पाॅलिटाॅक्स न्यूज़/भारत v/s चीन. चीन के प्रति नरम रवैया अपनाकर खामोशी से बैठा भारत गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की मौत के बाद चीन के खिलाफ आक्रमक हो गया है. हालांकि सीमा विवाद को लेकर चीन और भारत में कई स्तर पर बातचीत चल रही है लेकिन गलवान घाटी में भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की मौजूदगी दोनों देशों को युद्व की तरफ ले जा रही है.
युद्व होगा तो कैसा होगा? होगा कि नहीं? उसके क्या परिणाम आएंगे? यह तो सब भविष्य के गर्भ में छुपा है लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार तेजी के साथ फैसले ले रही है, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में भारत चीन को सैन्य और आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखाने की तैयाारी कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की रिर्पोटिंग भी इसी ओर संकेत कर रही है. उसके अनुसार यदि भारत और चीन सामरिक और आर्थिक दृष्टि से आमने सामने हुए तो भारत को दुनिया के अधिकतर देशों का बड़ा समर्थन हासिल होगा. चीन सीमा विवाद को लेकर भारतीय राजनयिक दुनिया भर के देशों के संपर्क में है. विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी पर चीन के रवैये के बाद अमेरिका सहित दुनिया के 70 फीसदी से अधिक देश चीन से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में भारत के लिए यह सबसे सही समय है, जब चीन को चुनौती दी जा सकती है.
गलवान घाटी से चीन पीछे नहीं हटा तो युद्व तय
1967 में भी गलवान घाटी पर चीनी सैनिकों ने अपने कैंप लगा लिए थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनके कैंपों को ध्वस्त करके पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. 43 साल बाद एक बार फिर चीनी सैनिक इसी घाटी में कब्जा करके बैठ गए, लेकिन अभी परिस्थितयां 1967 वाली नहीं हैं. इस बार दोनों देशों की ओर से भारी सैन्य बलों की तैनातगी हो चुकी है. दोनों ही देश पिछले कई सालों से इस स्थान तक पहुंचने के लिए सामरिक सड़कों के साथ सैन्य बलों के लिए संसाधन जुटाने में लग रहे है.
गलवान घाटी को बताया चीन ने अपना क्षेत्र
सैनिकों के बीच खूनी झड़प के बाद जहां एक और चीन यह कह रहा है कि वो बातचीत से समस्या का हल निकालना चाहता है, वहीं उसने यह बात भी कही कि गलवान घाटी का क्षेत्र उसका है. भारतीय सैनिक उसके क्षेत्रों में घुसकर नियमों का उल्लघंन कर रहे हैं. चीन के इस बयान से साफ जाहिर हो गया है कि वो गलवान घाटी में कब्जा जमाए रखने के इरादे से घुसा है. वहीं भारतीय सेना चीनी सैनिकों को इस जगह से पीछे हटने के लिए मजबूर करेगी, ऐसे में हालात बिगडेंगे और दोनों के बीच युद्ध की संभावनाएं बनेंगीं.
क्या चीन के साथ-साथ पाकिस्तान और नेपाल से भी होगी भिडंत?
इस बात की भी पूरी सम्भावना है, इसलिए इस बात को भी समझ लेना जरूरी है कि चीन लंबे समय से पाकिस्तान के साथ-साथ नेपाल को भी भारत विरोधी संरक्षण दे रहा है. असल में चीन भारत को तीन तरफ से घेरने की योजना पर लंबे समय से काम कर रहा है. पाकिस्तान और भारत के बीच तो कश्मीर को लेकर 1947 से ही टकराव चल रहा हैै. वहीं बीते 5 सालों में नेपाल की चीन से निकटता बढ़ने के बाद वहां भारत विरोधी लहर जोर पकड़ चुकी है. नेपाल भारत बोर्डर पर अपनी सैन्य चौकियों में बेतहाशा वृद्धि कर रहा है, जिसकी उसे कोई जरूरत नहीं है. इसे साथ ही नेपाल कई मसलों पर भारत को आंखे भी दिखा रहा है. इस मसले में चीन की सच्चाई भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में सामने आई है. ग्लोबल टाइम्स ने कम्युनिस्ट पार्टी के हवाले से भारत के लिए एक चेतावनी छापी है. इसमें कहा गया है कि यदि चीन-भारत सीमा पर तनाव जारी रहता है तो भारत को चीन के साथ-साथ पाकिस्तान और नेपाल से सैन्य दबाव का सामना करना पडेगा. ग्लोबल टाइम्स के हवाले से कहा गया है कि चीन का सीमा रेखा में बदलाव का कोई इरादा नहीं है. इसमें आगे कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों सेनाओं के बीच जो खूनी संघर्ष हुआ उसके लिए भारतीय सैनिक जिम्मेदार हैं. भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को उकसाया है, इसलिए सीमा पर 20 भारतीय सैनिकों की मौत के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं.
भारत की आक्रमता को समझिए
भारत पाकिस्तान की तुलना में चीन के प्रति कभी इतना आक्रमक नहीं हुआ. लेकिन गलवान घाटी में अपने 20 सैनिकों की शहादत के बाद से भारत चीन के प्रति सख्त हो गया है. भारत चीन बोर्डर पर अपनी सेनाओं को भेज रहा है. लेह लद्धाख राष्ट्रीय मार्ग को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है. इस मार्ग पर हजारों की संख्या में सैनिक और हथियारों से भरे वाहन चीन सीमा की ओर लगातार जा रहे हैं. यह सिलसिला पिछले 48 घंटे से जारी है. सभी सैनिकों की छुटिटयों को रदद करके उन्हें अपनी पोस्टों पर पहुंचने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही सेना ने पूर्व लद्धाख के गांवों को खाली कराने का काम शुरू कर दिया है. देवचोक और पैंगोग सहित आस-पास के आबादी क्षेत्रों को खाली कराया जा रहा है. वहीं भारतीय वायु सेना को भी अलर्ट पर रखा गया है. सिक्किम सहित अन्य बोर्डर पर युद्व स्तर की सैन्य तैयारियां की जा रही है.
चीन के खिलाफ सरकार ने पहली बार खोला आर्थिक मोर्चा
गलवान घाटी घटनाक्रम के बाद जहां एक और सामरिक गतिविधियों में बड़े स्तर तेजी लाई गई, वहीं सरकार ने चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चा भी खोलने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. टेलिकाॅम कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल में 4 जी अपग्रेडेशन का काम चल रहा है, इसके लिए चीनी कंपनियों को टेंडर मिला हुआ था. अब सरकार ने इस काम में चीनी सामान के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही 400 किलोमीटर लंबे डेडिकेटेड रेल काॅरिडोर के निर्माण के लिए चीनी कंपनियों को दिए गए टेंडर भी रद्द कर दिए हैं. वहीं कोल आंवटन निजी क्षेत्रों के लिए खोला गया है लेकिन इसमें चीनी कंपनियां भाग नहीं ले सकेंगी. इसके साथ ही भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक संस्था कैग ने चीन से 3 हजार तरह के घरेलू और अन्य सामान नहीं खरीदने का निर्णय किया है. इस निर्णय से भारतीय बाजार में चीन के सामान की भारी कमी आएगी. भारत का पैसा चीन जाने से रूकेगा और भारतीय उद्योग धंधों को गति मिलेगी.
चीन के धोखे की कहानी, जानिए भारतीय सैनिक की जुबानी
भारत चीन सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने अचानक धोखे से हमला करके भारतीय सैनिकों को नुकसान पहुंचाया. इस हिंसक झड़प में घायल हुए राजस्थान के अलवर जिले के नौगांवा गांव के सैनिक सुरेंद्र सिंह ने फोन पर अपने परिजनों को उस घटना के बारे में बताया कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी से निकल रही नदी किनारे अचानक भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया. यह हिंसक झड़प करीब पांच घंटे तक चली. संघर्ष में भारत के करीब ढाई सौ और चीन के एक हजार से अधिक जवान थे. गलवान घाटी की नदी में गहरे बेहद ठंडे पानी में यह संघर्ष चलता रहा. जहां यह संघर्ष हुआ उस नदी के किनारे मात्र एक आदमी को ही निकलने की जगह थी इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने में भारी परेशानी हुई. चीनी सेना ने कांटे लगे डंडों से हमला किया. लद्दाख में ग्लेशियर होने के कारण वहां हथियारों का उपयोग नहीं होता और लाठी-डंडों के साथ ही पेट्रोलिंग होती है. जिस वक्त यह हमला किया गया उस वक्त भारत के सैनिक कम थे लेकिन उनमें चीनी सैनिकों से लड़ने का पूरा जज्बा था.
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क्या विश्व की महाशक्ति अमेरिका कर रहा है भारत की मदद
भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद अमेरिका ने पहली बार अपने 11 न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के विमानवाहक पोत में से 3 को एक साथ प्रशांत महासागर में चीनी सीमा के बेहद नजदीक तैनात कर दिया है. अमेरिका के इन अत्याधुनिक विमानवाहक पोत की प्रशातं महासागर में चीन सीमा के पास तैनाती कई संकेत कर रही है. अमेरिका के इस कदम को चीन के लिए कड़ी चेतावनी के तौर पर भी देखा जा रहा है. विशेषज्ञों की अनुसार अमेरिका ने इनकी तैनाती भारत की सुरक्षा की दृष्टि से की है.
कौन से हैं ये तीन एयरक्राफ्ट कैरियर
ये तीनों एयरक्राफ्ट अमेरिका के मशहूर न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा हैं. इनका नाम यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं. इनमें से यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट फिलीपीन सागर के गुआम के आस पास के इलाके में गश्त कर रहा है. वहीं, यूएसएस निमित्ज वेस्ट कोस्ट इलाके में और यूएसएस रोनाल्ड रीगन जापान के दक्षिण में फिलीपीन सागर तैनात किया गया है. ये तीनों ही न्यूक्लियर मिसाइल से लैस हैं. प्रशांत महासागर में इन तीन युद्ध विमानवाहक पोतों की तैनाती से चीन पर सामरिक दृष्टि से काफी दबाव बन गया है.