पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच जाने-माने गीतकार जावेद अख्तर और लेखक तारिक फतेह की बीच विचारधारा और इस्लामिक विचारधारा को लेकर तीखी जुबानी जंग छिड़ी हुई है. विचारधारा की ये जंग सोशल मीडिया पर खासी तीखी हो चुकी है और अब जुबानी जंग में बदलती जा रही है. हाल ही में एक निजी न्यूज चैनल पर भी दोनों के बीच लंबी और तेज बहस हुई. यहां तक की जावेद अख्तर ने तारिक फतेह पर सीधा वार करते हुए पूछा है कि 1947 में उनके मां-बाप ने भारत के बजाय पाकिस्तान को क्यों चुना? क्यों आपके मां-बाप मुंबई से कराची गए? जावेद अख्तर खुद को नास्तिक कहते हैं जबकि तारिक फतेह एक पाकिस्तानी-कनाडाई राइटर हैं लेकिन अभी भारत में रहते हैं. फतेह भारत के कट्टर समर्थक हैं और कट्टर इस्लाम के साथ-साथ आतंकवाद पर बेखौफ होकर लिखते हैं. दोनों की ये तकरार सोशल मीडिया पर कैट फाइट के तौर पर सुर्खियां बटोर रही है.
यह भी पढ़ें: ‘सिर्फ इंसान गलत नहीं होता, कभी कभी वक्त भी गलत हो सकता है’
सोशल मीडिया पर बेखौफ अपने विचारों को लिखने वाले जावेद अख्तर ने बीते बुधवार को एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट्स कर तारिक फतेह पर सवालों की बौछार कर दी ऐसे ही एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘मैंने तारिक फतेह साहब से पूछा है कि उनके माता-पिता ने 1947 में भारत के बजाय पाकिस्तान को क्यों चुना और मुंबई से कराची क्यों गए? अभी तक जवाब नहीं मिला’.
I asked Mr Tarik Fateh why his Parents chose Pakistan over India in 1947 and migrated from Mumbai to Kranchi . No answer .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 29, 2020
एक घंटे बाद फिर से उन्होंने ट्वीट के जरिए तारिक फतेह पर वार करते हुए लिखा कि तारिक फतेह लगातार मुल्ला का इस्लाम बनाम अल्लाह का इस्लाम का जिक्र करते रहते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या वह मानते हैं कि कुरान अल्लाह की किताब है और इसमें लिखे हुए एक-एक शब्द परम सत्य हैं. इधर-उधर न घुमाएं और सिर्फ हां या ना में जवाब दें. उनके जवाब का इंतजार है.
I want to ask Mr Tarla Fateh since he keeps mentioning mulla ka Islam v Allah ka Islam . Does he believe that Quran is a revealed book of Allah and each and word of it is the ultimate truth . No beating behind the bush . Yes or no . Waiting for his response
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 29, 2020
दरअसल दोनों की ये फाइट फतेह के एक वीडियो के बाद शुरु हुई जो उन्होंने 21 अप्रैल को ट्वीटर पर अपलोड किया था. वीडियो में एक समुदाय विशेष फल विक्रेता कथित तौर पर फलों पर अपने पेशाब को छिड़कते दिख रहा था. वीडियो में अन्य लोगों के कहे अनुसार बात सच बताई जा रही है. पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि मेरे समुदाय के साथ क्या गलत है? या अल्लाह, हम मुसलमान कैसे हो गए हैं?
Muslim fruit vendor in India caught collecting his pee in a bottle and then sprinkling his urine on bananas for sale What is wrong with my community? Ya Allah, what have we Muslims become?
pic.twitter.com/XZyWFYKvK0— Tarek Fatah (@TarekFatah) April 21, 2020
ये वीडियो और फतेह की बात जावेद अख्तर को नागवार गुजरी और उन्होंने फतेह को कॉमन सेंस का इस्तेमाल करने की नसीहत दे दी. 22 अप्रैल को जावेद अख्तर ने ट्वीट कर तारिक फतेह पर हमला बोल दिया और उन्हें विश्व हिंदू परिषद का प्रवक्ता तक बता दिया. उन्होंने लिखा, ‘एक समय था जब मैंने तारिक फतेह के निडर लेखन और खिलाफत, उम्मा, आईएसआईएस, तालीबान जैसे आतंकवादियों के खिलाफ उनके भाषणों की तारीफ की थी. अफसोस कि समय के साथ वह अपनी सिर्फ छाया मात्र बनकर रह गए हैं. उन्होंने खुद को वीएचपी का प्रवक्ता बना लिया है.. अफसोस.’
There was time when I had admired Tarik Fateh his fearless writings n speeches against the idea of Khilafat n Umma n Against the terrorists like ISIS Talibans .sadly with time he has become his own caricature . Today has reduced himself into a spokesperson of VHP .what a pity
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 22, 2020
उसके बाद से दोनों के बीच तीसरा विश्वयुद्ध ही छिड़ गया है. पलटवार करते हुए तारिक फतेह ने जवाब दिया, ‘प्रिय जावेद अख्तर साहब, आपने साबित कर दिया कि खुद को सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष बताने वाले और उर्दू बोलने वाले अधिकांश मुसलमानों की चमड़ी के नीचे हिंदुओं से नफरत करने वाला एक इस्लामिस्ट रहता है. जिस तरह से जिन्ना और ‘सारे जहां’ फेम इकबाल जिहादी बन गए, उसी तरह आपका नाम भी हिंदुओं से नफरत करने वाले हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जाएगा. मुबारक हो कॉमरेड!’
Dear @JavedAkhtarJadu sahib, you just proved that below the skin of most secular Urdu-speaking Muslims lives a Hindu-hating Islamist. Jinnah turned Jihadi as did Iqbal of “Saarey jahan” fame. Now yr name too will be added to the Hindu-Hating Hall of Fame. Mubarik Ho comrade! https://t.co/QZcBc1QYuN
— Tarek Fatah (@TarekFatah) April 22, 2020
इसके बाद एक अन्य ट्वीट में जावेद अख्तर ने लिखा, ‘मुझे आश्चर्य है कि आप जैसी सोच वाला एक आदमी आठ साल तक सऊदी अरब में कैसे रहा। जाहिर है आपने उस परम प्रतिगामी राज्य के शासकों द्वारा दी गई गाइडलाइन्स का पालन किया होगा. क्या यह आपके विवेक को परेशान नहीं करता है?’
इसके जवाब में फतेह ने जावेद पर उर्दू का इस्तेमाल राज्यसभा की सदस्यता के लिए करने का आरोप लगाया. फतेह ने जवाब में लिखा, ‘आपको नहीं पता होगा कि जेल की कोठरी अंदर से कैसी दिखती है। राज्यसभा में जाना और उर्दू का उपयोग अपने आकाओं के लिए ‘जलेबियां’ बुनना है जो आप सबसे अच्छा करते हैं। जब आपकी पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में नरसंहार किया था तो आपकी महिमा कहां थी? तब लफ्फाजी भी नहीं की?’
दोनों की ये तकरार यहीं खत्म नहीं हुई. इसके जवाब में अख्तर ने लिखा, ‘क्या आपने 1965 में भी इसी तरह विरोध किया था और जेल गए थे, जब आपके देश ने उकसावे की कार्रवाई करते हुए हमारे देश पर हमला बोला था. आप उन्हीं पाकिस्तानियों में से एक हैं जो कनाडाई पासपोर्ट की ओट में छिपे हैं. उस वक्त तो आप पाकिस्तानी ही थे. सही है ना…’
In 1971 I had not even started writing poetry I was 26 struggling to find a foothold in the industry . I was a total non entity . You think Times n Express must have taken my interview that I can send to you .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 23, 2020
इसके तुरंत बाद फतेह ने अख्तर को जवाब देते हुए लिखा, ‘मेरे और आप में यही फर्क है कि 1971 में आप 26 साल के थे लेकिन आपने कुछ नहीं किया. मैं तब 21 साल का था और जनरल याहया खान की सैन्य तानाशाही के खिलाफ खड़े होने और पाक सेना के खिलाफ लड़ रही मुक्ति वाहिनी का समर्थन व शेख मुजीब को रिहा करने की मांग की वजह से जेल में था.’
That's the difference between u & me @Javedakhtarjadu. You were 26 in 1971 and did nothing.
I was 21 and in a prison for standing up to the military junta of Gen. Yahya Khan and in support of the Mukti Bahini fighting the Pak Army and demanding Shaikh Mujib be freed from jail https://t.co/0EeqX2YJLh
— Tarek Fatah (@TarekFatah) April 23, 2020
बता दें, तारिक फतेह लगातार उन मजहबी कट्टरपंथियों को निशाना बना रहे हैं जो जाने-अनजाने में कोरोना महामारी के खतरे को बढ़ा रहे हैं. फतेह सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों के उल-जुलूल हरकतों, स्वास्थ्यकर्मियों पर उनके हमलों, सब्जी वगैरह पर कथित तौर पर थूक लगाने जैसे वीडियो को लगातार ट्वीट कर इसकी निंदा कर रहे हैं. 21 अप्रैल को लेखक तारिक फतेह द्वारा डाला फल विक्रेता की गैरजिम्मेदार हरकत के वीडियो और उसके बाद तकरार ने देश के दो बड़े नामचीन कलाकारों के बीच विचारधारा की गहरी खाई खोद दी है. फल विक्रेता से शुरु हुई ये जंग अब वहां से बढ़ते हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन, बांग्लादेश में पाकिस्तान के अत्याचार से होते हुए अब यहां तक पहुंच गई है कि अख्तर अब फतेह के पुरखों के लिए फैसले पर सवाल उठा रहे हैं.
बता दें, तारिक फतेह दुनियाभर में एक जाने-माने लेखक हैं. पाकिस्तान में जन्मे तारिक फतेह ने बाद में कनाडा की नागरिकता ले ली और लंबे वक्त से वहीं पर रहते थे. पिछले कुछ सालों से वह भारत में रह रहे हैं. फतेह पाकिस्तानी सेना के कट्टर आलोचक हैं और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ वह जमकर आवाज उठाते रहे हैं. इसी वजह से ज्यादातर पाकिस्तानी उन्हें नापसंद करते हैं. फतेह भारत के कट्टर समर्थक हैं और कट्टर इस्लाम के साथ-साथ आतंकवाद पर बेखौफ होकर लिखते हैं.