किसान, डॉक्टर, मिशनरी व कपड़ा व्यवसायियों के विरोध के सामने मोदी सरकार का चार बार शीर्षासन

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का घमासान, कड़े फैसले लेने वाली मोदी सरकार के 4 बड़े यू टर्न बने सियासी चर्चा का विषय, संस्थागत विरोध के सामने चार पार झुकी मोदी सरकार, खुद समर्थक भी मोदी सरकार के बैकफुट में आने को लेकर हैरान-परेशान

मोदी सरकार के चुनावी शीर्षासन
मोदी सरकार के चुनावी शीर्षासन

Politalks.News/ModiSarkar. पुरानी कहावत है कि झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए! भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा (BJP) को लेकर सियासी गलियारों में इस तरह की चर्चाओं का दौर जारी है. चर्चा यह है कि झुकती है सरकार, बस चुनाव आना चाहिए. जब तक चुनाव नहीं होते हैं, तब तक मोदी सरकार (Modi Goverment) 56 इंच का सीना ताने रहती है. हालांकि अब उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा (Assembly Election in 5 States) के चुनाव का ऐलान हो चुका है. लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले ही केन्द्र की मोदी सरकार चार बार झुकी है. मोदी सरकार ने संस्थागत विरोध के आगे चार बार शीर्षासन किया है. अब इसे चुनावी चिंता में शीर्षासन ही कहा जाएगा. मोदी सरकार के समर्थक खुद इस बात और कार्यशैली को लेकर हैरान हैं.

पहला शीर्षासन: चुनाव की चिंता में केन्द्र की मोदी सरकार ने सबसे पहले किसानों के सामने पहला शीर्षासन किया था. कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को झुकाया था. कृषि कानूनों की वापस नहीं लेने को लेकर अड़ी मोदी सरकार का झुकना बतता है कि भाजपा को चुनाव में हार की कितनी चिंता थी. जैसा कि सभी को पता है कि केंद्र सरकार ने मनमाने तरीके से तीन कृषि कानून पास कराए थे और उसे लागू करने पर अड़ गई थी. दूसरी ओर किसान भी इसके विरोध में एक साल तक आंदोलन पर बैठे रहे और नतीजा यह हुआ है कि चुनाव की चिंता में सरकार को तीनों कानून वापस लेने पड़े. यह घटना पिछले सात साल में मोदी सरकार के शीर्षासन की पहली घटना थी. क्योंकि यह माना जाता था कि मोदी सरकार कड़े फैसले लेने में पीछे नहीं हटती है. लेकिन किसानों की हर मांग को जिस तरह से मोदी सरकार ने माना ये चर्चा का विषय बना हुआ था.

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दूसरा शीर्षासन: दूसरा मामला मिशनरीज ऑफ चैरिटी का विदेशी चंदा लेने वाले एफसीआरए लाइसेंस का है. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने मदर टेरेसा की इस संस्था का एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू नहीं किया था. मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि उसके आवेदन की जांच के दौरान ‘एडवर्स इनपुट’ मिला था, जिसकी वजह से लाइसेंस रिन्यू नहीं किया गया. इसका लाइसेंस 31 दिसंबर को खत्म हो गया. सरकार ने नहीं बताया कि क्या ‘एडवर्स इनपुट’ मिला था. लेकिन जब देश में और देश के बाहर इसका विरोध शुरू हुआ और मोदी सरकार के समर्थक ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आगे बढ़ कर मिशनरीज ऑफ चैरिटी को अपना काम जारी रखने के लिए लाखों रुपए की मदद दी, तो केंद्र सरकार भी पीछे हट गई और लाइसेंस रिन्यू कर दिया. जब लाइसेंस रिन्यू किया तो यह नहीं बताया कि ‘एडवर्स इनपुट’ का क्या हुआ, वह कैसे पॉजिटिव इनपुट में बदल गया?

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तीसरा शीर्षासन: तीसरे मामले के तहत दिल्ली के डॉक्टरों ने हड़ताल करके नीट-पीजी की काउंसिलिंग के मामले में सरकार से शीर्षासन कराया. केंद्र सरकार ने पिछले साल 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जब तक ओबीसी आरक्षण और ईडब्लुएस आरक्षण के लिए आय की सीमा का मामला नहीं निपट जाता है तब तक काउंसिलिंग पर रोक लगनी चाहिए. लेकिन जब दिल्ली के डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू की और टकराव बढ़ा तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, ‘देशहित में काउंसिलिंग जल्दी होनी चाहिए, और अब 12 जनवरी से काउंसिलिंग होने जा रही है’.

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चौथा शीर्षासन: और चौथी बार देशभर के कपड़ा व्यापारियों ने मोदी सरकार से शीर्षासन कराया. सरकार ने कपड़े के ऊपर जीएसटी को पांच से बढ़ा कर 12 फीसदी कर दिया था. एक जनवरी से यह लागू होने वाला था लेकिन उससे पहले देशभर के कपड़ा व्यापारियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनके प्रदर्शन की तीव्रता को देखते हुए सरकार ने एक जनवरी को ही जीएसटी कौंसिल की आपात बैठक बुला कर जीएसटी बढ़ाने का फैसला टाल दिया. जूते-चप्पलों पर भी टैक्स पांच से बढ़ा कर 12 फीसदी किया गया है लेकिन उसके व्यापारियों ने विरोध नहीं किया तो वह लागू हो गया.

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