Politalks.News/Uttrakhand. देवभूमि उत्तराखंड को पांच साल में तीसरा सीएम मिल गया है. बीजेपी ने कई दिनों तक माथापच्ची करने के बाद तीरथ सिंह रावत का विकल्प एक युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी के रूप में खोजा है. राज्य में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं और धामी पर पार्टी को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है. उनके सामने कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे हरीश रावत होंगे और ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या धामी बीजेपी की सत्ता में वापसी करा पाएंगे? क्या वह सियासत में चार दशक से ज़्यादा वक़्त का अनुभव रखने वाले हरीश रावत के सामने टिक पाएंगे?
इससे पहले शनिवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई. इसमें पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया. बताया गया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पुष्कर धामी के नाम का प्रस्ताव रखा. इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने अनुमोदित किया. बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री डी पुरंदेश्वरी भी मौजूद रहीं. पुष्कर सिंह धामी रविवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
कौन हैं पुष्कर सिंह धामी
पुष्कर धामी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से आते हैं और राजपूत जाति से ताल्लुक़ रखते हैं. धामी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रशिक्षित स्वयंसेवक रहे हैं. संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से होते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा में आए और दो बार इसके अध्यक्ष रहे. धामी के पिता जी सेना में थे. उत्तराखंड के भावी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर ज़िले की खटीमा सीट से लगातार 2 बार के विधायक हैं. और अब उनके नाम एक नया रिकॉर्ड जुड़ने जा रहा है. पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री होंगे. 45 साल की उम्र में वह राज्य की बागडोर संभालेंगे. पुष्कर धामी को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का क़रीबी माना जाता है. जब भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री थे तो पुष्कर धामी उनके ओएसडी हुआ करते थे. पुष्कर धामी अभी तक कभी भी किसी कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री के पद पर नहीं रहे हैं. इसके अलावा सरकार चलाने का भी कोई अनुभव उनके पास नहीं है. राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री भी नहीं रहे हैं, ऐसे में वह कैसे सरकार चला पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
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भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा- ‘मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है. जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे’.
धामी के नाम पर मुहर लगने पर पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने उन्हें बधाई देते हुए कहा- ‘धामी ऊर्जावान होने के साथ ही युवा हैं, जो पार्टी को मजबूती देने के साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करवाएंगे’. रावत ने कहा कि- ‘भाजपा उत्तराखंड में एक मजबूत पार्टी है, जो पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज कराएगी’, उनके अनुभव से प्रदेश को बहुत फायदा मिलेगा’.
2017 चुनाव के बाद बीजेपी ने दिया तीसरा मुख्यमंत्री
पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत, फिर तीरथ सिंह और अब पुष्कर सिंह धामी, उत्तराखंड को 2017 विधानसभा चुनाव के बाद तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी के रूप में नया चेहरा देखने को मिला है. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत लेकर आई भारतीय जनता पार्टी 5 साल में राज्य को तीसरा मुख्यमंत्री दिया है. वैसे तो इस रेस में कई नाम थे, लेकिन सबको चौंकाते हुए बीजेपी आलाकमान ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगा कर सबको हैरान कर दिया है.
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उत्तराखंड की जनता में नाराज़गी?
धामी के साथ ही बीजेपी की उत्तराखंड इकाई को भी लोगों के इस सवाल का जवाब देना होगा कि आख़िर क्यों इतनी जल्दी-जल्दी मुख्यमंत्री बदले गए? ऐसा करके क्यों उत्तराखंड को राजनीतिक प्रयोगशाला बना दिया गया? निश्चित रूप से कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी ही, बीजेपी के लिए इस सवाल का जवाब देना मुश्किल होगा और जो जवाब वह देगी, उससे जनता संतुष्ट होगी, इस पर भरोसा करना मुश्किल है क्योंकि सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने बीजेपी के इस क़दम पर सख़्त नाराज़गी जाहिर की है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत के गुटों के लोगों को भी धामी को साथ लेकर चलना एक चुनौती ही होगा.
उत्तराखंड में सीएम बदलने पर कांग्रेस का वार
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने वीडियो जारी कर कहा है कि- ‘साढ़े 4 साल के शासन में उत्तराखंड को भाजपा ने एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया, जहां भाजपा का काम केवल और केवल सत्ता की मलाई की बंदर बांट करना है. उत्तराखंड में पहले भी भाजपा ने 3 मुख्यमंत्री बदले थे- भुवनचंद्र खंडूरी साहब, फिर रमेश पोखरियाल जी, फिर
दोबारा से खंडूरी साहब’. ऐसे में बीजेपी पर तंज कसते हुए सुरजेवाला ने कहा कि- ‘हम तो मोदी जी को कहेंगें कि दो-तीन और बदल दीजिए अगले 6 महीने में, ताकि पूरे देश में आपका रिकॉर्ड बन जाए!’
उत्तराखंड कांग्रेस ने क्या कहा?
उत्तराखंड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय ने कहा कि- ‘मुझे यह समझ नहीं आता भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में यह प्रयोग क्यों कर रही है. पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया उसके बाद तीरथ सिंह रावत को बनाया, पुष्कर सिंह धामी युवा नेता अच्छे हैं, अच्छा यह रहता कि भारतीय जनता पार्टी पहले उन्हें किसी मंत्रिमंडल में सदस्यता दिलवा लेती. एक-दो साल अनुभव लेते उसके बाद मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती, यह एक प्रीमेच्योर सा डिसीजन है, पुष्कर सिंह धामी के पास अनुभव की कमी है’.
उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए मौक़ा?
अगर कांग्रेस हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो धामी का क़द निश्चित रूप से रावत के सामने हल्का पड़ सकता है. क्योंकि हरीश रावत पांच बार सांसद रहने के साथ ही केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री, मुख्यमंत्री, दो बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सहित संगठन में कई बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. हरीश रावत के बारे में कहा जाता है कि उत्तराखंड में वह अकेले ऐसे राजनेता हैं जिनका हर विधानसभा क्षेत्र में जनाधार है और 73 साल की उम्र में भी उनकी सक्रियता किसी नौजवान से कम नहीं है.