Politalks.News/MP. एमपी की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली हार की भड़ास कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निकाली. कमलनाथ ने सिंधिया पर कांग्रेस में रहते हुए अपने काम कराने का प्रेशर डालने की बात कही. प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने ये भी कहा कि उन्हें सिंधिया समर्थकों के हर षडयंत्र की जानकारी थी और उन विधायकों पर छापे डलवाने का दबाव भी था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वे बदले की भावना से काम नहीं करना चाहते थे. उपचुनाव में हुई हार की समीक्षा बैठक में कमलनाथ ने अपनी भड़ास सिंधिया पर निकालते हुए ये बात कही. इसके साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भी अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. कमलनाथ ने सिंधिया के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी निशाना साधा.
कमलनाथ ने सिंधिया पर हार का गुबार निकालते हुए कहा, ‘सरकार में रहते मुझ पर सिंधिया का काम करने के लिए चार रिटायर्ड अफसरों का प्रेशर रहता था. वे हमेशा वल्लभ भवन में रहते थे. सिंधिया समर्थकों द्वारा सरकार गिराने के षडयंत्र की हर मूवमेंट की जानकारी थी. उन पर छापे डलवाने विधायकों का दबाव मुझ पर था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि बदले की भावना मेरे डीएनए में नहीं है.’ कमलनाथ ने कहा कि सिंधिया के जाने के बाद भी हमने ग्वालियर-चंबल में 16 में से 7 सीटें जीती है.
वहीं सीएम शिवराज चौहान पर हमलावर होते हुए कमलनाथ ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि मैं हार के बाद मध्य प्रदेश छोड़ दूंगा, तो वे सुन लें.. हम 2023 का चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव नजदीक हैं, जिसमें पूरी तैयारी के साथ जनता के बीच जाएंगे. कमलनाथ ने सभी चुनावी उम्मीदवारों और जिला अध्यक्षों से उपचुनाव में हार का विश्लेषण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए. दीपावली के बाद एक बार फिर बैठक कर मंथन करने की बात कही.
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कमलनाथ ने कहा कि मैंने जब एक मई, 2018 को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाला था, मेरे सामने संगठन को मजबूत करने की चुनौती थी और सामने चुनाव थे. 15 साल से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं थी. कांग्रेस का झंडा हाथ में थामे रखने वाले हाथ में लेकर चल रहा कांग्रेस का कार्यकर्ता आशा कर रहा था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आए. मुझे सरकार में काम करने के लिए केवल 11 माह का वक्त मिला. इस दौरान मैं कई चुनौतियों से गुजरा हूं. किसानों की कर्जमाफी, युवाओं को रोजगार देना और प्रदेश में निवेश लाना प्राथमिकता रही.
कमलनाथ ने आगे कहा कि जब मैंने सीएम पद से 20 मार्च को इस्तीफा दिया, मेरे सामने दो रास्ते थे। पहला- मैं सब छोड़कर चले जाऊं. दूसरा- यहीं रहकर प्रदेश की जनता की सेवा करूं. मैंने तय किया कि मैं यहीं रहकर प्रदेश की जनता की सेवा करूंगा, कांग्रेस जनों को अकेला नहीं छोडूंगा. समीक्षा बैठक में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह के साथ विधायक, जिला अध्यक्ष और उपचुनाव में जीते एवं हारे उम्मीदवार शामिल रहे.