Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में विधानसभा की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव का घमासान परवान चढ़ रहा है. दूसरी तरफ प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों में अंदरखाने फूट भी उजागर होती जा रही है. एक और जहां बीजेपी में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और प्रदेश नेतृत्व में खींचतान जगजाहिर हो चुकी है. तो वहीं कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में प्रदेश प्रभारी अजय माकन के दावों की भी पोल खुलती नजर आ रही है. दरअसल, तीन सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रचार प्रसार जोर पकड़ चुका है. लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशियों के पोस्टर-बैनर से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की फोटो गायब है. सुजानगढ़ से मनोज मेघवाल, राजसमंद में तनसुख बोहरा पोस्टर-बैनर में सचिन पायलट की फोटो दिखाई नहीं दे रही है. इससे ऐसा लगता है कि प्रदेश कांग्रेस को पायलट के चेहरे की जरुरत नहीं है. हालांकि सहाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी गायत्री देवी के पोस्टर बैनर में पायलट की फोटो जरूर नजर आ रही है.
बता दें, इससे पहले आलाकमान के निर्देश पर प्रत्याशियों की नामांकन सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ सचिन पायलट भी मौजूद रहे थे, लेकिन इसके बाद से ना तो सचिन पायलट पूरे प्रचार में कहीं नजर आ रहे हैं और ना ही पायलट के समर्थक विधायक और पार्टी पदाधिकारी ही कहीं प्रचार करने जा रहे हैं.
अब हम आपको राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी अजय माकन का हाल ही में दिया वो बयान याद दिलाते हैं. जिसमे माकन ने कहा है कि उनकी पार्टी में कोई रुठा हुआ नहीं हैं और उपचुनाव में कांग्रेस के सभी लोग
मिलकर कांग्रेस को जीताने में लगे हुए है. माकन ने मंगलवार को राजसमंद जिले में श्रीनाथजी मंदिर में दर्शन के बाद मीडिया से यह बात कही थी. माकन ने मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा कि, “पार्टी
के लोगों ने पहले से ज्यादा मेहनत की है. सब लोगों ने मिलकर एक अच्छा समन्वय स्थापित किया है और बहुत अच्छा काम किया हैं, कोई रुठा हुआ नहीं हैं और सब मिलकर उपचुनाव में कांग्रेस को जीताने में लगे हुए हैं.”
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लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पोस्टर बैनर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के बयानों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं, जिनमें इनके इरादे साफ है कि नहीं चाहिए सचिन पायलट के नाम पर वोट और प्रचार मे पायलट के फ़ोटो की भी जरूरत नहीं है. वहीं इतनी अनदेखी पर भी सचिन पायलट और उनके समर्थकों की अखरने वाली चुप्पी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है..
अब बात करें उपचुनाव के सियासी गणित की तो राजस्थान में जिन तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने जा रहे हैं. उनमें से दो विधानसभा क्षेत्र सहाडा और राजसंमद ऐसे क्षेत्र हैं जहां गुर्जर मतदाता हार जीत में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. माना जाता है कि पहले भी विधानसभा चुनाव के दौरान गुर्जर समाज ने राजस्थान में पहली बार एकमुश्त वोट कांग्रेस को देकर यह दर्शाया कि वे तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को किस जगह देखना चाहतें हैं.
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हालांकि राजनीति में संकेत मायने रखते हैं और संकेत बहुत साफ उसी दिन मिल गए थे जब नामांकन रैलियों के दौरान सचिन पायलट का भाषण समाप्त होते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भाषण सुने बिना ही बडी संख्या में लोग उठ कर चले गए थे. संकेत साफ था कि वो लोग सचिन पायलट को ही सुनने आए थे और अपना संदेश देकर चुपचाप चले गए.
ऐसे में भले ही प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ठंडे छीटें देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दो बार एक ही हेलिकॉप्टर में बैठा कर फोटो खींचवा चुके हों और कांग्रेस भी यह उम्मीद पाल बैठी है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के साथ लेकर जाने से यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक–ठाक है, लेकिन सुजानगढ़ और राजसमंद के कांग्रेस प्रत्याशियों उपचुनाव के पोस्टर और बैनर तो कुछ और ही कहानी कह रहे हैं.