एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया, वहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि 15 अगस्त के बाद पाबंदियां कम होने की उम्मीद है. मंगलवार को उन्होंने राजभवन में पत्रकारों से मुलाकात की और कई पत्रकारों को इंटरव्यू दिए.

जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों से जुड़े सवाल पर राज्यपाल ने कहा, फोन-इंटरनेट उपद्रवियों, दुश्मनों और पाकिस्तानियों का हथियार है. हम उनके हाथ में अपना गला काटने का हथियार नहीं पकड़ा सकते. कश्मीर को लेकर राहुल गांधी के बयानों पर उन्होंने कहा कि वायनाड के सांसद सीमापार से हो रहे प्रोपेगंडा के आधार पर बात कर रहे हैं. उन्हें जम्मू-कश्मीर का दौरा करने का जो निमंत्रण दिया गया था, वह अब वापस ले लिया गया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लोकतंत्र की बात करते हैं लेकिन उनकी दादी ने इमरजेंसी के वक्त हमें अपने बच्चों से भी नहीं मिलने दिया था.

मलिक ने बताया कि हमने राहुल गांधी से कहा था, आप जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकते हैं और खुद यहां की परिस्थितियों का जायजा ले सकते हैं. इस पर राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर ली और शर्तें रख दी कि वह एक प्रतिनिधिमंडल ले कर आएंगे. इसके बाद उन्होंने जेल में बंद नेताओं से मिलने की अनुमति देने की शर्त भी रखी. उनकी शर्तें मंजूर नहीं की जा सकती. इसलिए हमने निमंत्रण वापस ले लिया है. पिछले हफ्ते 20 भारतीय टीवी चैनलों के संवाददाता यहां थे. राहुल गांधी उनसे जानकारी ले सकते हैं.

राज्यपाल मलिक ने उन खबरों का खंडन किया, जिनमें गृहमंत्री अमित शाह के 15 अगस्त को लाल चौक पर तिरंगा फहराने की संभावना व्यक्त की गई है. उन्होंने कहा कि लाल चौक लाल किला नहीं है और फिलहाल अमित शाह का श्रीनगर की यात्रा का कार्यक्रम नहीं है. यह पूछे जाने पर कि ईद का त्योहार शांति पूर्वक गुजर गया. क्या अब पाबंदियों में ढील दी जाएगी? मलिक ने कहा कि 15 अगस्त के बाद क्रमबद्ध तरीके से पाबंदियां हटाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा.

जहां तक फोन और नेट पर पाबंदी का सवाल है, मलिक ने कहा कि यह पाबंदी जल्दी नहीं हटेगी, क्योंकि कश्मीरी युवाओं को भड़काने के लिए इन सुविधाओं का दुरुपयोग हो सकता है. स्थिति पूरी तरह सामान्य होने के बाद ही फोन और नेट से पाबंदी हटाई जा सकती है. इसमें हफ्ता दस दिन का समय लगेगा. सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य में धारा 370 हटाए जाने की जानकारी उन्हें पहले से थी. जब उन्होंने कार्यभार संभाला था, तब से ही मालूम था कि यह धारा हटने वाली है और इसके बारे में उन्होंने राज्य के स्थानीय नेताओं को भी बता दिया था. यह कोई जेब से निकाला हुआ फैसला नहीं है. इसे संसद में लाया गया. वोटिंग हुई. तब जाकर अनुच्छेद हटाया गया.

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावनाओं के बारे में मलिक ने कहा कि चुनाव नए परिसीमन के आधार पर होंगे. परिसीमन आयोग का गठन किसी भी वक्त हो सकता है. इसमें छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है. उसके बाद विधानसभा चुनाव होंगे. राज्य को केंद्र शासित बनाने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अब कश्मीर के सिर्फ ढाई जिलों में आतंकवाद रह गया है. बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हफ्ते भर में 50 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन अब चार अगस्त के बाद से अभी तक ऐसी एक भी घटना नहीं हुई है. पथराव की कुछ घटनाएं हुई हैं, पर किसी को गंभीर चोट नहीं आई है. करीब 500 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 150 नेता हैं. अन्य पत्थरबाज और आतंकियों के मददगार हैं.

एक सवाल के जवाब में मलिक ने कहा, दुर्भाग्य है कि 370 केवल झूठे आत्मगौरव की कहानी है. यहां नेता, अधिकारी तक अभी इसके बारे में नहीं जानते. मैं सेक्रेटरी और पाकी अधिकारियों से मिलकर उन्हें समझा रहा हूं कि जिनसे वो मिलते हैं, उन्हें भी बताएं कि यह था क्या और इसके न होने से क्या होगा. हम लोगों को टीवी, रेडियो और अखबार के जरिए लोगों को समझाने का प्रयास करेंगे. यह धारा हटने से आतंकवाद बढ़ने जैसी कोई स्थिति नहीं बनेगी. जो नेता जेल में हैं, वे बाहर आएंगे तो वे भी लोगों को आतंकवाद और अलगाववाद से दूर रहना सिखाएंगे. ये नेता बाहर आकर बदले हुए मिलेंगे. टूटने के बाद वे मुख्यधारा में आ जाएंगे.

धारा 370 हटने के फैसले से पहले क्या चुनौती थी. इस सवाल पर मलिक ने कहा कि यदि आप सच और सही काम दृढ़ता के साथ करें तो कुछ भी चुनौतीपूर्ण नहीं होता. मैं जिस लक्ष्य को लेकर दिल्ली से यहां भेजा गया था, मैं बस वही काम कर रहा हूं और प्रधानमंत्री हमारे काम से खुश हैं.

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