मध्यप्रदेश के भिंड में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का एक पोस्टर चर्चा का विषय बना हुआ है. इस पोस्टर में सिंधिया की तस्वीर के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की भी तस्वीर है. न्यूज एजेंसी ANI में छपी खबर के मुताबिक यह पोस्टर गुरुवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के भिंड आगमन पर बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने सिंधिया के अनुच्छेद 370 पर समर्थन के लिए लगाया है. इसके मीडिया में आने के बाद मध्यप्रदेश का राजनीतिक पारा एक दम से गरमा गया है.
दरअसल गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भिंड के दौरे पर थे. सिंधिया के नगर आगमन को लेकर पूरे शहर में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे. वहीं, उनके आगमन पर भाजपा जिला को-ऑर्डिनेटर हृदेश शर्मा द्वारा एक पोस्टर लगवाया गया जिसमें सिंधिया की तस्वीर के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की भी तस्वीर है. इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा आर्टिकल 370 हटाने के फैसले पर मोदी सरकार का समर्थन करने पर आभार जताया है. इसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
गौरतलब है कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने के बाद सिंधिया ने कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था और वर्तमान में मध्यप्रदेश के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया था और ट्वीट कर कहा था, ‘मैं जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख पर उठाए गए कदम और इसके भारत के संघ में पूरी तरह से एकीकरण का समर्थन करता हूं.’ हालांकि, सिंधिया ने ये भी कहा था कि अगर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाता तो ज्यादा अच्छा होता.”
भिंड में लगे इस पोस्टर ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की अपनी ही पार्टी से नाराजगी के खबरों को हवा दे दी है. हाल में कई ऐसे मौके सामने आए जब ज्योतिरादित्य अपनी ही पार्टी कांग्रेस के खिलाफ खड़े दिखे. गुरुवार को भिंड में ही एक जनसभा के दौरान सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ बयान दे दिया. उन्होंने किसानों की कर्जमाफी उपयुक्त तरीके से न करने का आरोप कमलनाथ सरकार पर लगाते हुए कहा, ‘हमने दो लाख रुपये के कृषि ऋण माफ करने की बात कही थी लेकिन सरकार ने केवल 50 हजार रुपये ही माफ किए गए. हमें दो लाख रुपये तक के किसान कर्ज को माफ करना चाहिए, इससे हम पीछे नहीं हट सकते.” उन्होंने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को आत्मचिंतन की जरूरत है.
यहां तक कि सिंधिया द्वारा अपनी ही पार्टी के खिलाफ दिए गए इस बयान पर बीजेपी ने भी कमलनाथ सरकार को घेरा. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया के आरोपों पर लिखा कि न शिवराज और न जनता, अब तो आप के ही लोग आपको आईना दिखा रहे हैं और बता रहे हैं कि कर्ज़माफी नहीं हुई कमलनाथ जी. क्या अब भी आपकी सरकार नहीं जागेगी? किसानों की आंखों के आंसू सूख गए लेकिन उनके बैंक खातों में पैसे नहीं आए! लाज-शर्म बची हो तो कर्ज़माफी पर जल्द से जल्द फैसला लीजिए.
जानकारों की मानें तो इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी दांव भी माना जा सकता है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से वे कई नेताओं से संपर्क बढ़ाने में जुटे हैं. कहीं जाकर लंच-डिनर में शामिल हो रहे हैं तो कहीं मुलाकात कर रहे हैं. इस क्रम में सिंधिया अपने समर्थकों की तुलना में विरोधियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. अपने दौरों के दौरान सिंधिया समर्थकों से मिले न मिले पर विरोधियों से मिलना नहीं भूलते.
एक समय सिंधिया के धुर विरोधी रहे डॉ. गोविंद सिंह के खिलाफ हो रही बयानबाजी को उन्होंने बंद करवाया. यहां तक कि सिंधिया गोविंद सिंह से मिलने उनके घर भी गए और भोजन भी किया था. इससे पता चलता है कि उनकी रणनीति में अपने विरोधियों से संबंध सुधारना अहम है. बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) खुद को सीएम पद का दावेदार मान रहे थे लेकिन अनुभवी कमलनाथ ने सभी समीकरणों को साधते हुए मुख्यमंत्री बनने में कामयाबी पाई थी. उस समय सिंधिया के समर्थकों ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी भी जताई थी, जिसमें कुछ विधायक भी शामिल थे. उस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने की अफवाहों ने भी जोर पकड़ा था.
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पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर अब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर है और इसको लेकर अंदर ही अंदर खींचतान और बयानबाजी भी हो रही है. हालांकि सीएम कमलनाथ ने सिंधिया के साथ किसी भी तरह से मतभेद से इनकार किया है साथ ही यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इस पर आलाकमान को जल्दी फैसला करना चाहिए क्योंकि वह दोनों जिम्मेदारियों का भार महसूस कर रहे हैं. गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था और वह उस समय पार्टी के महासचिव भी थे. लेकिन कांग्रेस की करारी हार के बाद सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था.