Politalks.News./Rajasthan. बाड़मेर की राजनीति को गर्माने वाले बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई की टीम बाड़मेर पहुंच चुकी है. इस बीच कमलेश प्रजापत के भाई भैराराम ने राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, मंत्री के भाई मनीष चौधरी, कमलेश की एक महिला मित्र के साथ बाड़मेर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मृतक कमलेश के भाई और संघर्ष समिति के सदस्यों ने सीबीआई के दिल्ली ऑफिस भेजे गए एक पत्र में यह आरोप लगाए हैं. वहीं मंत्री हरीश चौधरी ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि- ‘मुझ पर जो आरोप लगाए गए हैं वे निराधार हैं. इन आरोपों की जांच किसी भी एजेंसी से करवा सकते हैं‘
सीबीआई को लिखे मांग पत्र में लिखा है कि कमलेश 15-16 साल का था तभी से राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष के संपर्क में आ गया था, इनके लिए काम करता था और राजनीतिक कार्यों में सहयोग करता था. कमलेश ने 2014 में केके इंटरप्राइजेज फर्म बना ली थी. पचपदरा रिफायनरी का काम शुरू होने से कमलेश की फर्म को काम मिलने लगा, तभी से राजस्व मंत्री, उनके भाई मनीष की कमलेश से प्रतिस्पर्द्धा शुरू हो गई.
मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई पर लगाए आरोप
कमलेश प्रजापत के भाई भैराराम ने आरोप लगाया कि सांडेराव पुलिस द्वारा गलत रूप से फंसाए जाने पर कमलेश ने पाली पुलिस से बात की थी. इस पर वहां से पुलिसकर्मियों ने कहा कि- ‘राजस्व मंत्री हरीश चौधरी कह देंगे तो मुकदमे में नाम हटा देंगे‘, कमलेश जाकर मंत्री से मिला तो उनके भाई मनीष से मिलकर बात करने को कहा. इस पर मनीष ने कमलेश से 10 लाख रुपए लिए की सांडेराव पुलिस थाने वाले मामले में नाम हट जाएगा. इसके बाद भी सांडेराव पुलिस दबाव बना रही थी. कमलेश वापस मिला तो हरीश चौधरी ने उसे वहां से निकाल दिया था. ऐसा बताया जा रहा है कि इसके बाद कमलेश ने मनीष से 10 लाख रुपए वापस मांगे और मनीष को धमकी दी कि रुपए लौटा देना नहीं तो मार दूंगा, तब मनीष ने कहा था कि- ‘तुम जिंदा रहोगे तो मारोगे न‘.
मंत्री हरीश ने कहा- ‘सभी आरोप निराधार’
इन आरोपों को लेकर जब मीडिया ने मंत्री हरीश चौधरी से बात की तो उनका कहना है- ‘मैंने खुद बोला था कि इस मामले की सीबीआई जांच हो, सीबीआई जांच कर रही है, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो आरोप लगा रहे हैं वे सारे आरोप निराधार हैं जो यह आरोप लगा रहे हैं इसके लिए कोई भी एजेंसी जांच कर सकती है. सच तो सच ही रहेगा’.
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सुमेरपुर डीएसपी पर गंभीर आरोप
मृतक के भाई ने आरोप लगाया है कि एनकाउंटर के दिन सांडेराव प्रकरण में डीएसपी सुमेरपुर से कमलेश की व्हाट्सएप कॉलिंग हुई थी. कमलेश ने 23 अप्रैल को सांडेराव आने का बोला था. डीएसपी ने भी नाम हटाने के लिए पैसे मांगे थे. कमलेश ने मांगी गई राशि भी एकत्रित करके रख ली थी. कमलेश के भाई ने डीएसपी और कमलेश की व्हाट्सएप कॉल डिटेल की जांच करवाने की मांग की है. सांडेराव में दर्ज प्रकरण में कमलेश आरोपी नहीं था.
बिना चेतावनी के पुलिस ने किया एनकाउंटर
कमलेश के भाई ने बताया कि पुलिस कांस्टेबल पुरखाराम कमलेश के घर आता रहता था. कई अन्य पुलिसकर्मी भी कमलेश के घर आकर पार्टी करते थे. गाड़ियों की जरूरत होने पर कमलेश से मांग कर ले जाते थे. कमलेश का पुलिसकर्मियों के साथ उठना-बैठना भी था. 22 अप्रैल की रात 9:15 बजे पुलिस ने बड़े दल के साथ कमलेश के घर का घेराव किया. कमलेश को आत्मसमर्पण करने के लिए पुलिस ने एनाउंस भी नहीं किया था. इसके लिए घटनास्थल के पड़ोसियों के बयान और सीसीटीवी फुटेज की जांच करवाने की मांग की है.
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महिला मित्र की संदिग्ध है भूमिका
मृतक कमलेश के भाई ने यह आरोप भी लगाया कि सदर थाने के पास रहने वाली एक महिला से कमलेश से घनिष्ठ दोस्ती थी. एनकाउंटर के दिन महिला मित्र ने पुलिस से मिलकर कमलेश को व्हाट्सएप पर कॉल में लगाए रखा. कमलेश के भाई ने इस महिला मित्र की भूमिका की जांच की मांग की है.
एनकाउंटर से पहले एफआईआर
कमलेश के भाई ने अपने पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि एफआईआर नम्बर 136/2021 की प्रमाणित प्रति न्यायालय में प्रस्तुत करने की तिथि 22 अप्रैल शाम 7 बजे की है. जबकि एफआईआर में दर्ज तारीख 23 अप्रैल 12:46 बजे दर्शाया गया है. ऐसे में एनकाउंटर से पहले एफआईआर कैसे हो सकती है. आरोप है कि कमलेश का फर्जी एनकाउंटर बताकर हत्या की गई है. आपको बता दें कि कमलेश प्रजापत का 22 अप्रैल की रात को पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. 23 अप्रैल से परिजनों और समाज के लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी.