ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की पीएम मोदी से मुलाकात, कभी भी गिर सकती है कमलनाथ सरकार!

सिंधिया ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस अंदेशे को और मजबूती दे दी है, सिंधिया को मनाने में कांग्रेस अगर सफल नहीं हुई तो बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेजने का बड़ा दांव चल सकती है

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पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश में बड़ा सियासी संकट आ गया है. सूत्रों की मानें तो प्रदेश में कभी भी गिर सकती है कमलनाथ सरकार. कांग्रेस में नाराज चल रहे दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस अंदेशे को और मजबूती दे दी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की पीएम मोदी से मुलाकात, कभी भी गिर सकती है कमलनाथ सरकार!है. सूत्रों के मुताबिक सिंधिया को मनाने में कांग्रेस अगर सफल नहीं हुई तो बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेजने का बड़ा दांव चल सकती है. इससे एक तरफ जहां बीजेपी मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हो जाएगी, तो दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया के रूप में बीजेपी को एक और युवा चेहरा और मिल जाएगा.

मध्य प्रदेश में बदलते सियासी समीकरण के बीच गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली आवास पर देर रात बैठक हुई. अमित शाह के घर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे. इसी बीच, मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन भी अपनी छुट्टियां रद्द कर भोपाल पहुंच रहे हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा सुबह दिल्ली से भोपाल पहुंच गए हैं. बता दें, भोपाल में शाम 6 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी. इसके अलावा आज शाम 5 बजे कांग्रेस विधायक दल की भी बैठक होगी. नए सिरे से कमलनाथ सरकार का गठन होगा.

वहीं आज यानी 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की 75वीं की जयंती है. ऐसे में चर्चा ये भी है कि क्या इस खास दिन सिंधिया कोई बड़ा ऐलान करेंगे? बता दें, 1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे. वहीं 1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थीं और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थीं. मौजूदा सियासी हलचल के बीच अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता और दादी की तरह कुछ नया ऐलान करेंगे?

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वहीं, इस बीच कमलनाथ ने सभी मंत्रियों के इस्तीफे ले लिए हैं. लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सोमवार की रात मुख्यमंत्री आवास से निकलने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में मौजूद 20 मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं. हम भाजपा की घृणित चाल को पूरा नहीं होने देंगे.” वर्मा ने आगे बताया कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक मंगलवार को शाम पांच बजे बुलाई गई है.

आज शाम को होने वाली बीजेपी विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना जा सकता है. माना जा रहा है कि बीजेपी विधानसभा सत्र की शुरुआत में ही कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं. इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 बीजेपी, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं. कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है.

सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस से अलग होने के बावजूद सिंधिया किन्हीं कारणों से बीजेपी में शामिल नहीं होते हैं तब भी पार्टी उन्हें बतौर निर्दलीय राज्यसभा भेज सकती है. इस तरह उन्हें मोदी सरकार में भी शामिल होने का मौका मिल सकता है. सूत्रों का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रबल दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूक जाने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे, मगर दिग्विजय सिंह के रोड़े अटकाने के कारण नहीं बन पाए. फिर उन्हें लगा कि पार्टी आगे राज्यसभा भेजेगी, मगर इस राह में भी दिग्विजय सिंह ने मुश्किलें खड़ीं कर दीं. पार्टी में लगातार उपेक्षा होते देख सिंधिया ने बीजेपी के कुछ नेताओं से भी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया. इसी सिलसिले में बीते 21 जनवरी को शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया की करीब एक घंटे तक मुलाकात चली थी. उसी दौरान सिंधिया के बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने की चर्चा चली थी.

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार में सिंधिया समर्थक 6 मंत्री सहित 20 विधायक बैंगलुरु पहुंच गए हैं और इन सभी विधायकों के फ़ोन भी बन्द आ रहे हैं. इसने कांग्रेस की मुसीबत और बढ़ा दी है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सिंधिया का अगला कदम मध्य प्रदेश में बीजेपी या कांग्रेस, किसकी होली ‘रंगीन’ करेगा.