पॉलिटॉक्स न्यूज. एक तरफ दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है और दूसरी तरफ पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. पिछले सप्ताह पाकिस्तानी अदालत ने गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश 2018 में संशोधन करने के साथ सितंबर में आम चुनाव कराने के साथ-साथ एक कार्यवाहक सरकार स्थापित करने के लिए अनुमति दी थी. भारत ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कड़ा विरोध जताया है और इस मसले पर कड़ा बयान जारी करते हुए पाकिस्तान को कश्मीर के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान भी फौरन खाली करने की चेतावनी दी है. इसके बाद लगने लगा है कि भारत ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने का मन बना लिया है, क्योंकि की बातों की भाषा पाकिस्तान को समझ नहीं आती है.
India demarched senior Pakistan diplomat and lodged a strong protest to Pakistan against Supreme Court of Pakistan order on the so-called "Gilgit-Baltistan”: Ministry of External Affairs pic.twitter.com/8B9h8VdEYk
— ANI (@ANI) May 4, 2020
भारत ने पाक को साफ स्पष्ट शब्दों में चेताया है कि पाकिस्तान को इस तरह गैर-कानूनी कब्जे को छोड़ देना चाहिए और जम्मू कश्मीर में किसी तरह का बदलाव करने की कोशिशें नहीं करनी चाहिए. इसी कड़ी में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान का हिस्सा भी आता है, भारत का आंतरिक और अभिन्न अंग/भाग है. भारत ने ये भी कहा कि इस मसले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्ताव में नजर आई थी जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया था. अब पाकिस्तान या फिर इसकी न्यायपालिका के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह इस पर गैर-कानूनी और जबरन कब्जा करे.
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध जताते हुए भारत ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक को बुलाया गया और इस मसले पर कड़ा बयान (डिमार्श) जारी किया. इससे पहले गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 और धारा 35ए को हटाया था, तब पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतराष्ट्रीय अदालत तक ले गया था. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पीओके और सियाचीन भी भारत का ही अभिन्न अंग है और हम इसे जल्दी ही हासिल कर लेंगे.
यह भी पढ़ें: लॉकडाउन 3.0- नए नियमों के साथ खुले दफ्तर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद, शराब की दुकानें शाम 6 बजे तक
भारत और पाक के बीच कुलभूषण जाधव की रिहाई का मामला भी प्रमुखता से चल रहा है. जाधव की रिहाई मामले में भी पड़ौसी देश की नीयत में खोट आ गई है जिसके बाद भारत के वकील हरीश साल्वे ने फिर से इंटरनेशनल कोर्ट आईसीजे में जाने की बात कही है. दरअसल, पाकिस्तान सीजेआई के आदेश को मानने को राजी नहीं हो रहा है. आईसीजे ने पिछले साल पाकिस्तान को भारतीय नौसेना के रिटायर अफसर की मौत की सजा की समीक्षा करने का आदेश सुनाया था. इस मुद्दे पर भारत ने कई बार पाकिस्तान का रूख पूछा लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया. ऐसे में भारत फिर से आईसीजे जाने की तैयारी कर रहा है.