हद ही हो गई – सोनिया गांधी को चिठठी क्या लिख दी, कांग्रेस के दिग्गज नेता देशद्रोही ही हो गए?

कपिल सिब्बल ने किया खुलासा, वर्किंग कमेटी की बैठक में बताया गया था देशद्रोही, सिब्बल ने कड़े शब्दों में जताया एतराज, कहा कि यह कांग्रेस की भाषा नहीं, इससे पहले नाराज गुलाम नबी कह चुके हैं, कांग्रेस रहेगी, तभी तो सोनिया गांधी अध्यक्ष रहेंगी

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Politalks.News/Delhi. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा फोड़े गए चिट्ठी बम के धमाके के बाद नेशनल कांग्रेस बिखर चुकी है. हालात यह हो गए हैं कि कांग्रेस की रीड की हड्डी कहलाने वाले पार्टी नेता अब खुलकर गांधी परिवार के लिए बयान दे रहे हैं. कांग्रेस में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव की मांग को लेकर लिखी गई चिट्ठी पर मचे बवाल के बाद हर दिन एक नई बात सामने आ रही है या यूं कहें चिट्ठी लिखने वाले नेताओं का दर्द अब रह-रह कर छलक रहा है. अब यह बात भी साफ होती जा रही है कि नेशनल कांग्रेस के अंदर दो पक्षों के बीच लंबे समय से शीत युद्ध चल रहा था, जो अब सड़क युद्ध का रूप लेता जा रहा है.

कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी प्रकरण के 15 दिन बाद हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में पहले राहुल गांधी ने कहा कि चिट्ठी लिखने वालों की बीजेपी से सांठगांठ है. इस बयान के जवाब में गुलाम नबी ने कहा कि यह साबित हो जाए तो वो इस्तीफा दे देंगे, यानि कि बवाल शुरू हो गया. राहुल गांधी की बात से बहुत ज्यादा नाराज होने वाले कपिल सिब्बल और गुलामनबी आजाद ने उसी दिन कांग्रेस की स्थितियों की जमकर बघिया उधेडी, यहां तक कि राहुल गांधी को कहना पडा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है. एक बार तो लगा कि चलो मामला थम गया. लेकिन दूसरे दिन से पहले ट्वीटर पर फिर साक्षात्कार में दोनों नेताओं ने गांधी परिवार पर सीधा हमला शुरू कर दिया. इसी कड़ी में गुलाम नबी के बाद अब कपिल सिब्बल का कांग्रेस को हिला देने वाला नया धमाकेदार बयान सामने आया है.

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असल में सोनिया गांधी को लिखे गए लेटर बम के धमाकों की गूंज हर रोज नई तरीके से अलग-अलग जगहों पर सुनाई दे रही है. गुलाम नबी आजाद के बाद कपिल सिब्बल ने एक बडा खुलासा करते हुए कहा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में लेटर लिखने वाले नेताओं को देशद्रोही बताया गया था. लेकिन बैठक में उपस्थित गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने द्रेशद्रोही बताने वालों को टोका तक नहीं, उसे यह नहीं कहा गया कि यह कांग्रेस की भाषा नहीं है.

कपिल सिब्बल ने यह बात एक निजी मीडिया को दिए गए इंटरव्च्यू में कही है. कपिल सिब्बल ने कहा कि नेताओं द्वारा लिखे गए लेटर की भाषा पूरी तरह मर्यादित थी. लेकिन सीडब्ल्यूसी की बैठक में उपस्थिति पदाधिकारियों को पत्र में क्या लिखा है, उसके बारे में नहीं बताया गया. अगर पत्र में कुछ गलत लिखा था, तो पत्र लिखने वाले नेताओं से पूछताछ की जानी चाहिए थी. बैठक में पत्र लिखने वालो को देशद्रोही बता दिया गया.

अब समझ लेना चाहिए कि बात चली है तो दूर तक जाएगी. कांग्रेस में बढ़ते इस गृहयुद्ध को रोकने वाला अब दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है. पहले नेताओं के बीच के कोई मसले हाते थे तो गांधी परिवार उसे सुलझा लेता था लेकिन अब नेताओं ने गांधी परिवार के नेतृत्व को ही चुनौती दे दी है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद को फोन करके 6 महीने में चुनाव से नए अध्यक्ष चुनने का आश्वासन दिया है.

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अब तो साफ होता जा रहा है कि भले ही कांग्रेस में अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों के लिए चुनाव भी हो जाएं लेकिन गांधी परिवार को अपने वजूद की लड़ाई तो अब लड़नी ही पड़ेगी. यानि कि गांधी परिवार के खिलाफ हो रही लामबंदी से निबटना ही पडेगा. कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बयानों से साफ हो चुका है कि कांग्रेस में आर-पार की लडाई का श्रीगणेश हो चुका है. यह लडाई केवल चुनाव होने तक ही ही ढकी-ढकी नजर आएगी. अगर गांधी परिवार ने इन नेताओं के साथ बैठकर सर्वमान्य निर्णय नहीं किया तो इसके बाद खुला घमासान होना तय है.

एक खास बात और है, चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष पद ही नहीं बल्कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी सहित राज्यों के अध्यक्ष और तो और ब्लाॅक स्तर तक चुनाव कराने की मांग की है. जो किसी भी हाल में शांतिपूर्वक संभव नहीं हो सकते हैं. हर राज्य और जिला ईकाईयों में नेताओं के एक नहीं कई गुट बने हुए हैं. इन्हीं गुटों में चले वर्चस्व के कारण कांग्रेस को एक के बाद एक चुनावों में हार का सामना करना पडा.

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भाजपा के रणनीतिकार भी जहां भी चुनाव हो रहे हैं, वहां सबसे पहले वो कांग्रेस से नाराज लोगों से संपर्क साध रहे हैं. राजनीतिक के सारे हथियार यानि की साम, दाम, दंड, भेद सबको इस्तेमाल किया जा रहा है. एक एक जगह से कांग्रेस के विकेट गिराए जा रहे हैं. इससे बडी और क्या बात हो सकती है कि दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव और उससे पहले के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कई बडे नेताओं ने पार्टी से चुनाव ही लडने से मना कर दिया. कांग्रेस की ऐसी हालत हो गई थी कि आप और बीजेपी के सामने चुनाव लडाने के लिए मजबूत चेहरे नहीं मिल पा रहे थे.

इतनी बडी पार्टी के चुनाव होंगे कैसे? चुनाव कराएगा कौन? उससे भी बडी बात है कि निष्पक्ष चुनाव का ऐसा कौनसा मैकेनिज्म बनेगा, जिस पर सब भरोसा कर सकें. गांधी परिवार कितनी चुनौतियों से निबेटेगा और कैसे? ऐसे सारे सवाल अपने जवाब के इंतजार में है.

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