमस्त कर दी. इसी दौरान भाजपा और कांग्रेस के एक-एक विधायक का निधन हो गया. कुल मिलाकर 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है.
भाजपा यानि शिवराज सिंह को दरकार सिर्फ 9 विधायकों की
कमलनाथ की सरकार के जाने के बाद शिवराजसिंह एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या 230 हैं. इनमें से 27 सीटों पर उप चुनाव होंगे. उपचुनाव के बाद विधानसभा में बहुमत के लिए शिवराज को 116 विधायक चाहिए होंगे. अभी भाजपा के पास कुल 107 विधायक हैं. ऐसे में भाजपा को केवल 9 विधायकों की दरकार है.
कांग्रेस को जीतनी होंगी सभी 27 सीटें
कांग्रेस के पास इस समय 89 विधायक हैं. यानि 116 के आंकडे तक पहुंचने के लिए 27 विधायक चाहिए. उपचुनाव भी 27 सीटों पर हो रहे हैं. ऐसे में यदि दिग्गी राजा और कमलनाथ को कांग्रेस की सरकार फिर से बनानी है तो सभी 27 सीटें जीतनी होंगी.
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7 विधायकों के समर्थन से कमलनाथ की वापसी संभव
अगर कांग्रेस 27 में से 20 सीटें भी जीत लें तो उसे 7 विधायकों का समर्थन मिल सकता है. इनमें 4 निर्दलीय विधायक है. दो विधायक बीएसपी से और 1 विधायक सपा से है. यह सब मिलाकर 7 विधायक होते हैं. इनका समर्थन कमलनाथ और कांग्रेस को मिल सकता है. अगर ऐसा चमत्कार हो जाए तो कमलनाथ एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
मायावती ने बढा दी कमलनाथ की मुसीबत
कांग्रेस से नाराज होकर बैठी बसपा की बहन मायावती ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय करके कांग्रेस के लिए नई मुसीबत खडी कर दी है. पिछले कुछ समय से भाजपा के प्रति नरम रूख अपना रही मायावती ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. हालांकि सर्वे में बसपा की जीत नहीं बताई जा रही है लेकिन वो कांग्रेस के लिए ’’वोट काटू’’ की भूमिका में होगी. यानि की भाजपा को उसका सीधा-सीधा लाभ मिलेगां. हालांकि मध्य प्रदेश में बसपा के दो विधायक हैं और बीएसपी ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रखा था. लेकिन बसपा सभी 27 सीटों पर उपचुनाव लडकर अपने विधायकों की संख्या बढाना चाहती है.
नए नेतृत्व की मांग से कांग्रेस की छवि को नुकसान
मध्य प्रदेश के उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से चुनाव के जरिए नए अध्यक्ष की मांग के चलते गांधी परिवार के नेतृत्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है. इसका सीधा असर मध्य प्रदेश के मतदाताओं पर भी पडेगा. इस घटना के बाद भाजपा नेताओं को कांग्रेस पर निशाना साधने का पूरा मौका मिल चुका है. भाजपा इस अवसर को पूरी तरह भूनाएगी. गांधी परिवार पर तो भाजपा हमेशा से सवाल उठाती रही है, अब वो मतदाताओं से यह भी कहने से नहीं चूकेगी कि जिस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर ही झगडे चल रहे हैं, उस पार्टी के भविष्य पर कैसे भरोसा किया जा सकता है.