हरियाणा विधानसभा चुनाव के के शुरूआती रूझानों ने कांग्रेस और भाजपा को एक बारगी तो बराबर की टक्कर पर लाकर खड़ा कर दिया था. लेकिन गुरुवार को आए अंतिम परिणामों में बीजेपी का पलड़ा थोड़ा ज्यादा झुक गया. ऐसे में सभी की नजरें जेजेपी के मुखिया दुष्यंत चौटाला सहित सभी निर्दलीय विधायकों पर टिक गई. जीतने वालों में सात निर्दलीय, एक इंडियन नेशनल लोकदल (INLO) और एक हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) से है. हाल में खबर आयी है कि इन सभी विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे दिया. शाम को मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) प्रदेश के राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा सौंपने जा रहे हैं. कयास लगाया जा रहा है कि खट्टर (Khattar Government) दिवाली बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके साथ ही सभी 9 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे.
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कौन हैं वे 9 निर्दलीय किंगमेकर जो खट्टर सरकार (Khattar Government) की नैया पार कराने में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में…
1. नयन पाल रावत-पृथला (फरीदाबाद) विधायक: नयन पाल रावत चुनाव से पहले भाजपा में रह चुके हैं. पृथला सीट से सोहन पाल को टिकट देने पर नयन पाल भाजपा छोड़ निर्दलीय मैदान में उतरे और 16429 वोटों से जीत हासिल की. सोहन पाल तीसरे नंबर पर रहे. कांग्रेस के रघुवीर तेवतिया दूसरे नंबर पर रहे. 2014 में नयन पाल रावत ने बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाई थी और दूसरे नंबर पर रहे थे.
2. सोमवीर सांगवान-दादरी विधायक: रावत की तरह ही सांगवान भी भाजपा बागी हैं जो दादरी विधानसभा सीट पर दंगल गर्ल बबीता फोगाट को मैदान में उतारने से नाराज थे और निर्दलीय बनकर जीते. दादरी विधानसभा सीट से निर्दलीय सोमबीर सांगवान ने 14080 वोटों ने जीत दर्ज की. 2014 में सोमबीर बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े थे. मौजूदा चुनावों में बबीता तीसरे नंबर पर रही.
3. बलराज कुडू-महम विधायक: बलराज कुंडू भी भाजपा के बागी हैं जिन्होंने टिकट न मिलने के चलते बगावत कर निर्दलीय मैदान में किस्मत आजमायी. बीजेपी ने कुंडू की जगह महम सीट से शमशेर खरकड़ा को टिकट दिया था. महम सीट पर अभी तक 6 बार निर्दलीय जीतने में सफल रहे हैं.
4. गोपाल कांडा-सिरसा विधायक (HLP): कभी हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनावी मैदान में उतर कांग्रेस और भाजपा दोनों को पटखनी देते हुए मैदान मार लिया. गोपाल कांडा कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता रहे हैं. विवादों के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
5. धरमपाल गोंदर-निलोखेरी विधायक: (Khattar Government)
6. रणधीर सिंह गोलन-पुंडरी विधायक: पुंडरी विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रणधीर सिंह गोलन ने जीत दर्ज की. गोलन ने भी बीजेपी की ओर से टिकट न मिलने से नाराज होकर बागी रुख अपनाया था. गोलन 2014 में पुंडरी सीट से बीजेपी के प्रत्याशी थे. इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया.
7. राकेश दौलताबाद-बादशाहपुर विधायक: कांग्रेस के बागी राकेश दौलताबाद ने बादशाहपुर विधानसभा सीट पर निर्दलीय जीत दर्ज की. वे दूसरी बार इस सीट पर बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे थे.
8. अभय सिंह चौटाला-इनेलाबाद विधायक (INLO): देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद से इनेलो पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता. उन्होंने यहां से भाजपा के पवन बैनीवाल को 11877 वोट से हराया. अभय पहले भी यहां से विधायक रह चुके हैं.
9. चौधरी रणजीत सिंह-रानिया विधायक: देवीलाल के पुत्र और हरियाणा के पूर्व मंत्री रहे चौधरी रणजीत सिंह ने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय रानिया विधानसभा सीट से ताल ठोकी और जीत दर्ज की. चौधरी रणजीत सिंह कांग्रेस से बगावत कर मैदान में उतरे थे. बता दें, 2009 से रणजीत सिंह रानिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं. रणजीत सिंह चौटाला परिवार से तालूकात रखते हैं.