सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव के सियासी दंगल में बागियों ने छीना दोनों पार्टियों का चैन, BJP ज्यादा बैचेन

राजेंद्र त्रिवेदी समर्थक कुछ नेताओं को मुख्यमंत्री गहलोत से मिलवाने की बात कहते हुए कांग्रेस ने कियबनाराजगी दूर होने का दावा, लेकिन अंदरखाने भितरघात का डर, वहीं बीजेपी में लादूलाल पितलिया के बगावती तेवर बरकरार, बन सकते निर्दलीय उम्मीदवार, आरएलपी उम्मीदवार बद्रीलाल जाट ने भी बढ़ाया बीजेपी का संकट

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Politalks.News/RajasthanByElection. प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों में नामांकन की आज अंतिम तिथी के दिन सभी प्रत्याशी अपना नामांकन भरने जा रहे हैं. वहीं तीनों में से सहाड़ा विधानसभा सीट पर टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नेताओं ने बगावती तेवर अपना लिए हैं. कांग्रेस में टिकट की दावेदारी ठोक रहे दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र त्रिवेदी की नाराजगी के बाद अब भाजपा में भी टिकट नहीं मिलने से नाराज हाल ही में 46 दिन पहले भाजपा में आए नेता लादूलाल पितलिया ने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल करने की घोषणा की है. माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां अपने बागी नेताओं को दिखावे के लिए मना भी लेती है तो भी अंदरखाने घात होने का खतरा बना रहेगा.

2018 के चुनाव में भी बागी हुए थे पितलिया, मिले थे 30 हजार से अधिक वोट
यह पहला मौका नहीं है जब पितलिया ने पार्टी से बगावत की है. इससे पहले नवम्बर 2018 तक लादूलाल पितलिया भाजपा में थे, लेकिन उस समय भी टिकट नहीं मिलने के कारण बगावत पर आए तो पार्टी से उनको निकाल दिया था. दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े पितलिया को 30,573 वोट मिले थे. वहीं विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद उपचुनाव को देखते हुए 10 फरवरी 2020 में पितलिया की फिर घर वापसी हुई. लेकिन अब 46 दिन बाद ही पितलिया फिर बगावत की राह पर हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही होगा, वहीं कांग्रेस इस बगावत को भुनाने की कोशिश करेगी.

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आपको बता दें, सहाड़ा उपचुनाव को देखते हुए पार्टी की मजबूती के लिए भाजपा नेताओं ने अभी बीती 10 फरवरी को ही लादूलाल पितलिया को भाजपा में दोबारा शामिल किया था. जयपुर भाजपा मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भाजपा में शामिल किया गया था. उस वक्त सतीश पूनिया सहित सभी नेताओं ने कहा था- पितलिया के वापस पार्टी में आने से सहाड़ा उपचुनाव में फायदा मिलेगा. हालांकि पितलिया के बागी होने से पार्टी के वरिष्ठ नेता पितलिया को मनाने की कवायद में जुटे हुए हैं.

रूपलाल जाट के भाई बद्रीलाल जाट को बेनीवाल ने बनाया आरएलपी प्रत्याशी
2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नम्बर पर रहे भाजपा प्रत्याशी रूपलाल जाट के भाई बद्रीलाल जाट दूसरी बड़ी चुनौती भाजपा के लिए बन गए हैं. बद्री को हनुमान बेनीवाल ने अपनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से टिकट दिया है. बद्रीलाल जाट के भाई रूपलाल जाट को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो रूपलाल ने खुद तो बगावत नहीं की लेकिन उनके भाई ने आरएलपी से ताल ठोंक दी है. बता दें, पिछले चुनाव में रूपलाल जाट को 58,414 वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर थे. ऐसे में पितलिया के बाद बद्रीलाल जाट की उम्मीदवारी भाजपा को संकट में डाल सकती है.

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राजेंद्र त्रिवेदी को मनाने का कांग्रेस ने किया दावा, लेकिन अंदरखाने भितरघात का डर
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में सहाड़ा से दिवंगत कैलाश त्रिवेदी को टिकट दिए जाने से नाराज गायत्री त्रिवेदी के देवर राजेंद्र त्रिवेदी के समर्थकों ने दो दिन पहले जयुपर पहुंचकर अपने समर्थकों के साथ जमकर विरोध किया था. मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे त्रिवेदी समर्थकों को पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए सिविल लाइन्स फाटक पर रोक दिया था. बाद में सहाड़ा के प्रभारी रघु शर्मा ने नाराज राजेंद्र त्रिवेदी समर्थक कुछ नेताओं को मुख्यमंत्री गहलोत से मिलवाने की बात कहते हुए नाराजगी दूर होने का दावा किया. वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री गहलोत से मिलते हुए राजेंद्र त्रिवेदी समर्थकों के फोटो तो जारी नहीं की, लेकिन रघु शर्मा से मुलाकात करते हुए फोटो जारी कर सब कुछ ठीक होने का दावा किया. वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस दावा कुछ भी करे, लेकिन राजेंद्र त्रिवेदी समर्थक मानने को तैयार नहीं है और अब भितरघात की भावना और बढ़ गई है.

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