महाराष्ट्र में फडणवीस की जगह गडकरी या पाटिल बनें मुख्यमंत्री तो शिवसेना भी उपमुख्यमंत्री पर तैयार!

शिवसेना को मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से काफी समस्याएं हैं, इससे ये संदेश भी जाएगा कि शिवसेना ने अपना पारंपरिक आक्रामक रुख अपना लिया है और भाजपा ने उसके दबाव में यह निर्णय लिया है

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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. पिछले लगभग 15 दिनों से महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच अब एक नई चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. जानकारों की मानें तो शिवसेना अब महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री पद पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए तो राजी है लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र फडणवीस को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. देवेन्द्र फडणवीस की जगह शिवसेना नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) या चंद्रकांत पाटिल के नाम पर सहमत हो सकती है. हालांकि शिवसेना ने सार्वजनिक रूप से इस तरह की कोई बात अभी नही कही है लेकिन सूत्रों की मानें तो शिवसेना जल्द ही यह शर्त सार्वजनिक कर देगी. बता दें, हाल ही में शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर कहा था कि अगर भाजपा नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को बातचीत के लिए भेजेगी तो दो घंटे में इस समस्या का समाधान हो जाएगा. इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए नितीन गडकरी का नाम लिया जाने लगा है.

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) गुरुवार शाम नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात करेंगे. बीजेपी और शिवसेना के सरकार बनाने की कवायद के बीच गडकरी और संघ प्रमुख भागवत की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह माना जा रहा है कि संघ प्रमुख ने ही शिवसेना और बीजेपी के बीच रुकी हुई बातचीत को दोबारा शुरू करवाया है. सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र भाजपा का एक खेमा शुरू से इस बात पर नाराज है कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को आगे करके पार्टी नेतृत्व ने नितिन गडकरी के पर कतरने का काम किया है. यही कारण है कि शिवसेना के साथ-साथ प्रदेश भाजपा का यह खेमा भी गडकरी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है. ऐसे में अगर बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के लिए नितिन गडकरी का नाम आगे बढ़ाया जाता है तो न सिर्फ शिवसेना ही इसके लिए तैयार हो जाएगी बल्कि प्रदेश भाजपा का यह नाराज खेमा भी खुश हो जाएगा.

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बता दें, 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को लेकर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को लेकर काफी चर्चा चली थी. मुख्यमंत्री के लिए देवेन्द्र फडणवीस के मुकाबले गडकरी को ज्यादा मजबूत माना जाता है. वहीं ठाकरे परिवार के सभी सदस्य गडकरी का काफी सम्मान करते हैं. ठाकरे परिवार से उनके संबंध बाल ठाकरे के जमाने से चले आ रहे हैं. इसलिए संभव है कि अगर भाजपा की ओर से नितिन गडकरी का नाम बढ़ाया जाए तो शिवसेना इसके लिए तुरन्त तैयार हो जाएगी, क्योंकि शिवसेना अब देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में बिल्कुल स्वीकार नहीं करना चाहती.

वहीं शिवसेना यह भी जानती है कि नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व राजी नही होगा तो ऐसे में शिवसेना के वरिष्ठ नेता भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का नाम आगे बढ़ा सकती है. चंद्रकांत पाटिल बीजेपी के बड़े नेता है और उनकी छवि एक सीधे सज्जन इंसान की है. शिवसेना को लगता है कि देवेंद्र फडणवीस को अपने मन मुताबिक दबाव में ले लेना मुश्किल है लेकिन नितिन गडकरी को भी दबाव में लेना आसान नहीं है वहीं चंद्रकांत पाटील से अपने मन मुताबिक फैसले करवा लेना शिवसेना के लिए आसान होगा.

पार्टी सूत्रों की मानें तो शिवसेना को मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से काफी समस्याएं हैं. मुख्यमंत्री पद पर फडणवीस की दावेदारी को लेकर जिस तरह की बात खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से बार-बार की गई, संभव है कि इससे शिवसेना नाराज है. वहीं शिवसेना को यह भी लग रहा है कि अगर वे फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने से रोक लेते हैं तो इससे महाराष्ट्र में ये संदेश भी जाएगा कि उसने अपना पारंपरिक आक्रामक रुख अपना लिया है और भाजपा ने उसके दबाव में यह निर्णय लिया है.

जानकारों की मानें तो महाराष्ट्र में शिवसेना नेतृत्व भी यही चाहता है कि नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) जैसे नेता के नेतृत्व में सरकार बने ताकि महाराष्ट्र सरकार से संबंधित अधिकांश बड़े निर्णय गडकरी खुद ले सकें. फडणवीस के बारे में कहा जाता है कि अक्सर महत्वपूर्ण निर्णयों के मामले में गडकरी दिल्ली पर अधिक निर्भर रहते हैं. जबकि अगर गडकरी मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन पर शीर्ष नेतृत्व या कोई और उस तरह से दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रहेगा.

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गौरतलब है कि बीजेपी के लिए यह समझौता कोई नई बात नहीं है, इससे पहले 2017 में बीजेपी को गोवा में भी इन्हीं परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था. गोवा में विधानसभा चुनावों के बाद जब भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था तब जो सहयोगी दल भाजपा के साथ आए, उनकी ओर से देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त रखी गई थी. इसके बाद बीजेपी ने मनोहर पर्रिकर को केंद्र से वापस गोवा भेज दिया था. उस समय इस मामले में नितिन गडकरी ने ही प्रमुख भूमिका निभाई थी.

इन सारे समीकरणों से यह तो पक्का हो गया कि महाराष्ट्र में सरकार तो बीजेपी और शिवसेना ही मिलकर बनाएंगी और जैसा पॉलिटॉक्स ने अपनी पिछली खबरों में दावा भी किया कि मुख्यमंत्री पूरे पांच साल के लिए बीजेपी का ही बनेगा और शिवसेना को मिलेगा उपमुख्यमंत्री का पद. हां लेकिन देवेन्द्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे इस पर अब संशय के बादल छा गए. इसलिए नागपुर में गुरुवार शाम गडकरी और संघ प्रमुख भागवत के बीच होने वाली मुलाकत को बहुत अहम माना जा रहा है.

गौरतलब है कि 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी के पास 105 सीटें हैं जबकि शिवसेना के पास 56 विधायक हैं. एनसपी के 55 और कांग्रेस के 44 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. भाजपा-शिवसेना ने एलाइंस के तहत मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन परिणाम के बाद शिवसेना आधे समय ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर अड़ गई.

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